यूपी : धान का सरकारी रेट 1888, किसान बेच रहे 1100-1200, क्योंकि अगली फसल बोनी है, कर्ज देना है

उत्तर प्रदेश में अच्छे धान का अधिकतम सरकारी रेट 1888 रुपए प्रति कुंतल है, लेकिन ज्यादातर जिलों में किसान 1000 रुपए से लेकर 1300 प्रति कुंतल बेचने को मजबूर है। जिन जिलों में सरकारी खरीद शुरू भी हो चुकी है वहां भी किसान 1000-1200 रुपए में धान बेच रहा है।

Arvind ShuklaArvind Shukla   7 Oct 2020 9:28 AM GMT

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उत्तर प्रदेश में पीलीभीत जिले के रहने वाले किसान जरनैल सिंह (50 वर्ष) अपना एक ट्राली धान लेकर पलिया मंडी बेचने गए थे लेकिन धान नहीं बिका। उन्हें वापस मायूस होकर घर लौटना पडा।

रास्ते में उनकी मुलाकात गांव कनेक्शन से हुई। जरनैल सिंह बताते हैं, "एक ट्राली धान ले गए थे, लेकिन किसी व्यापारी ने खरीदा ही नहीं। जो रेट दे रहे थे वो 1000-1100 रुपए कुंतल का था। कोई सरकारी खरीद केंद्र चालू नहीं है। लेकिन हम आज वापस ले आए हैं तो कल बेचना पड़ेगा, क्योंकि हमारे पास कोई चारा (विकल्प) नहीं है। किसान धान रोक नहीं सकता। उसके पास न कोई गोदाम है न अगली फसल की बुवाई के लिए पैसा। बैंक का कर्ज़ देना है, मजदूरों का पैसा देना है, हमारी इसी मजबूरी का फायदा आढ़ती और कारोबारी उठाते हैं।"

जनरैल सिंह पीलीभीत के टोकरी फार्म कबीरगंज में रहते हैं, उनका गांव लखीमपुर खीरी के नजदीक है। जनरैल बड़े किसान हैं और इस बार उनके पास 250 कुंतल के आसपास अच्छी क्वालिटी का धान है। आगे वो आलू और गेहूं बोना चाहते हैं, लेकिन बाजार में धान का भाव नहीं।

सरकारी खरीद केंद्र पर क्यों नहीं बेच रहे धान, इसके जवाब में जरनैल कहते हैं, "सरकार केंद्रों पर आम किसान का धान खरीदा ही नहीं जा रहा है। वो नाम के केंद्र हैं। वहां आढ़तियों और व्यापारियों का धान खरीदा जाता है। काश्तकार को बता देंगे, आपके धान में नमी ज्यादा है, फरहा (खाली धान) ज्यादा है, रंग सही नहीं है, लेकिन अगर हम यही धान व्यापारी को औने-पौने दाम में बेच दें तो वो सब सही हो जाता है।"

उत्तर प्रदेश में अच्छे धान (ए ग्रेड) का अधिकतम सरकारी रेट 1888 रुपए प्रति कुंतल है, लेकिन ज्यादातर जिलों में किसान 1000 रुपए से लेकर 1200 प्रति कुंतल बेचने को मजबूर है। जिन जिलों में सरकारी खरीद शुरू भी हो चुकी है वहां भी किसान 1000-1200 रुपए में धान बेच रहा है।

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FCI के मुताबित 6 अक्टूबर तक धान खरीद का राज्यवार डाटा। जिसमें सबसे ज्यादा धान खरीद पंजाब में हुई है।

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर-सीतापुर के अलावा पश्चिमी यूपी के जिलों में एक अक्टूबर से धान की खरीद शुरू हो चुकी है। लखीमपुर के किसान मेवालाल बताते हैं, "1000 रुपए में धान बेच दिया है, क्योंकि हमें आलू बोना है अब घर में इतने पैसे नहीं है कि ये फसल भी रखी रहे और दूसरी की बुवाई का इंतजाम हो जाए। सरकारी खरीद कब होगी, कैसे होगी, इसकी जानकारी नहीं।"

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जिन किसानों ने अगैती फसल बोई थी, उसकी चालू है कटाई। फोटो : गाँव कनेक्शन

हालांकि यूपी के ज्यादातर जिलों में धान की कटाई ने इसी हफ्ते रफ्तार पकड़ी है। क्योंकि सितंबर में हुई बारिश के चलते कई जिलों में खेत में नमी बनी रही है। लेकिन जिन किसानों ने अगैती फसल बोई थी उसकी कटाई तेजी से चालू है। कन्नौज, आगरा, मैनपुर, कानपुर, बाराबंकी समेत आलू बेल्ट के जिलों में आलू बुवाई शुरू हो चुकी है। इन किसानों को पैसे की जरूरत है। ऐसे में वो निजी व्यापरियों को धान बेच रहे हैं।

बाराबंकी जिले के सूरतगंज ब्लॉक में टांडपुर गांव के विरेंद्र विश्वकर्मा पिछले कई वर्षों से स्थानीय स्तर पर धान-गेहूं, सरसों की खरीद कर बाडा (थोक व्यापारियों) को बेचते हैं। अब तक वो 90 कुंतल धान खरीद कर बेच चुके हैं जिसमें उनका खुद का 40 कुंतल धान शामिल है।

अभी धान की कहीं खरीद ही चालू नहीं है। घर में पैसों की जरूरत थी तो मैंने अपना खुद का धान 1070 रुपए कुंतल में बेचा, मिल वाले और बड़े व्यापारी अभी धान को हाथ नहीं लगा रहे। लेकिन किसान का क्या है वो इंतजार नहीं कर सकता है, इसलिए वो जो भाव मिल रहा है, उस पर बेच रहा है।

विरेंद्र विश्वकर्मा, किसान, टांडपुर गांव, बाराबंकी

विरेंद्र विश्वकर्मा बताते हैं, "अभी धान की कहीं खरीद ही चालू नहीं है। घर में पैसों की जरूरत थी तो मैंने अपना खुद का धान 1070 रुपए कुंतल में बेचा, मिल वाले और बड़े व्यापारी अभी धान को हाथ नहीं लगा रहे। लेकिन किसान का क्या है वो इंतजार नहीं कर सकता है, इसलिए वो जो भाव मिल रहा है, उस पर बेच रहा है।" उनके मुताबिक मोटे महीन धान में कोई अंतर नहीं है।

यूपी में ही शाहजहांपुर में खजूरिया गांव के हरिपाल सिंह को पता नहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है। वो बस बीते साल और इस साल का अंदाजा का अंतर बताते हैं, "पिछले साल भैया इस सीजन (अक्टूबर की शुरुआत) में धान 1500 रुपए कुंतल व्यापारी खरीद रहे थे, इस बार 1000-1100 का रेट मिल रहा है। मैंने सुना है एमएसपी 1700 के कुछ ज्यादा की है (1700 का रेट साल पहले थे) यानी अभी 500 रुपए कुंतल का नुकसान है, इसलिए हमने अपने 10 एकड़ में सिर्फ थोड़ा कटवाया है ताकि खर्च चल जाए, आगे का रेट भगवान जाने।"

दो अक्टूबर को प्राप्त सरकारी जानकारी (विज्ञप्ति) के अनुसार पहले दिन सहारनपुर, मुजफ्फनगर, मुरादाबाद, कानपुर, लखीमपुर खीरी जिलों के 10 केंद्रों पर 13 किसानों से 60 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी।

MSP को लेकर गांव कनेक्शन की लाइव चर्चा यहां देखिए

उत्तर प्रदेश में खाद्य एवं रसद विभाग के आयुक्त मनीष चौहान के मुताबिक साल 2020-21 में खरीद के लिए प्रदेश में 4000 खरीद केंद्रों के द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की जाएगी, पिछले वर्ष 3000 केंद्र ही प्रस्तावित थे। सामान्य धान 1868 रुपए प्रति कुंतल और ग्रेड-ए धान 1888 रुपए प्रति कुंतल है निर्धारित किया गया है।

यूपी सरकार के मुताबिक उ.प्र. राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम, पीसीएफ, पीएसयू, मंडी परिषद, भारतीय खाद्य निगम समेत 11 एजेंसियां धान की खरीद करेंगी। इसके अलावा रजिस्टर्ड सहकारी समितियां, कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ और एससीपी), मल्टी स्टेट कॉपरेटिव सोसायटी आदि के जरिए खरीद की जाएगी। केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों में एफपीओ आदि के जरिए खरीद पर जोर दिया है। नए कानूनों के मुताबिक हर वो व्यक्ति जिसके पास पैनकार्ड वो अनाज की खरीद कर सकता है। (सभी एजेंसियां और उनके द्वारा प्रस्तावित केंद्र नीचे देंखे)

अगर पूरे देश की बात करें केंद्र सरकार का दावा है कि 26 सितंबर से कई केन्द्रों में हरियाणा-पंजाब में खरीद शुरू हुई थी, जबकि यूपी के कुछ हिस्सों में एक अक्टूबर से। कई और राज्य में खरीद तेजी से जारी है। जिससे पिछले 8 दिनों में एमएसपी पर 5.7 लाख टन धान की खरीद की है।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से रविवार (4 अक्टूबर) को जारी आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सीजन में 2020-21 में तीन अक्टूबर तक 5,73,339 टन धान की खरीद हो गई है। मंत्रालय ने बताया कि एमएसपी पर 1082.4654 करोड़ रुपए की खरीद हुई है जिससे 41,084 किसानों को लाभ मिला है।

कृषि बिलों को लेकर सबसे ज्यादा हंगामा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं-धान और दूसरी फसलों की खरीद को लेकर था, जिस पर केंद्र सरकार लगातार कहती रही कि किसान से अनाज की एमएसपी पर खरीद धड़ल्ले से जारी रहेगी और इस बार भी खरीफ के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, किसानों को ज्यादा से ज्यादा एमएसपी का लाभ मिलेगा। लेकिन सितंबर से लेकर अक्टूबर के पहले हफ्ते (आज तक) गांव कनेक्शन को यूपी समेत दूसरे राज्यों के जिलों से जो ग्राउंड रिपोर्ट मिली है वो सरकारी खरीद पर सवाल खड़े करती है।

लखीमपुर जिले में गोला तहसील में लखरावां गांव गुरुचरन सिंह के पास 15 एकड़ धान था, जिसमें से वो आधा काटकर बेच चुके हैं। गुरुचरन कहते हैं, "मंडी में धान की कोई खरीद नहीं है। सरकार ने एमएसपी बोल तो दिया लेकिन उसे खरीद कर भी तो दिखाओ, किसान को पैसे की जरूरत अब है, गेहूं, सरसों, आलू बोना है। लेकिन खरीद केंद्रों पर सिर्फ बैनर लगे हैं, मिलर्स (धान मिल मालिक) अपनी अलग मनमानी कर रहे हैं। सरकार ने हम किसानों को पानी में डुबा कर मार दिया है।"

यही हाल बाकी राज्यों का भी है। हरियाणा की मंडियों में किसान की भीड़ लगी पड़ी है। किसान कई-कई दिन से अपना माल उतार कर वहीं बैठे हैं। मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर धान की खेती नहीं होती लेकिन जो किसान करते हैं उन्हें भी रेट और धान बेचने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सतना के गांव कनेक्शन के कम्युनिटी जर्नलिस्ट ने बताया, अभी मंडियां बंद हैं लेकिन मिलर्स अच्छे धान का 1300-1400 रुपए तक दे रहे हैं।

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बटाईदारों की अलग परेशानी है

सरकारी खरीद केंद्रों पर धान बेचने के लिए पहले से रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, जिस किसान के पास खसरा-खतौनी, बैंक पासबुक और आधार कार्ड होगा, वहीं बेच पाएगा, सरकार की ये व्यवस्था पारदर्शिता के लिए है लेकिन इससे बटाईदार और ठेके पर खेती करने वाले किसान परेशान हैं, उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा। यूपी के किसान धान बेचने के लिए यहां रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.. https://eproc.up.gov.in/Uparjan/farmerreg_home.aspx


शाहजहांपुर में निदानपुर गांव के हारुन अली ने इस बार 100 बीघे (20 एकड़) खेत ठेके पर लेकर धान बोया था। उनका काफी धान कट चुका है लेकिन वो भी औने-पौने दाम में जा रहा है। हारुन कहते हैं, "धान की पोजीशन बहुत खराब है। सरकार का रेट 1800 से ज्यादा है। 100-50 रुपए कम ज्यादा चलता है लेकिन कटना मंडी (सथानीय मंडी) 1,110 रुपए का रेट खुला है। इस रेट पर बेचेंगे तो खेत मालिक को क्या देंगे, खर्चा कहां से निकालेंगे और हमें क्या बचेगा।"

बाराबंकी जिले के युवा किसान नियाज, जिन्होंने अपना धान 1100 रुपए प्रति कुंतल बेचा है। फोटो- अरविंद शुक्ला

यूपी सरकार के धान खरीद के लिए टाइम टेबल बनाया है। जिसके मुताबिक सभी जिलों में धान खरीद के लिए प्रभारी अधिकारियों की नियुक्ति हो चुकी है और पश्चिमी यूपी में 1171 क्रय केन्द्र अनुमोदित किये जा चुके हैं।

इसके साथ ही धान मिलों का पंजीकरण भी किया जा चुका है। एक अक्टूबर तक मिली जानकारी के मुताबिक 1905 राइस मिलों का पंजीयन हो चुका था, जबकि 1736 राइस मिलों की जियो टेगिंग भी करायी जा चुकी है। प्रदेश में 1 अक्टूबर तक सरकार के मुताबिक ई-उपार्जन पोर्टल के जरिए रजिस्ट्रेशन अभी जारी है। अब तक 2,07,280 किसानों का पंजीयन हो चुका है।

खाद्य आयुक्त के बयान के मुताबिक प्रदेश में कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़े के अनुसार 177 लाख मीट्रिक टन चावल का उत्पादन अनुमानित है, जिसके अनुसार 264.179 लाख मीट्रिक टन धान होने का अनुमान है। पिछले वर्ष सरकार ने कुल 56.57 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की थी।

एजेंसियों के नाम

क्रम संख्या

एजेन्सी का नाम

वर्ष 2020-21 में खोले जाने वाले क्रय केन्द्रों की संख्या

जिलाधिकारियों द्वारा अनुमोदित क्रय केन्द्रों की संख्या

1

खाद्य विभाग की विपणन शाखा

(पंजीकृत सोसाइटी, मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सोसाइटी एवं फारमर्स प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन/कम्पनीज)

1200

724

2

उ0प्र0 राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम (एस0एफ0सी0)

150

79

3

उत्तर प्रदेश सहकारी संघ (पी0सी0एफ0)

1350

1053

4

उत्तर प्रदेश को-आपरेटिव यूनियन (पी0सी0यू0)

500

426

5

उ0प्र0 राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद

150

-

6

नेशनल एग्रीकल्चरल को-आपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन आफ इण्डिया लि0 (नैफेड)

100

139

7

एन0सी0सी0एफ0

140

144

8

भारतीय खाद्य निगम

120

94

9

उ0प्र0 उपभोक्ता सहकारी संघ (यू0पी0एस0एस0)

160

209


10

यू0पी0 एग्रो

70

130

11

कर्मचारी कल्याण निगम

60

120


कुल योग

4000

3118

उक्त के अतिरिक्त पंजीकृत सहकारी समितियों, मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सोसाइटी, एफपीओ एवं एफपीसी के क्रय केन्द्र भी खोले जाना प्रस्तावित हैं।

उत्तर प्रदेश में धान खरीद के 4000 केंद्र प्रस्तावित है। 8 अक्टूबर को मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद और बरेली मण्डल के मण्डलीय रबी उत्पादकता गोष्ठी में प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) अलोक सिन्हा ने बताया कि प्रदेश में अब तक 1260 क्रय केंद्र खोले गए हैं। जिनसे धान की खरीदी हो रही है। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश किया कि वो आवश्यकतानुसार केंद्र खुलवाकर निर्धारित समर्थन मूल्य पर धान की खरीद करवाकर किसानों को लाभान्वित करें। रबी की गोष्ठियों में नए बीजों, धान खरीद, पराली प्रबंधन के साथ ही तीनों कृषि बिलों के बारे में भी किसानों को जागरुक किया जाएगा।


आठ अक्टूबर को लखनऊ में जिलाधिकारियों के साथ रबी को गोष्ठी के दौरान धान खरीद की जानकारी लेते कृषि उत्पादन आयुक्त अलोक सिन्हा। फोटो- कृषि विभाग, यूपी

(इनपुट : लखीमपुर और पीलीभीत से मोहित शुक्ला, बाराबंकी से वीरेन्द्र सिंह, सतना से सचिन तुलसा त्रिपाठी, शाहजहांपुर से राम जी मिश्रा और उन्नाव से सुमित)

ये स्टोरी इंग्लिश में आप यहां पढ़ सकते हैं.. Grain Drain: Farmers in Uttar Pradesh sell paddy below government rate to repay loans


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