लॉकडाउन बढ़ा तो क्या किसानों को फसल कटाई के लिए मिलेगी विशेष छूट?

Arvind ShuklaArvind Shukla   11 April 2020 6:47 AM GMT

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कोरोना संकट से जूझ रहे देश में इस वक्त सरकारों के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकना है दूसरा है किसानों की फसल कटाई की।

भारत अब तक कोरोना का संकट मुकाबला काफी अच्छे से कर रहा है और विश्व स्तर पर इसकी तारीफ भी हो रही है। देश में अनाज के गोदाम भरे हुए हैं तो खाद्य संकट नहीं है, खुद पिछले दिनों देश के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि देश में एक साल के लिए पर्याप्त अनाज है। इस बार गेहूं की बंपर पैदावार का अनुमान है। देश के कृषि मंत्री कह रहे हैं कि गेहूं की पैदावार अपनी जरुरत से ज्यादा हुई है तो 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया जाए। ये देश और किसानों के लिए अच्छी बात है लेकिन इसका फायदा तभी होगा जब किसानों की फसल कटकर सुरक्षित किसान के घर और सरकार के गोदामों में पहुंच जाए।

लेकिन जिस तरह लॉकडाउन के चलते सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है आने वाले वक्त में संकट बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार (11 अप्रैल) को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर रहे हैं। माना जा रहा है कि लॉकडाउन बढ़ सकता है क्योंकि यूपी, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, गोवा, छत्तीसगढ़ समेत 9 राज्यों के मुख्यमंत्री लॉकडाउन बढ़ाने की बात कर चुके हैं। पंजाब में एक 30 अप्रैल तक तो ओडिशा में 1 मई तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है।

ग्रामीण भारत में इन दिनों फसल कटाई का वक्त है। रबी की मुख्य फसल गेहूं की हार्वेटिंग हो रही है और कई राज्यों में किसान लॉकडाउन क चलते परेशान भी हैं। ऐसे में माना जा रहा है सरकार फसल कटाई के लिए विशेष छूट भी दे सकती है। अंग्रेजी वेबसाइट द इकनामिक्स टाइम्स की ख़बर के मुताबिक 14 अप्रैल के बाद अगर लॉकडाउन बढ़ता है तो संभव है कि रबी की फसल कटाई में कुछ विशेष छूट देने पर विचार हो।

गेहूं मुख्य खाद्य फसल है और उसका खेतों से कटकर किसानों के घर और सरकारों के गोदाम तक पहुंचना जरुरी है। इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किसानों को सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए कृषि कार्यों, हार्वेटिंग और मंडियों को छूट दी है, सरकारी खरीद की छूट दी है लेकिन जमीन पर किसान कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। पंजाब सरकार ने कंबाइन के लिए सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक की इजाजत दी है।

किसानों के एक बड़ी दिक्कत ये भी है कि अप्रैल मई का ये महीना आग का मौसम भी कहा जाता है। 10 अप्रैल को यूपी के 3 जिलों में आग से सैकड़ों दर्जनों किसानों की खड़ी फसलें जल गईं। यूपी के पीलीभीत, हमीरपुर और बुंदेलखंड में गेहूं की फसल आग में जल गईं। ऐसे में किसान डरे हुए हैं कि कहीं कोई हादसा न हो जाए। सीतापुर के किसान और गेहूं काटने वाली मशीन के कंबाइन मालिक हरभजन सिंह कहते हैं," 2 दिन पहले सुबह-सुबह बहुत बादल आ गए, जिसके बाद मेरे यहां कई किसान आ गए, कई किसानों के फोन आने लगे क्योंकि सबको अपनी फसल कटवानी हैं, क्योंकि अब अगर बारिश हुई तो किसानों के हाथ एक दाना नहीं आएगा किसान मर ही जाएगा।"

गेहूं के लिए आने वाले 15-20 दिन महत्वपूर्ण है। किसानों का कहना है इन दिनों में फसल कटकर नहीं आई और बारिश या ओलावृष्टि हुई तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी। अलग-अलग राज्यों की बात करें तो यूपी, बिहार की बात करें तो यहां कंबाइन मशीनों की दिकक्त नहीं है लेकिन उसके लिए जरुरी कंपोनेंट, कलपुर्जे, मोबिल, दूसरे जरुरी चीजों के लाने ले जाने में किसान परेशान हो रहे हैं। जबकि पंजाब और हरियाणा में मजदूरों की मुख्य समस्या आ रही है। इन राज्यों में पूर्वांचल, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लेबर काम करने जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के बाद इनकी बड़ी संख्या घर लौट आई है।

रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं होती है। कृषि मंत्रालय भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है। वर्ष 2020 जनवरी के अंत तक तीन करोड़ 36.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई हुई थी जबकि पिछले साल इसी दौरान गेहूं का यह रकबा दो करोड़ 99.3 लाख हेक्टेयर था। कृषि मंत्रालय की फरवरी में आई रिपोर्ट में बताया गया था कि अच्छी बरसात और ज्यादा बुआई से देश में गेहूं की पैदावार 2019-20 में 10 करोड़ 62.1 लाख टन तक पहुंच सकती है। यह गेहूं का अब तक का सबसे ज्यादा उत्पादन होगा। वर्ष 2018-19 में 10 करोड़ 36 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था जो रिकॉर्ड था।

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