पारंपरिक खेती छोड़ सब्जियां उगा रहे किसान  

Virendra SinghVirendra Singh   29 May 2017 10:25 PM GMT

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पारंपरिक खेती छोड़ सब्जियां उगा रहे किसान   इस वर्ष किसान मेंथा की खेती में नुकसान के कारण कई तरह की सब्जियों की खेती कर रहे हैं।

बाराबंकी। उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिला मेंथा, धान, गेहूं के साथ-साथ कई तरह की खेती के लिए मशहूर है। यहां के किसान कई तरह से खेती में प्रयोग करते रहते हैं। इस वर्ष किसान मेंथा की खेती में नुकसान के कारण कई तरह की सब्जियों की खेती कर रहे हैं।

जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर फतेहपुर ब्लॉक में गंगापुर गाँव के केदार नाथ (48 वर्ष) बताते हैं, “मैं पहले धान, गेहूं, आलू, मेंथा की खेती दो एकड़ में करते थे, लेकिन पिछले दो तीन वर्षों में लगातार मेंथा के तेल के भाव बहुत कम होते जा रहे हैं, जिस वजह से मेंथा की खेती हमने करनी कम कर दी है।” केदार आगे बताते हैं, “मैंने तीन वर्ष पूर्व एक एकड़ खीरे की खेती करनी शूरू की।

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अगेती खीरे की खेती के लिए हम 10 से 15 जनवरी को पॉली हाउस बनाकर नर्सरी करते हैं और पांच फरवरी से 10 फरवरी के लगभग हम खेत में पौध को लगाते हैं। मार्च के अन्त तक हमारे खीरे की फसल तैयार हो जाती है। एक एकड़ में लगभग 20 हजार की लागत आती है और हमें एक एकड़ में एक लाख से 1.25 लाख तक की आमदनी होने की सम्भावना रहती है।” इस छोटे से गाँव के किसानों से प्रेरित होकर आस-पास के किसानों ने लगभग 20 एकड़ क्षेत्रफल में खीरे की खेती करनी शुरू की है। शुरुआत में 300-400 रुपए सैकड़े की दर से हमारा खीरा मंडी में बिकने लगता है। खीरे की ज्यादा मांग शादी-बारात, मुंडन समारोह में सलाद के लिए होती है।

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