बिटिया सयानी हो गई अब जल्दी इसका ब्याह कर दो

Neetu SinghNeetu Singh   10 April 2017 9:48 PM GMT

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बिटिया सयानी हो गई अब जल्दी इसका ब्याह कर दोसख्त कानून होने के बावजूद अब भी लोग कम उम्र में कर देते हैं लड़कियों की शादी। 

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बहराइच/ललितपुर/लखनऊ। बाल विवाह के सख्त कानून बनने के बावजूद भी प्रदेश के कई जिलों में आज भी लोग अपनी लड़कियों की शादी 10-15 वर्ष की उम्र में ही कर देते हैं। जो उन लड़कियों के लिए आगे चलकर बड़ी समस्या बन जाती है।

बहराइच जिले के बेहड़ा गाँव की चुन्नी देवी (50 वर्ष) कहती हैं, “ज्यादा दिन तक बिटिया को घर बिठाना ठीक नहीं है, बिटिया सयानी हो जाए तो शादी कर दो। कुछ ऊंच-नीच हो जाए तो लोग क्या कहेंगे। जमाने के डर से हमने अपनी नातिन की शादी 11 साल की उम्र में कर दी गौना पांच साल बाद दिया।”

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ये सोच सिर्फ चुन्नी देवी की नहीं है, बल्कि प्रदेश के कई जिलों के महिला और पुरुष भी इसी सोच के साथ अपनी बेटियों की कम उम्र में शादी कर देते हैं। जनगणना 2011 के आंकड़ों अनुसार, बाल विवाह गैर कानूनी होने के बावजूद भारत में करीब एक करोड़ 20 लाख बच्चों की शादी 10 साल की उम्र में हो चुकी है। बाल विवाह करने वालों में सबसे ज्यादा 84 फीसदी हिंदू हैं और बाकी 11 फीसदी मुस्लिम समुदाय से हैं। बाल संरक्षण के लिए विश्वभर में काम करने वाली संस्था यूनिसेफ के अनुसार दुनिया में बाल विवाह सबसे अधिक 40 फीसदी भारत में होते हैं। बच्चों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना-2005 के अनुसार, भारत के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल विवाह को पूर्ण रूप से समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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ललितपुर जिले में वर्ष 2015 में 200 बाल-विवाह हुए। बुन्देलखण्ड डेवलपमेन्ट फाउन्डेशन के सचिव सुधीर कुमार त्रिपाठी (40 वर्ष) बताते है, “वर्ष 2015 में 40 गाँवों में बाल विवाह मुद्दों पर सर्वे कराया। सर्वे में 197 बालविवाह की पुष्टि हुई, जिसमें 105 किशोरियां विदा हुईं, जबकि 92 किशोरियां बहू बनकर गाँवों में आईं।” वो आगे बताते हैं, “कानूनन विवाह कि उम्र भले ही किशोरियों की 18 व पुरुषों की 21 वर्ष हो, किन्तु ललितपुर जनपद में ग्रामीण अंचलों में 14 से 18 वर्ष के बीच किशोरियों की एवं 16 से 21 वर्ष के बीच किशोरों की शादी कर दी जाती है।”

बाल-विवाह रोकने के लिए बने हैं कानून

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2006 में बाल विवाह प्रतिषेध कानून 2006 बनाया गया जो नवम्बर 2007 में जम्मू-कश्मीर छोड़कर पूरे देश में लागू किया गया। इस अधिनियम के सेक्शन-9 के अनुसार कोई बालिग पुरुष जो 18 वर्ष से ऊपर का है और किसी नाबालिग से विवाह करता है, साथ ही कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह आयोजित करता है, बढ़ावा देता है। इन लोगों को दोषी पाए जाने पर दो वर्ष तक का सश्रम कारावास या एक लाख का जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

कैसे रोकें बाल विवाह

बाल विवाह रोकने के लिए परिवार का कोई भी सदस्य, गाँव का मुखिया, आशा, आंगनबाड़ी, बाल सरक्षण समिति के सदस्य जिनकी शादी हो रही है वो खुद भी 100,1090 शिकायत कर सकते हैं। महिला एवमं बाल विकास विभाग द्वारा हर जिले में तैनात प्रोबेशन अधिकारी को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ों के अनुसार भारत में 47.4 फीसदी लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले और उत्तर प्रदेश में डीएलएचएस (परिवार को मिल रही सुविधाओं का जिला स्तरीय सर्वेक्षण) के आंकड़ों के अनुसार 54.9 फीसदी लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है। जिसमें प्रदेश के 33 जिलों की स्तिथि बहुत दयनीय है। उत्तरप्रदेश के जनपद श्रावस्ती 82.9 फीसदी, महाराजगंज 82.4 फीसदी, तथा बहराइच में 79 फीसदी बाल विवाह होता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक 15 साल में बाल-विवाह 11 फीसदी घटे हैं लेकिन ये रफ्तार अभी भी बहुत धीमी है।

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