'सरकार की योजनाएं तो बहुत हैं, लेकिन हम तक पहुंचती नहीं'

Divendra SinghDivendra Singh   10 July 2019 7:11 AM GMT

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प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश)। विमला देवी गीली लकड़ियों से चूल्हा चलाने की कोशिश में लगी हुई हैं, उन्हें जल्दी खाना बनाकर मजदूरी पर निकलना है, घर से निकलने से पहले ये भी डर है कि इस बरसात में उनका मिट्टी की दीवार वाला कच्चा घर न गिर जाए।

प्रतापगढ़ के शिवगढ़ ब्लॉक के भिखनापुर की रहने वाली विमला देवी के पति के मौत कई साल पहले हो गई थी, कई साल बीत जाने के बाद भी न उन्हें आवास मिल पाया, न उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलिंडर और न ही विधवा पेंशन मिल रही है।


अपनी गिरते कच्चे घर के चौखट पर बैठी विमला देवी कहती हैं, "न मुझे आवास मिला, न ही गैस मिली है, सात लोगों का घर चलाना कितना मुश्किल हो सकता है। मजूदरी करके किसी तरह घर चल रहा है।"

भारत सरकार ने 2016 में उत्तर प्रदेश के बलिया से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी। उज्ज्वला योजना का मकसद था घर-घर रसोई गैस पहुंचाना, लेकिन योजना के तीन साल बीत जाने के बाद हक़ीक़त ये है कि अभी भी कई परिवारों को सिलिंडर नहीं मिल पाए, कई ऐसे भी घर हैं, जिन्हें सिलिंडर और गैस चूल्हा तो मिला, लेकिन अभी भी मिट्टी का चूल्हा ही जल रहा है।

यही हाल प्रतापगढ़ जिले के सदर ब्लॉक के बरेछा गाँव की मीता का भी है। सई नदी के किनारे अपनी भैंस को चराने आयी मीता कहती हैं, "न मुझे सिलिंडर मिला है न आवास, प्रधान के पास जाओ तो कहते हैं कि मिल जाएगा, लेकिन कुछ मिल नहीं पाया है।"


प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत साल 2011 की जनगणना के हिसाब से बीपीएल परिवारों को इस योजना का लाभ मिल सकता है। सरकार के अनुसार देश के आठ करोड़ बीपीएल परिवारों को एलपीजी परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है।

मीता के परिवार में बारह लोग हैं, तीन बेटे मजूदरी करते हैं, मजदूरी करके किसी तरह घर चलता है। पहले कुछ खेती से भी मिल जाता था, लेकिन अब छुट्टा जानवरों की वजह से खेत में भी पेदावार नहीं हो पाती है।

बरेछा गाँव के ही सरजू प्रसाद के परिवार में कोई नहीं, वो अपने भाई के परिवार के साथ रहते हैं। वो बताते हैं, "भतीजों के साथ रहता हूं, भतीजे की पत्नी एक बार प्रधान के पास पूछने भी गई कि हमें गैस क्यों नहीं मिली, प्रधान ने कहा कि मिल जाएगी, लेकिन अब तक नहीं मिल पायी है।

साल 2016 में ग्रामीणों को पक्का मकान उपलब्ध कराने के लिए इंदिरा आवास योजना की शुरूआत की गई थी, इसी योजना को 2016 में केंद्र सरकार ने प्रधान मंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में बदल दिया था। योजना के तहत, साल 2022 तक सभी कच्चे घरों में रहने वाले लोगों को पक्का घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश में आवास के लिए 1,20,000 रुपए तीन किस्तों के रूप में लाभार्थियों को मिलते हैं।


यही हाल उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के कल्जीखाल ब्लॉक के बिलखेत का है। यहां की सुशीला का है, न तो उन्हें विधवा पेंशन मिलती है और न ही अब तक उज्ज्वला योजना का लाभ मिल पाया। वो कहती हैं, "जिनके पास खुद का गैस सिलिंडर था, उन्हें दोबारा मिल गया, मुझे नहीं मिला। बेटे बहु गाँव छोड़कर बाहर बस गए, पेंशन तक नहीं मिलती, ग्राम प्रधान के पास जाओ तो ब्लॉक भेजते हैं, ब्लॉक पर जाओ तो कहते हैं कि तुम्हारे नाम पर पेंशन जा रही है। अगर मेरे नाम पर पेंशन मिल रही है तो किसे मिल रही है।"

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