पराली जलाने से बचाने के लिए 250 रुपए कुंटल मुआवजे की मांग को लेकर SKM करेगा आंदोलन: राकेश टिकैत

सीतापुर में आयोजित किसान महापंचायत में पराली, सरसों का तेल और छुट्टा पशुओं का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया। पराली को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा अगले पखवाड़े से देशव्यापी आंदोलन शुरु करेगा।

Mohit ShuklaMohit Shukla   20 Sep 2021 2:22 PM GMT

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पराली जलाने से बचाने के लिए 250 रुपए कुंटल मुआवजे की मांग को लेकर SKM करेगा आंदोलन: राकेश टिकैत

सीतापुर की किसान महापंचायत में राकेश टिकैत, मेधा पाटकर व अन्य किसान नेता। फोटो- मोहित शुक्ला

सीतापुर (यूपी)। "चावल खाना सबको अच्छा लगता है और जब पराली जलती है तो प्रदूषण होता है। किसानों का पराली के नाम पर उत्पीड़न किया जा रहा है। पराली जलाने से बचाने के लिए 250 रुपए कुंटल मुआवजे की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा 10 दिनों बाद देश के हर जिले में आंदोलन करेगा। ये बातें सोमवार को सीतापुर में आयोजित किसान पंचायत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहीं।

सीतापुर के आरएमपी इंटर कालेज मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा की रैली को सम्बोधित करते हुए टिकैत ने कहा "जिलाधिकारियों ने अगर पराली नहीं खरीदी तो किसान भाई पराली डीएम, एसडीएम, थानेदार और पटवारी के घर के बाहर फ़ेक दें।" उन्होंने कहा- मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ सरकार ने 180 मंडियों की जमीने बेच दी। अब वही स्थिति उत्तर प्रदेश सरकार की है। उत्तर प्रदेश में किसानों से मंडी की जगह जबरन छीनी जा रही है।"

राकेश टिकैत ने अपने भाषण में सरसों के तेल का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा केंद्र सरकार द्वारा खुले में तेल बेच रहे दुकानदारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और फरमान जारी किया गया है कि खुले में तेल बेचने वालो के विरुद्ध आजीवन कारावास की सजा दी जायेगी, जबकि भारत की आधी आबादी उस खुले तेल पर निर्भर है। क्योंकि गाँवो में गरीब लोग कुछ पैसे जुटा कर खुला तेल खरीदने को मजबूर है।"


केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा सरकार द्वारा बीज पर काला कानून बनाना चाहती है, किसान आंदोलन नहीं होता तो आज बीज बिल भी आ चुका होता। सरकार जब तक तीनों कानून वापस नहीं लेती तब तक किसान आंदोलन खत्म नहीं होने वाला। टिकैट ने कहा कि सरकार ने गन्ने के भुगतान को लेकर झूठ बोला,इसके लिए हम सरकार को रजत पदक देंगे।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुवाकार मेधा पाटकर ने कहा, "उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव है भाजपा सरकार ने जो किसान के विरुद्ध तीन काले कानून लेकर आई है इसका जवाब सब किसान वोट की चोट से देंगे।" अभिनेत्री सोनिया मान ने उत्तर प्रदेश सरकार पर तंज कसते हुये कहा सरकार पहले किसानों को पराली में जेल भेजती है और जब चुनाव नज़दीक आ गये है तो किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने का फ़ैसला लेती है। किसान सब समझ गये है। अब बहकावे में नही आने वाले है।

यूपी सरकार ने पिछले हफ्ते ही प्रदेश में किसानों पर दर्ज 868 मुकदमे वापस लेने का फैसला किया था।

किसान नेता डॉ आशीष मित्तल ने कहा कि तीन किसान विरोधी कानून किसानों को कॉरपोरेट का गुलाम बनाएंगे। किसानों की फसल बोने की स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी, बटाईदारों का स्थान कंपनियां ले लेगी। वहीं डॉ. संदीप पांडे ने छुट्टा पशुओं से फसलों के नुकसान के सवाल को लेकर उत्तर प्रदेश में जारी आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि योगी सरकार गायों का इंतजाम करने को तैयार नहीं है। लेकिन किसानों को प्रताड़ित करने पर आमादा है।

दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 298वें दिन सीतापुर में आयोजित किसान महापंचायत में सीतापुर, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, हरदोई, सहित कई जिलों के हजारों किसान पहुंचे थे

27 सितंबर के भारत बंद को सफल बनाने की तैयारी

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि मांगें पूरी होने तक किसान आंदोलन शांतिपूर्ण और मजबूती से जारी रहेगा। किसी पार्टी के भीतर या पार्टियों के बीच राजनीतिक दलों की कलह से आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, न ही किसी राज्य के मुख्यमंत्री पद में बदलाव से अंतर आएगा।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में आज ऐतिहासिक किसान महापंचायत हुई, जिसमें अवध क्षेत्र के हजारों किसानों और खेतिहर मजदूरों ने हिस्सा लिया। यहां घोषणा की गई कि आने वाले दिनों में सभी जिलों में किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा आगामी पखवाड़े में पराली जलाने से बचने के लिए 250 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया जाएगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने अकाली नेताओं से सिंघु बॉर्डर पर दुर्व्यवहार की निंदा की

संयुक्त किसान मोर्चा ने उन अप्रिय घटनाओं पर गहरा खेद व्यक्त किया है कि अकाली दल के कुछ समर्थक, जो 3 काले कानूनों का विरोध करने के लिए दिल्ली जा रहे थे, को 16 सितंबर 2021 की रात को सिंघू बॉर्डर पर अनुभव करना पड़ा। एसकेएम का कहना है कि ऐसे किसी भी प्रदर्शनकारियों का दुर्व्यवहार अस्वीकार्य है और यह स्पष्ट रूप से किसान आंदोलन के खिलाफ जा रहा है। 16 सितंबर की रात, अकाली दल के समर्थक जो पंजाब से दिल्ली जाते समय धरना स्थल पर आए थे, उन्हें प्रदर्शनकारियों की एक छोटी टीम ने गाली दी और एसकेएम इस व्यवहार की निंदा करता है। एसकेएम के कार्यकर्ताओं ने उसी समय हस्तक्षेप किया और यह सुनिश्चित किया कि अकाली दल के समर्थकों को किसी भी तरह से नुकसान न हो, और आगे कोई दुर्व्यवहार न हो। पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई और इसकी कड़ी निंदा की गई है।

राज्य में 27 सितंबर के बंद को सफल बनाने के लिए 21 सितंबर) इरोड, तमिलनाडु में एसकेएम की राज्य स्तरीय योजना बैठक है। जबकि 23 सितंबर को इलाहाबाद में घोरपुर सब्जी मंडी में किसान पंचायत करेंगे।

महाराष्ट्र में चल रही शेतकारी संवाद यात्रा सोमवार को कोल्हापुर जिले के गढ़िंगलाज पहुंच गई है। कोल्हापुर, सतारा और सांगली जिले के नेताओं ने यहां भाग लिया। महाराष्ट्र के 12 जिलों को कवर करते हुए 2000 किलोमीटर की यात्रा में अब तक कम से कम एक लाख लोगों तक सीधे पहुंची। सत्यशोधक शेतकारी संगठन और श्रमिक शेतकरी संगठन, जो अखिल भारतीय किसान महासभा के घटक हैं, जैसे कई किसान संगठनों द्वारा आयोजित यात्रा के माध्यम से यात्रा और ऐतिहासिक किसान आंदोलन के लिए उत्साही समर्थन बटोरा गया।

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