जानिए क्या है वायरल बुखार, बचने के लिए अपनाएं ये उपाय
बारिश के मौसम में तापमान में काफी उतार-चढ़ाव होता है,इस समय हमें थोड़ा सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इस मौसम में संक्रामक बीमारियां बड़ी तेजी से फैलती हैं
Chandrakant Mishra 5 Aug 2019 8:57 AM GMT
लखनऊ। मौसम में आजकल लगातार परिवर्तन हो रहा है। बारिश के बाद कई दिनों से तेज धूप निकल रही है। मौसम में हो रहे इस बदलाव से वायरल बुखार ने तेजी से पैर पसार लिया है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। इन दिनों सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों से वायरल बुखार से पीड़ित मरीजों की लंबी कतार लगी हुई है। सबसे ज्यादा मरीज बालरोग और मेडिसिन में आ रहे हैं।
वायरल बुखार इन्फ्लूएन्जा या पैरा-इन्फ्लूएन्जा वायरस के के कारण होता है। डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय, लखनऊ के बालरोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया, " यह वायरस सांस के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है और हमारी श्वसन प्रणाली के प्राथमिक अंगों जैसे नाक, गला पर हमला करता है जिस कारण गले में खराश, जुकाम आदि होते हैं। हमारे शरीर की प्रतिरोधक शक्ति उस वायरस को नष्ट करने की कोशिश करती है जिस कारण हमारे शरीर का तापमान बढ़ता है। इसे ही वायरल बुखार कहा जाता है। आजकल आपोडी में वायरल बुखार के सबसे ज्यादा मरीज आ रहे हैं।"
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वायरल बुखार के लक्षण
- तेज बुखार आना
- ठंड लगना
- पूरे शरीर में दर्द होना
- नाक से पानी आना
- गले में खराश
- हल्की खांसी आना
- दस्त होना
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वायरल बुखार संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने से हवा में फैलने वाले वायरस के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है। इस के अलावा मौसम में आए बदलाव के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है जिस के चलते लोग आसानी से इस की चपेट में आ जाते हैं। इन्फ्लुएंजा के वायरस खांसने व छींकने के जरिए 2 से 3 मीटर की दूरी तक के व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं।
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शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के अनुकूल 3-4 दिनों में खुद ही ठीक हो जाता है, लेकिन बुखार तेज हो तो उसे कम करने की दवाएं जैसा पैरासिटामोल, कालपोल दी जाती हैं। बुखार से राहत पाने के लिए रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए और अनावश्यक दवाओं, विशेषरूप से एंटीबायोटिक दवाएं नहीं लेनी चाहिए। रोगी को अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीने के साथ भाप लेना और नमक के गरम पानी के गरारे करने की हिदायत दी जाती है।
हर्बल विशेषज्ञ दीपक आचार्य ने बताया, " इस मौसम में तापमान में काफी उतार-चढ़ाव होता है। इस वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वायरल बुखार और सूक्ष्मजीवी रोग बड़ी तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। बरसात के सीजन में पानी काफी दूषित हो जाता है। बरसात के मौसम में हमें थोड़ा सावधान रहना चाहिए। इस मौसम में पानी को पीने के पहले उसे उबाल लेना चाहिए।"
वायरल बुखार से बचने के उपाय
- बारिश में भीगने से बचें
- साफ पानी पीएं
- तेज धूप में न निकलें
- सब्जियों को अच्छे से पकार खाएं
- छह से आठ लीटर पानी पीएं
- सड़े गले फल न खाएं
- वारयल से पीड़ित मरीज से दूरी बनाएं
- सुपाच्य और पौषटिक भोजन का सेवन करें
- अदरक वाली चाय पीएं
- घर के अंदर पानी इकट्ठा न होने दें
- बीमार होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
बारिश के बाद सक्रिय हो जाता है वायरस
बालरोग विशेषज्ञ डॉ. ओमकार यादव ने बताया, " बारिश के बाद बहुत तेज धूप निकलती है।धूप की वजह से वायरस बहुत तेजी से सक्रिय हो जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है। एक प्रभावित व्यक्ति से दूसरे लोग को तेजी से फैलता है। यदि परिवार में किसी व्यक्ति को वायरल बुखार है तो अन्य सदस्यों को भी इसके होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। ऐसे थोड़ी सावधानी बरतकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।"
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