खड़ी फसल बर्बाद कर रहे छुट्टा पशु, लागत निकालना भी हो रहा मुश्किल

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अंजनी मिश्रा, कम्‍युनिटी जर्नलिस्‍ट

यूपी में छुट्टा मवेशी किसानों को लिए सिरदर्द बन गए हैं। गाय, बैल आदि पशु फसलों को चर रहे हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। फसल को बचाने के लिए किसानों को रात-दिन खेत में ही गुजारा करना पड़ रहा है। इससे किसान और कोई काम नहीं कर पा रहे हैं।

ऐसा ही हाल अमेठी के शाहगढ़ ब्लॉक के दक्खिन गांव का है। यहां के किसानों ने गौरीगंज कलेक्ट्रेट पहुंचकर उपजिलाधिकारी तक छुट्टा पशुओं की शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। किसानों का कहना है कि छुट्टा पशु खेत को लगातार चर रहे है, और हम गरीब किसान मेहनत मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते है अगर रोज हम अपने खेत की रखवाली करेंगे तो क्या कमायेंगे और खायेंगे।

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स्‍थानीय निवासी सुमन ने बताया "गांव में छुट्टा पशुओं की संख्‍या बहुत बढ़ गई है। जिसकी वजह से परेशानी के सामना करना पड़ता है। न रात में सोने को मिलता है न दिन में सोने को मिलता है। इनकी वजह से लोग काम पर भी नहीं जा पाते है।"

पछेला गांव की रहने वाली उषा देवी ने बताया "यहां छुट्टा पशु एक ही बार में पूरी फसल बर्बाद कर देते हैं। इनकी संख्‍या 100 से अध‍िक हो गई है। इनके कारण कोई काम नहीं हो पा रहा है, ऐसे में हमारे बच्चों का खर्चा कैसे पूरा होगा, उनको कमाकर कौन खिलाएगा और हम सबके बाल बच्चे कैसे जीवन यापन करेंगे। वैसे ही खेती करने की प्रथा खत्म हो रही है।

वहीं गांव की निर्मला देवी ने बताया कि जानवर पूरी फसल चर डाल रहे हैं। हम दिन-रात जानवरों के पीछे ही भागते रहते हैं। अब तो ऐसा लग रहा है जैसे मानो हम लोगों की जिंदगी इन जानवरों को भगाते हुए बीत जाएगी।

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वहीं छात्रा प्र‍िम्‍पी दुबे ने कहा कि ये छुट्टा पशु बस खेतों ही नहीं बल्‍कि सड़कों पर भी मंडरा रहे हैं। लोगों को घर से निकलने में भी डर लगता है कि कही कोई जानवर उन्‍हें मार न दें। इन पशुओं की वजह से हम सबको स्कूल जाने में परेशानी हो रही है, हम सब कई दिनों से स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं।

अमेठी पशुपालन विभाग के मुख्य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ. रमेश पाठक ने बताया "मुख्यमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना निराश्रित बेसहारा गोवंश को रखने के लिए गोशाला तैयार किया गया है जिसमें हर ब्लॉकों में कम से कम तीन गौशाला में बनाई गई। शाहगढ़ ब्लॉक में एक राजापुर कोहार में गौशाला बनी हुई है, उस गौशाला में अभी 10 से 12 जानवर हैं, उसमें ले जाकर इन जानवरों को गांव वालों की सहायता से डाला जाएगा। उनके साथ हमारे कर्मचारी भी मौजूद रहेंगे।

   

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