कचरे से कलाकारी: प्लास्टिक कचरे से इको-फ्रेंडली उत्पाद बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

महाशक्ति सेवा केंद्र, भोपाल में एक महिला-नेतृत्व वाली गैर-लाभकारी संस्था, प्लास्टिक कचरे से लैपटॉप बैग, टोकरी, पर्दे और कालीन बना रही हैं। ये महिलाएं पर्यावरण संरक्षण तो कर ही रहीं हैं, साथ ही उनकी आमदनी का एक जरिया भी मिला है।

Satish MalviyaSatish Malviya   13 Oct 2022 8:30 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

भोपाल, मध्य प्रदेश। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की सामान्य स्थिति में लौटने में मदद करने के लिए एक प्रयास शुरू हुआ जो आज मिसाल बन रहा है, आज मध्य प्रदेश की राजधानी में महिलाओं के लिए आजीविका के साधन उपलब्ध करा रहा है।

तीन दशक पहले 1992 में स्थापित, भोपाल स्थित गैर-सरकारी संगठन, महाशक्ति सेवा केंद्र, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण दोनों पर काम कर रहा है। पिछले छह महीनों से, इसकी एक परियोजना के हिस्से के रूप में, भोपाल के निचले आर्थिक तबके की महिलाएं प्लास्टिक कचरे से लैपटॉप बैग, टोकरी, पर्दे और बैग जैसे उत्पाद बना रही हैं।

"यह सवाल कि हम चैरिटेबल काम को पर्यावरण संरक्षण से कैसे जोड़ सकते हैं, जीवन में मेरे मिशन में हमेशा सबसे आगे रहा है। इसने हमें बाजार में बेचने लायक उत्पादन तैयार करने के लिए प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल के विचार के साथ आने के लिए प्रेरित किया, जिससे मुनाफा कमाया जा सकता है," महाशक्ति सेवा केंद्र की निदेशक पूजा अयंगर ने गाँव कनेक्शन को बताया।

इस बीच, महिला समूह न केवल प्लास्टिक से रिसाइकल उत्पादों के निर्माण तक ही सीमित है, बल्कि स्वास्थ्य जैसे विषयों पर जागरूकता बढ़ाकर महिलाओं को लाभान्वित करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन भी करता है।

हर महीने, महिलाओं के नेतृत्व वाली गैर-लाभकारी संस्था अपने भागीदारों से लगभग 60 किलोग्राम मल्टीलेयर प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करती है, और पिछले छह महीनों में, इसने उत्पादों के निर्माण में लगभग 300 किलोग्राम प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया है।

अयंगर ने कहा, "हमारे ग्राहक खुद हमें अपने घरों में इस्तेमाल होने वाले मल्टीलेयर प्लास्टिक कचरा देते हैं। इस तरह के कचरे में चिप्स, बिस्कुट, टेट्रापैक और अन्य खाने के लिए तैयार स्नैक्स जैसे खाद्य पदार्थों के रैपर शामिल हैं।"

एनजीओ की निदेशक ने गाँव कनेक्शन को बताया कि लैपटॉप बैग, हैंडबैग या टोकरी जैसे उत्पाद बनाने में लगभग दो किलोग्राम प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया जाता है और इस तरह के कम से कम पांच किलोग्राम कचरे का उपयोग भारी उत्पाद जैसे एक कालीन बनाने में किया जाता है।

एनजीओ, महाशक्ति सेवा केंद्र, जो पूरी तरह से महिलाओं द्वारा प्रबंधित है, स्थायी आजीविका प्रदान करने के सिद्धांत पर काम करता है और महिलाओं को कौशल में मदद करने और उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद करने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।

दो बच्चों की 42 वर्षीय मां कीर्ति लोधी एनजीओ की उन 15 महिलाओं में से एक हैं, जो मल्टीलेयर रीसाइक्लिंग परियोजना से जुड़ी हैं और उत्पादों के उत्पादन और बिक्री से लाभान्वित हुई हैं।


"मैं पिछले तीन साल से नारी शक्ति केंद्र [एनजीओ] में काम कर रही हूं। पहले मैं अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए पूरी तरह से अपने पति की कमाई पर निर्भर थी। जोकि एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। मेरे बच्चों की पढ़ाई पर अक्सर असर पड़ता था। लेकिन जब से मैं यहां काम कर रही हूं, मैं आसानी से 6,000 रुपये हर महीने कमा लेती हूं, जिससे यह सुनिश्चित हो गया है कि मेरे बच्चे बिना किसी रुकावट के पढ़ाई कर सकें।"

लोधी ने कहा, "इसके अलावा, जब से मैंने अपने परिवार की कमाई में योगदान देना शुरू किया है और अपने बच्चों की शिक्षा के लिए फंडिंग की जिम्मेदारी ली है, मैं अपने घर में अपने लिए सम्मान की भावना महसूस करती हूं।"

एनजीओ के निदेशक अयंगर ने गाँव कनेक्शन को बताया कि एकत्रित प्लास्टिक के रैपरों को पहले धोया जाता है और फिर लंबी चादरों में फैलाकर सुखाया जाता है।

"इसे लंबी चादरों में काटने के बाद, हम इसे एक सूती कपड़े से एक साथ सिलाई करते हैं और इस तरह बनाए गए कपड़े का उपयोग लैपटॉप बैग, सजावटी टुकड़े, कालीन, हैंड बैग और यात्रा बैग जैसे विविध उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है। इनमें से कुछ वाटर प्रूफ भी हैं, "उन्होंने समझाया।


ये उत्पाद न केवल घरेलू बाजारों में बेचे जाते हैं बल्कि जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक के ग्राहकों को तक पहुंचते हैं।

"हम 700 रुपये में एक हैंडबैग और 600 रुपये में एक लैपटॉप बैग बेचते हैं। जब उत्पादों को विदेश भेजा जाता है, तो निश्चित रूप से, अतिरिक्त कूरियर शुल्क होते हैं जो ग्राहकों द्वारा वहन किए जाते हैं। वे खुशी-खुशी ऐसा करते हैं क्योंकि हम उनसे केवल मेहनत के लिए शुल्क लेते हैं," एनजीओ निदेशक ने कहा। उन्होंने कहा, "कच्चा माल हमें मुफ्त में उपलब्ध है जो पहले से ही बाजार में संबंधित उत्पादों की तुलना में कीमतों को कम रखता है।"

इस बीच, महिला समूह न केवल प्लास्टिक से रिसाइकल उत्पादों के निर्माण तक ही सीमित है, बल्कि स्वास्थ्य जैसे विषयों पर जागरूकता बढ़ाकर महिलाओं को लाभान्वित करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन भी करता है।

तमिलनाडु के रहने वाले एक कार्यकर्ता अमोधा ने गाँव कनेक्शन को बताया, "यह हमें उन मुद्दों के बारे में आत्म-जागरूक बनने में मदद करते हैं जो हमारे लिए प्रमुख महत्व रखते हैं। अगर हमें जीवन में किसी भी पारिवारिक समस्या का सामना करना पड़ता है तो हमें भी सलाह दी जाती है।"

अमोधा के पति भोपाल में एक मेडिकल स्टोर में काम करते हैं और एक सेल्समैन के रूप में उनकी कमाई ने उन्हें कभी भी अपना घर बनाने के बारे में सोचने के लिए प्रेरित नहीं किया।

"अब, मैं अपने घर के बारे में सोच सकती हूं। यहां एनजीओ में मेरे काम से अतिरिक्त आय के लिए धन्यवाद। इसने मुझे अपने बारे में और अधिक आश्वस्त किया है, "उन्होंने आगे कहा।

#Bhopal #eco-friendly #story #video 10000 Creators Project 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.