हार्ट अटैक और एक्सीडेंट के घायलों की जान बचानी है तो रखें इन बातों का ध्यान

Arvind ShuklaArvind Shukla   18 May 2019 7:15 AM GMT

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हार्ट अटैक और एक्सीडेंट के घायलों की जान बचानी है तो रखें इन  बातों का ध्यानहार्ट अटैक के मरीज की जान बचाने के लिए उपयोगी टिप्स।

लखनऊ। आपको पता है क्या कि भारत में हर 33 सेकेंड में एक व्यक्ति की हार्ट अटैक यानि दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है। इनमें आधी से ज्यादा जिंदगियां बचाई जा सकती हैं, अगर शुरुआत के 7 से 40 सेकेंड लोग संयम से काम लें और नीचे दिए गए टिप्स को फॉलो करें, यानि ऐसे हालातों के लिए जो सुझाव दिए गए हैं, उन्हें अपनाकर हम किसी की जान बचा सकते हैं।

हार्ट अटैक तब आता है जब दिल को खून पहुंचाने वाले तीनों नसें, (कोरोनरी) में रुकावट या कोई बाधा आ जाती है। ये बाधा इन नसों में चर्बी (प्लैग) जमा हो जाने से आती है। लखनऊ में केजीएमयू में हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. वीएस नारायण बताते हैं, " दिल को खून पहुंचान वाली नसों में रुकावट या बाधा आने पर ही दिल का दौरा पड़ता है। डॉक्टरों के मुताबिक दिल के दौरे के ज्यादातर मरीजों की जान बचाई जा सकती है, अगर उन्हें तुरंत चिकित्सकीय मदद मिल जाए। भारत समेत पूरी दुनिया में लोगों को समय-समय पर इस बात के लिए जागरुक किया जाता है कि उन्हें आपात परिस्थतियों में क्या करना चाहिए।

सरकार कौशल विकास के अंतर्गत ऐसे युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जो अपने इलाके में काम करके न सिर्फ लोगों की जान बचा सकते हैं बल्कि रोजगार के रुप में भी अपना सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के जिन 24 कोर्स को योजना में शामिल किया गया है, 'इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन एडवांस' उनमें से एक है।

लखनऊ में ग्राम स्वराज अभियान के आखिरी दिन लखनऊ के इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कौशल विकास और आजीविका मेले में अपोलो मेडिस्किल की तरफ से लगाई गए केंद्र में प्रशिक्षित युवक-युवतियों ने लोगों को आपातकाल में कैसे लोगों की जान बचाई जाए, कैसे घायलों को अस्पताल पहुंचाया जाए, हार्ट अटैक के दौरान क्या करना चाहिए, किन उपकरणों को ध्यान रखना चाहिए के बारे में जागरुक किया।

'इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन एडवांस' का कोर्स कर चुके जय सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया, विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट में पाया गया है कि 90 फीसदी मरीजों की जान वक्त पर समय इलाज न मिलने के कारण होती है। क्योंकि हार्ट अटैक समेत कई केस में 7 से 22 सेकेंड में इलाज मिलना जरुरी होता है। हम लोगों को इसी बात की ट्रेनिंग दी गई है कि ऐसे हादसों के दौरान क्या करें, ताकि मरीज की जान बच जाए।

हार्ट अटैक के सभी मामलों में से 25 प्रतिशत साइलेंट हार्ट अटैक के होते हैं। साइलेंट हार्ट अटैक से मरीज़ की मौत हो सकती है। साइलेंट हार्ट में मरीज को हार्ट अटैक होता है और उसे पता भी नहीं चलता। हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई नहीं देना, मरीज़ द्वारा लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देना या फिर इन्हें समझ ही न पाना साइलेंट हार्ट अटैक के कारण हैं। साइलेंटहार्ट अटैक ज़्यादा घातक होते हैं। इसीलिए हार्ट अटैक के लक्षणों के बारे में जानना बहुत ज़रुरी है। कोई भी लक्षण महसूस होने पर, चाहे वो हल्का ही क्यों न हो और कुछ ही समय के लिए ही क्यों ना हो, डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए।

लक्षण

पसीना आना एवं सांस फूलना, छाती में दर्द होना एवं सीने में ऐंठन होना, हाथों, कंधों, कमर या जबड़े में दर्द होना, मितली आना, उल्टी होना, त्वचा पर चिपचिपाहट, उनींदापन, सीने में जलन महसूस होना, असामान्य रूप से थकान होना।

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