इस गांव में पक्षियों की भाषा में बात करते हैं लोग, यूनेस्को की हेरीटेज लिस्ट में शामिल

Kanchan PantKanchan Pant   1 Feb 2019 11:30 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
इस गांव में पक्षियों की भाषा में बात करते हैं लोग, यूनेस्को की हेरीटेज लिस्ट में शामिलचिड़ियों की आवाज़ में बात करने वाला गांव

'पंछी बनूं, उड़ती फिरूं आज गगन में…' पक्षियों की तरह उड़ने का अरमान तो शायद आपका पूरा ना हो, लेकिन पक्षियों की तरह बात बात करना चाहते हैं, तो मुमकिन है। दुनिया में एक जगह है, जहां लोग बर्ड लैंग्वेज, यानी पक्षियों की भाषा में बात करते हैं। ये जगह है टर्की का गिरेसुन प्रांत। करीब 10 हज़ार की आबादी वाले इस पहाड़ी इलाके के लोग एक दूसरे से बर्ड लैंग्वेज में बात करते हैं। यूनेस्को ने इस अनोखी भाषा को अब अपनी कल्चरल हैरीटेज की सूची में डाल दिया है।

टर्की का ये अनोखा गाँव बोलता है पंक्षियों की भाषा।

क्या है बर्ड लैंग्वेज?

आसान शब्दों में कहें तो बर्ड लैंग्वेज तरह-तरह की आवाज़ों, ख़ासतौर पर सीटियों की मदद से संवाद करने की कला है। ये कला कोई 500 साल पुरानी है। उस वक्त जब यातायात के साधन नहीं थे, गाड़ियां नहीं थी, मोबाइल फोन नहीं थे, ऐसे में अगर पहाड़ी इलाक़ों में दूसरे छोर पर रहने वाले शख्स तक तुरंत कोई संदेश पहुंचाना हो, तो कैसे पहुंचाया जाए? इस समस्या का हल टर्की के ओट्टोमैन एम्पायर के लोगों को प्रकृति से मिला। पक्षियों को देख सुनकर इलाक़े के लोगों ने अपनी एक ख़ास भाषा ईजाद की, जिसमें शब्द नहीं हैं, सिर्फ तरह-तरह की सीटियां हैं। बर्ड लैंग्वेज की हर सीटी का एक अलग मतलब है। हाई-पिच की वजह से ये सीटियां बहुत दूर तक सुनाई देती हैं। इसलिए लोगों को किसी तक कोई संदेश पहुंचाने के लिए मीलों चलकर नहीं जाना पड़ता था, या चिल्ला-चिल्लाकर नहीं बोलना पड़ता था, बस कुछ सीटियां उनका संदेश सामने वाले तक पहुंचा देती थीं।

ये भी पढ़ें- किताबों के गांव में आपका स्वागत है , यहां हर घर में बनी है लाइब्रेरी

पीढ़ियों से चली आ रही है परंपरा

टर्की के ब्लैक सी इलाके के इस प्रांत सैकड़ों सालों से ये भाषा बोली जाती रही है। लेकिन बदलते वक्त और मोबाइल फोन जैसी टेक्नोलॉजी के आ जाने के बाद बर्ड लैंग्वेज इस छोटे से इलाक़े में सिमटने लगी है। सैकड़ों सालों तक परिवार के बड़े-बूढ़े अपनी अगली पीढ़ी को ये कला सिखाते रहे, लेकिन अब बर्ड लैंग्वेज जानने वाले, होठों, जीभ और अंगुलियों की मदद से अलग-अलग तरीके की सीटियां निकालने वाले लोग धीरे-धीरे बूढ़े हो रहे हैं, और नई पीढ़ी इस प्राचीन कला को सीखने में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रही है, इसलिए ये अनोखी कला धीरे-धीरे ख़त्म हो रही है।

बर्ड लैंग्वेज को बचाने की मुहिम

एक वक्त था जब स्पेन के कैनेरी आयलैंड से लेकर मैक्सिको और ग्रीस के गांवों तक में बर्ड लैंग्वेज बोली जाती थी, लेकिन आज इस भाषा को जानने वाले दुनिया में सिर्फ 10 हज़ार लोग बचे हैं। ये अनोखी भाषा बची रहे, इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने 2014 से प्राइमरी स्कूलों में बर्ड लैंग्वेज की पढ़ाई शुरू करवा दी है। इस कोशिश का नतीजा ये है कि टर्की के कुछ गांवों में लोगों ने बर्ड लैंग्वेज को फिर से अपनाना शुरू कर दिया है।

ये भी पढ़ें- एक आइडिया ने बदल दी गाँव की सूरत, आज दुनिया में 'इंद्रधनुषी गाँव' नाम से है फेमस

  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.