कैसा स्वच्छ भारत अभियान, शौचालय में खुली दुकान

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कैसा स्वच्छ भारत अभियान, शौचालय में खुली दुकानgaonconnection

इटवा (सिद्धार्थनगर)। केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान पर ये सवालिया निशान है कि क्षेत्र के सार्वजनिक शौचालय में दुकान खोल दी गई है। लोगों को अभी भी खुले में शौच जाना पड़ता है। यही नहीं ग्रामीण महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए एएनएम सेन्टर बनाए गए हैं, लेकिन एनएमएम सेन्टर में नर्स कभी आती ही नहीं है। ग्राम प्रधान ने उसे किराए पर दे रखा है। सार्वजनिक शौचालय के सामने चाय की दुकान चल रही है।

सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से लगभग 49 किमी. दूर इटवा ब्लॉक के इटहिया गाँव में आठ वर्ष पहले 25 लाख की लागत से ग्राम सचिवालय, एएनएम सेन्टर और सामूदायिक शौचालय बनाया गया था। इन सभी का प्रयोग एक बार भी नहीं किया गया।

इटहिया के रहने वाले सुरेन्द्र पाण्डेय (45 वर्ष) बताते हैं, “शौचालय कभी चला ही नहीं, न ही सचिवालय में कभी काम हुआ। एनएनएम भी कभी नहीं आती हैं, जबकि गाँव की महिलाओं की सुविधा के लिए गाँव के पास में ही एनएमएम सेन्टर बनाया गया था, लेकिन कभी एएनएम ही नहीं आयी।”

साल 2008 में गाँव के ग्राम प्रधान माधव प्रसाद यादव के समय इन सभी को बनाया गया था। सचिवालय और एएनएम सेन्टर का निर्माण पंचायत विभाग ने और सामुदायिक शौचालय का निर्माण ग्राम प्रधान ने कराया था। सचिवालय का भवन तो पूरी तरह से गिर गया है, खिड़की दरवाजे भी लोग उखाड़ ले गए हैं!

पूर्व ग्राम प्रधान माधव प्रसाद यादव कहते हैं, “हमारे समय में सचिवालय, एएनएम सेन्टर और शौचालय बनाए गए थे। शौचालय का उपयोग भी हुआ था, लेकिन दो साल बाद प्रधानी का चुनाव हुआ उसमें मैं हार गया। वर्तमान प्रधान के पति उस समय प्रधान बन गए, उन्होंने उसकी देखरेख ही नहीं की।” वो आगे बताते हैं, “एएनएम सेन्टर भी किराए पर दे रखा है और शौचालय पर प्रधान के लोगों ने कब्जाकर उसके आगे छप्पर डालकर चाय की दुकान शुरू कर दी है।” पूर्व प्रधान ने बताया कि सचिवालय और एएनएम सेन्टर के निर्माण में लगभग सोलह-सत्रह लाख रुपए की लागत आयी थी और पांच शौचालय बनाने में एक लाख साठ हजार रुपए खर्च हुए थे।

माधव प्रसाद यादव के बाद दुर्गा प्रसाद जायसवाल ग्राम प्रधान बन गए। इस समय दुर्गा प्रसाद की पत्नी सुनीता जायसवाल ग्राम प्रधान बन गयी हैं। प्रधान पति दुर्गा प्रसाद जायसवाल कहते हैं, “पूर्व प्रधान ने बहुत घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया था, जिससे सब गिर गए हैं। शौचालय पूरी तरह से बना ही नहीं था। इसलिए उसका उपयोग ही नहीं हो रहा है।”

एएनएम सेन्टर पर किराए पर देने के बारे में बताते हैं, “एएनएम सेंटर में नर्स आती ही नहीं इसलिए गाँव की एक महिला बीबी को दे रखा है। उनसे एक महीने पहले ही कमरा खाली करने को कह दिया था। लेकिन वो खाली ही नहीं कर रही हैं।”

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

 

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