रिहंद डैम में जहरीली राख डालने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, यूपी-एमपी के 11 विभागों को नोटिस, गांव कनेक्शन ने उठाया था मामला

Mithilesh DharMithilesh Dhar   30 Oct 2019 10:15 AM GMT

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रिहंद डैम में जहरीली राख डालने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, यूपी-एमपी के 11 विभागों को नोटिस, गांव कनेक्शन ने उठाया था मामला

लखनऊ। देश की सबसे बड़ी बिजली बनाने वाली कंपनी एनटीपीसी के ऐश डैम टूटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 11 विभागों को नोटिस जारी किया है और 20 नवंबर तक स्पष्टीकरण मांगा है। गांव कनेक्शन ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता और पर्यावरण मामलों पर काम कर रहे अश्वनी दुबे ने इस मामले को लेकर याचिका दायर की थी।

क्या था मामला

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के शक्तिनगर क्षेत्र स्थित भारत के सबसे बड़ी बिजली उत्पादन संयंत्र नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) विंध्याचल का शाहपुर स्थित विशालकाय ऐश डैम (राखड़ बांध) 6 अक्टूबर, 2019 को टूट गया था। इस डैम में बिजली संयंत्रों में कोयले के जलने के बाद निकली राख जिसे फ्लाई ऐश कहा जाता है, को जमा किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी


सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी

रेणुका नदी पर बना रिहन्द बांध सोनभद्र और सिंगरौली के करीब 20 लाख लोगों के लिए पीने के पानी के लिए प्रमुख स्रोत है। इसमें एनटीपीसी संयंत्र से निकली करीब 35 मीट्रिक टन (सात करोड़ कुंतल से अधिक) राख समा गई है, जिससे नदी का पानी जहरीला हो गया है। इस दूषित पानी से कैंसर जैसी घातक बीमारियां भी हो सकती हैं।

अश्वनी दुबे बताते हैं, " जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 (47-49) के अनुसार यदि कोई अपराध किसी कंपनी द्वारा किया जाता है तो संबंधित कंपनी का जिम्मेदार व्यक्ति दोषी माना जायेगा। रिहंद के किनारे बसे गांव खतरे की जद में हैं। चंदावल, जुड़ी, जुबाड़ी, शाहपुर, बलियरी, तेलगवां, योगीचौरा, भैरवा, घरसड़ी आदि गांवों में पानी के स्त्रोत दुषित हो चुके हैं। वहां के कुओं में अब राख ही दिखती है।

उधर मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ऐश डैम टूटने के मामले में एनटीपीसी पर 10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।

इनसे-इनसे मांगा गया जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एनटीपीसी प्रबंधन और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के जल स्त्रोत मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रमुख सचिव मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दोनों प्रदेशों के सिंचाई विभाग को 25 अक्टूबर को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है।

हालांकि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरएस परिहार ने गांव कनेक्शन को बताया कि अभी तक उनके पास तो कोई नोटिस नहीं पहुंची है। एनटीपीसी विंध्याचल के पीआरओ लालमनि पांडेय ने भी यही कहकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

ऐश डैम में क्या था ?

बिजली संयंत्रों में कोयले के जलने के बाद निकली राख को फ्लाई ऐश कहते हैं जिसे डैम में एकत्र किया गया था। फ्लाई ऐश में मौजूद घटक पानी को विषैला कर देते हैं। इसमें भारी धातु, सिलिका, एल्यूमीनियम और कैल्शियम के ऑक्साइड, आर्सेनिक, बोरान, क्रोमियम और सीसा, पॉर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और ब्लैक कार्बन होते हैं, जो हवा के साथ उड़ते हुए 20 किमी तक फैल जाते हैं। नदी, नाले और तालाबों का पानी भी इससे जहरीला हो रहा है। इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकट है।

इसी साल 8 अगस्त को एस्सार पॉवर प्लांट का राखड़ डैम तेज बारिश की वजह से फूट गया था। इसकी चपेट में आने से सैकड़ों मवेशियों की मौत हो गई थी और कई एकड़ फसल चौपट हो गई थी।

गांव कनेक्शन सिंगरौली के प्रदूषण को लेकर लगातार खबरें कर रहा है। नीचे दिये लिंक पर जाकर आप दूसरी खबरें पढ़ सकते हैं।

सिंगरौली पार्ट 1- बीस लाख लोगों की प्यास बुझाने वाली नदी में घुली जहरीली राख, कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा
सिंगरौली पार्ट 2- राख खाते हैं, राख पीते हैं, राख में जीते हैं
सिंगरौली पार्ट 3- मौत का पहाड़, सांसों में कोयला और जिंदगी में अंधेरा


   

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