एम-सेहत से लोगों को मिलेगा बेहतर स्वास्थ्य

Swati ShuklaSwati Shukla   24 Jun 2016 5:30 AM GMT

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लखनऊ। आशाबहू, एएनएम और डॉक्टर मरीजों को बेहतर सुविधाएं दे सकें, इसके लिए प्रदेश सरकार ने एम-सेहत प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। इसके जरिए गर्भधारण कर चुकी महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और दम्पत्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी हुई सारी जानकारी दी जाएगी। साथ ही विभाग स्मोर्ट फोन के जरिए आशा बहुओं, एएनएम और डॉक्टरों के कार्यों पर भी नजर रख सकेगा।

फिलहाल 10,016 आशा बहुओं को स्मार्ट फोन दिया गया है। जिन जिलों में स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी नहीं थी, उन जिलों का पहले चयन किया गया है। पहले दौर में फैजाबाद, सीतापुर, कन्नौज, मिर्जापुर, बरेली में इसे पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। एम-सेहत के लिए अब 10 जिलों को और चयनित किया जा रहा है। 

पांच जिले के 65 ब्लॉकों की आशा बहुओं, एएनएम और डॉक्टरों को स्मार्ट फोन दिया गया है, जिनसे साढ़े पांच करोड़ लोगों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां दी जाएंगी। जिसमें से 10,190 आशा बहुओं का चयन किया गया है, जबकि 10,016 आशा बहुओं को स्मार्ट फोन दिए जा चुके हैं। वहीं 1,552 एएनएम को टैबलेट दिया गया है। 65 डॉक्टरों को टैबलेट दिए गए हैं।

इन स्मार्ट फोन पर पहले से ही एम-सेहत इंस्टॉल है, इसके जरिए आशा बहुएं अपने क्षेत्र में सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के लाभार्थियों की जानकारी अपलोड कर सकेंगी। इस फोन का इस्तेमाल बातचीत या नेट सर्फिंग के लिए नहीं किया जा सकेगा। अगले चरण में यह प्रोजेक्ट को पूरे उत्तर प्रदेश में शुरू किया जायेगा। अब तक इस प्रोजेक्ट पर करीब 27.5 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी सारी जानकारियां मां के मोबाइल पर एम-सेहत के जरिए समय-समय पर दी जायेंगी। यही नहीं जब बच्चा पिता बनेगा तो उसके बच्चे के जानकारी भी एम-सेहत पर अंकित होगी। 

इस सॉफ्टवेयर का काम केल्टन टैक सॉल्यूशन कंपनी देख रही है। क्षेत्रवार डाटा आने के बाद आशा बहू, एएनएम को पता चलता रहेगा कि उनके क्षेत्र में किस गाँव की किस महिला या बच्चे के टीकारण का समय हो गया है। 

स्मार्टफोन चलाने की ट्रेनिंग 

स्मार्ट फोन चलाने के लिए आशा बहू और एएनएम को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण को कई चरणों में दी जा रहा है। पहले एक दिन का प्रशिक्षण है, उसके बाद चार दिन, दो दिन, नौ दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है। स्मार्ट फोन के द्वारा निरीक्षण करने के लिए प्रत्येक ब्लॉक में एक व्यक्ति का चयन किया गया है। जिले में दो व्यक्ति होंगे जो स्मार्ट फोन का तकनीकी कार्य देखेंगे। इस फोन पर एक व्हाटसप ग्रुप बनाया गया है, जिस पर जिला मजिस्ट्रेट, जिला चिकित्सा अधिकारी जुड़े हैं।

 

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