उत्तर प्रदेश: गेहूं किसानों को राहत, सफाई, उतराई, छनाई का काम खुद किया तो नहीं देने होंगे पैसे

Mithilesh DharMithilesh Dhar   3 May 2020 8:35 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
उत्तर प्रदेश: गेहूं किसानों को राहत, सफाई, उतराई, छनाई का काम खुद किया तो नहीं देने होंगे पैसेगेहूं खरीद केंद्र

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गेहूं किसानों को राहत देते हुए प्रदेश सरकार ने कहा है कि अगर किसान सफाई, उतराई, छनाई का काम खुद करेंगे तो उन्हें अतिरिक्त पैसे नहीं देगे होंगे। इससे पहले किसानों को इन कामों के लिए प्रति कुंतल 20 रुपए लिया जा रहा था, जिसका किसान विरोध कर रहे थे।

प्रदेश में इस बार लॉकडाउन की वजह से 15 दिन देर 15 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद हो रही है। प्रदेश सरकार ने पांच हजार क्रय केंद्रों के जरिये 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। खरीद 10 विभागीय एजेंसियां कर रही हैं। सबसे ज्यादा खरीद केंद्र 3210 यूपी सहकारी संघ के हैं जबकि 650 केंद्र खाद्य एवं रसद विभाग के हैं।

इस बार किसानों को पिछले साल की तरह 20 रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से सफाई, उतराई और छनाई के लिए निश्चित रूप से देना पड़ रहा था। खरीद का सरकारी रेट (एमएसपी) 1,925 रुपए कुंतल है जो पिछले साल से 85 रुपए अधिक है।

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन बढ़ा तो क्या किसानों को फसल कटाई के लिए मिलेगी विशेष छूट?

आयुक्त खाद्य एवं रसद विभाग ने सभी जिलों के खरीद केंद्रों को निर्देश दिये हैं। इसमें लिखा है कि सफाई, छनाई और उतराई के लिए प्रति कुंतल 20 रुपए तय किये गये हैं जिसका वहन किसान खुद करेंगे। 20 रुपए से ज्यादा किसी भी हाल में नहीं लिया जा सकता। जो किसान ये सभी खुद करेंगे, उनसे केंद्र के अधिकारी पैसे नहीं ले सकते। इस काम में केंद्र को कोई भी कर्मचारी माध्यम नहीं बनेगा। किसान अगर ये काम मजदूरों से कराता है तो वह सीधे मजदूर को पैसे देंगे, और अगर इन निर्देशों का पालन नहीं होता सख्त कार्यवाही होगी।

भारतीय किसान यूनियन लंबे समय से मांग कर रहा था कि किसानों से सफाई, छनाई और उतराई के लिए जो पैसे लिए जाते हैं उसमें छूट मिले।

निर्देश की कॉपी

इस बारे में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत कहते हैं, "गेहूं खरीद केंद्रों पर किसानों से प्रति कुंतल 20 रुपए लिये जा रहे थे जो गलत है। किसानों को वैसे ही इस साल बहुत नुकसान हुआ है। ऐसे में उन्हें इससे छूट मिलनी चाहिए थी। मंडी कानून भी कहता है कि तीन रुपए से ज्यादा नहीं लिया जाना चाहिए वह भी तब जब गेहूं की छनाई, तुलाई तराजू से हो तब।"

"अब कटाई भी मशीनों से होती है जिस कारण उसमें सफाई करने जैसा कुछ होता नहीं है। ऐसे में हम सरकार से यह लगातार मांग कर रहे थे कि किसानों को इस अतिरिक्त शुल्क से छूट मिलनी चाहिए।" वे आगे कहते हैं।

यह भी पढ़ें- गेहूं की कटाई पर कोरोना का साया, बिना मजदूर कैसे हो फसल कटाई

भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक का कहना है कि सरकार का फैसला पूरी तरह से किसानों के हित में नहीं कहा जा सकता है। वे कहते हैं, "हम तो यह मांग कर रहे थे कि मंडियों में किसानों से वसूली जाने वाली राशि पूरी तरह से बंद होनी चाहिए, वैकल्पिक क्यों।"

"ऐसे में हमारी मांग जारी रहेगी। सरकार को इस शुल्क को पूरी तरह से खत्म करके दूसरे खर्चे जो किसानों से लिए जाते हैं, उसे भी बंद करने चाहिए।" वे आगे कहते हैं।

वर्ष 2019-20 के रबी सीजन में उत्तर प्रदेश में पिछले साल के 84.09 लाख हेक्टेयर से ज्यादा 84.19 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई है।


केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2019-20 में गेहूं, चावल, मोटे अनाज और दलहन आदि सहित कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 29 करोड़ 19.5 लाख टन होने का अनुमान लगाया है, जो पिछले वर्ष (2018-19) 28 करोड़ 52.1 लाख टन से कहीं अधिक होगा। रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं होती है।

कृषि मंत्रालय भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है। वर्ष 2020 जनवरी के अंत तक तीन करोड़ 36.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई हुई थी जबकि पिछले साल इसी दौरान गेहूं का यह रकबा दो करोड़ 99.3 लाख हेक्टेयर था। कृषि मंत्रालय की फरवरी में आई रिपोर्ट में बताया गया था कि अच्छी बरसात और ज्यादा बुआई से देश में गेहूं की पैदावार 2019-20 में 10 करोड़ 62.1 लाख टन तक पहुंच सकती है। यह गेहूं का अब तक का सबसे ज्यादा उत्पादन होगा।

वर्ष 2018-19 में 10 करोड़ 36 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था जो रिकॉर्ड था। गेहूं रबी (सर्दियों) की मुख्य फसल है। देशभर में लगे लॉकडाउन की वजह से सरकार ने कहा है कि सामाजिक दूरी का पालन करते हुए खेतों में कटाई-मड़ाई का काम किया जा सकता है।

  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.