जश्न-ए-रेख्ता में इस बार होगा महिला मुशायरा और उर्दू में रामायण

जश्न-ए-रेख्ता में गजलें, सूफी संगीत, कव्वाली, दास्तानगोई, के साथ कई शख्सियतों से बातचीत और फल्मिों के प्रदर्शन इत्यादि के साथ-साथ उर्दू मार्फत के विविध पहलुओं और विरासत को दिखाया जायेगा।

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जश्न-ए-रेख्ता में इस बार होगा महिला मुशायरा और उर्दू में रामायणसाभार: इंटरनेट

नयी दिल्ली (भाषा)। जश्न-ए-रेख्ता का आगाज 14 दिसंबर 2018 को इंडिया गेट के पास मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में किया जाएगा। इस दिन होने वाले जश्न का मुख्य आकर्षण महिला मुशायरा का होना है। इस जश्न में दर्शकों को उर्दू में रामलीला भी सुनने को मिलेगी। यह बात रेख्ता फाउंडेशन की ओर से जारी प्रेस विज्ञ्यप्ति से पता चलती है। उर्दू की यह रामलीला श्री श्रद्धा रामलीला ग्रुप ने तैयार की है।

साभार: इंटरनेट

वडाली भाइयों- पूरन सिंह वडाली और लखविंदर वडाली द्वारा इस जश्न में कव्वाली प्रस्तुत की जाएगी। इस कार्यक्रम का उद्घाटन रामचरितमानस के प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू द्वारा किया जाएगा। यह न केवल प्रख्यात कथावाचक हैं बल्कि उर्दू की भी अच्छी खासी समझ रखते है।

तीन दिन के जश्न में मिलेगा बहुत कुछ

जश्न-ए-रेखता तीन दिन का होगा। इस कार्यक्रम में गजलें, सूफी संगीत, कव्वाली, दास्तानगोई, पैनल चर्चा, कई शख्सियतों से बातचीत और फल्मिों के प्रदर्शन इत्यादि के साथ-साथ उर्दू मार्फत के विविध पहलुओं और विरासत को दिखाया जायेगा। इस जश्न में भारत के रहस्यवादी कवि कबीर और पाकस्तिान के जाने माने लेखक इंतजार हुसैन, फैज अहमद फैज पर सत्रों का आयोजन होगा।

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नूरन बहने करेंगी रूहानी अंदाज़ में जश्न का समापन

शम्शुल रहमान फारुकी, गोपी चंद नारंग, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, विशाल भारद्वाज, जावेद जाफरी, मालिनी अवस्थी, वसीम बरेलवी, कुमार वश्विास, आसिफ शेख, श्रुति पाठक, महमूद फारुकी, उस्ताद इकबाल अहमद खान (दल्लिी घराना के खलीफा), गायत्री अशोकन और सोनम कालरा जैसी सिनेमा एवं साहत्यि की दुनिया की नामी शख्सियतें महोत्सव में शिरकत करेंगी। इस जश्न को 16 दिसंबर को नूरन बहनें अपने रूहानी अंदाज़ के साथ खत्म करेंगी।

साभार: इंटरनेट

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ऐवान-ए-ज़ायका में खा सकेंगे यह लज़ीज़ खाने

खाने के शौकीन लोग ठेठ अवधी, मुगलई, हैदराबादी, अफगान, बिहारी, कश्मीरी मिजाज के लजीज खानों और पुरानी दिल्ली के मशहूर स्ट्रीट फूड का जायका ऐवान-ए-ज़ायका में ले सकेंगे। रेख्ता फाउंडेशन के संस्थापक संजीव सराफ ने कहा, "मेरा मानना है कि किसी समाज के फलने-फूलने के लिए भाषा के जरिये सोच की अभव्यिक्ति बेहद अहम है और अगर कोई भाषा जो बड़े प्यार से लोगों के दिलों के तारों को झंकृत करती है वह उर्दू है।"

"जश्न-ए-रेख्ता 2018 का मकसद विभेदों को पाटना और लोगों को एक-दूसरे और भाषा से करीब लाना है।" यह बात उन्होंने बताई।

   

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