गेहूं की 80 फीसदी से ज्यादा कटाई समय पर पूरी लेकिन सब्जियों और फल पर कोरोना और लॉकडाउन की मार
कोरोना महामारी की जानलेवा दूसरी लहर के बीच देश में गेहूं समेत कई फसलों की कटाई अपने चरम पर है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कटाई पर कोरोना का असर नहीं पड़ा है। हालांकि सब्जी और फलों की फसलों पर एक बार फिर कोरोना की मार पड़ी है और रेट गिर गए हैं। वहीं कई इलाकों में मजदूरों की समस्या हो गई है।
Arvind Shukla 30 April 2021 1:47 PM GMT
नई दिल्ली/लखनऊ। देश में कोरोना के आतंक के बीच किसानों और कृषि मजदूरों की मेहनत की बदौलत गेहूं समेत दूसरी रबी की फसलों की कटाई लगभग 81 फीसदी से ज्यादा पूरी हो चुकी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद तेजी से जारी है। कोविड और लॉकडाउन का गेहूं, मसूर, चना और उदड़ पर भले ज्यादा असर नहीं हुआ है लेकिन फल-फूल और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को लगातार दूसरे साल घाटा उठा रहे हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के 30 अप्रैल को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 315.80 लाख हेक्टेयर में बोयी गयी कुल गेहूं में से 81.55 प्रतिशत की कटाई पहले ही हो चुकी है। राज्यवार कटाई में भी वृद्धि हुई है और राजस्थान में 99%, मध्य प्रदेश में 96%, उत्तर प्रदेश में 80%, हरियाणा में 65% और पंजाब में 60 प्रतिशत तक कटाई हो चुकी है। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में कटाई अपने चरम पर है और अप्रैल 2021 के अंत तक इसके पूरे होने की संभावना है।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में पारसपानी गांव के युवा किसान शिवम बघेल (26 वर्ष) के मुताबिक गेहूं चना और मसूर की कटाई और बिक्री में उनका यहां दिक्कत नहीं है, लेकिन सब्जी के किसान परेशान हैं।" कोरोना का कहर बढ़ने से पहले हमारे यहां कटाई हो गई थी, एमएसपी पर खरीद भी ठीक है। लेकिन सब्जी वाली फसलें बहुत डाउन जा रही हैं। टमाटर, बैंगन, तरबूज को रेट नहीं मिल रहे। 22 अप्रैल को हमारे यहां मंडी (सरकारी) बंद होने के बाद ज्यादा असर पड़ा है।" शिवम कहते हैं
मध्य प्रदेश के साथ ही हरियाणा और पंजाब के किसानों के मुताबिक भी उनके यहां फसल कटाई में दिक्कत नहीं है। पंजाब में मोगा जिले में थंबनवाड़ा गांव के किसान मलकीत सिंह (40 वर्ष) फोन पर बताते हैं, हमारे पिंड (गांव) के आसपास कटाई लगभग पूरी हो गई है। कोई दिक्कत भी नहीं आई, लेकिन मंडी में 10-12 दिन लग रहे हैं। क्योंकि बारदाना (बोरा) नहीं है। कई जगह धरना प्रदर्शन की नौबत आ गई है।"
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के 29 अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार रबी विपणन सत्र 2021-22 के लिए देशभर में 258.74 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई जिससे 25,08,619 किसानों को न्यूनतम समर्थऩ मूल्य के रुप में 51,100.83 करोड़ रुपये उनके खातों में भेजे गए हैं। मंत्रालय के मुताबिक 29 अप्रैल तक रबी और खरीद दोनों सीजन को मिलाकर देशभर में 715.35 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई जो पिछले वर्ष 651.40 एलएमटी थी। इसके एवज में 1,35,057.43 करोड़ रुपये एमएसपी 107.55 लाख किसानों के खातों में पहुंचे हैं।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों में ये भी कहा गया है कि 158.10 लाख हेक्टेयर में बोयी गयी दालों में से, चना, मसूर, उड़द, मूंग और मटर की कटाई पूरी हो चुकी है। वहीं 48.52 लाख हेक्टेयर (चीनी के मौसम 2020-21) में गन्ने की बुआई की गई थी। इसमें से छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना में कटाई पूरी हो गई है। बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में 92 से 98 प्रतिशत कटाई पूरी हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में 84 प्रतिशत कटाई हो चुकी है और यह मई 2021 के मध्य तक जारी रहेगी।
वहीं दलहन और तिलहन की सरकारी खरीद की बात करें तो उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के 29 अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार 6,09,210.53 मीट्रिक टन दलहन और तिलहन की खरीद की जिससे 3,97,097 किसान लाभान्वित हुए हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में सरसों की बुआई लगभग 70 लाख हेक्टेयर में की गई थी। इसमें से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा और असम में 100 प्रतिशत कटाई हो चुकी है। हरियाणा में कटाई लगभग पूरी (99.95 प्रतिशत) हो चुकी है और पंजाब में लगभग 77 प्रतिशत कटाई हुई है। मूंगफली की, जिसकी बुआई 7.34 लाख हेक्टेयर में की गई है, 62.53 प्रतिशत कटाई हो चुकी है।
किसान कल्याण मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि वर्तमान महामारी की स्थिति के बीच, किसान और खेतिहर मजदूर हर प्रतिकूल स्थितियों के बीच हमारे किसान इस कोशिश में है कि हमारे घरों तक खाना पहुंच सके। उनके इस प्रयास की सराहना होनी चाहिए।
गेहूं कटाई को लेकर उत्तर प्रदेश के हालात दूसरे राज्यों से अलग रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों के चलते एक बड़ा वर्ग उधर व्यस्त रहा, जिसका असर फसल कटाई पर भी नजर आया। प्रदेश में 4 चरणों में हुए पंचायत चुनाव का आखिरी चरण 29 अप्रैल को था, किसानों के मुताबिक 2 मई को मतगणना के बाद खेती के बचे हुए कार्यों में तेजी आएगी। चुनाव के साथ ही इस बार यूपी गांवों में कोविड़ का प्रकोप शुरु हो गया था, इसका अभी असर कटाई पर नजर आया है। चुनाव और कोविड के चलते खेतिहर मजदूरों की उपलब्धता का भी संकट बना हुआ है।
महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान समेत कई राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन है तो यूपी प्रदेश में फिलहाल हफ्ते के दिन लॉकडाउऩ है, शनिवार, रविवार और सोमवार को। जिसका गेहूं और चना समेत कई अनाजों के खुले रेट और सब्जी, फल जैसे खराब होने वाले उत्पादों पर पड़ रहा है।
राजस्थान में बीकानेर जिले के किसान आसूराम गोदारा कहते हैं, "अभी तक फसल कटाई पर कोरोना या लॉकडाउन का ज्यादा असर नहीं पड़ा था लेकिन बाजार पर पूरा असर है। कारोबारी आ नहीं पा रहे, और जो आ रहे हैं वो आगे और रेट गिरने को लेकर डरा रहे हैं कि अभी बेच दो वर्ना आगे जाने क्या हो। इसलिए कई फसलों को किसान कम रेट पर बेच रहे हैं।"
उत्तर प्रदेश की बात करें तो खीरा और तरबूज जैसी गर्मियों में किसानों की कमाई करने वाली फसलों के रेट काफी नीचे चले गए हैं। मंडियों में 15 दिन पहले तक 14-18 रुपए किलो बिकने वाल तरबूज 4-6 रुपए किलो तक में मांगा जा रहा है।
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