जलाएं नहीं, किसानों के लिए बहुत काम का है धान का पुआल

Kushal MishraKushal Mishra   11 Nov 2016 6:15 PM GMT

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जलाएं नहीं, किसानों के लिए बहुत काम का है धान का पुआलफोटो साभार: गूगल

लखनऊ। किसानों की ओर से खेती के बाद पुआल जलाने की वजह से दिल्ली और आस-पास के राज्यों में बढ़ी धुंध ने न सिर्फ लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी, बल्कि पर्यावरण को काफी क्षति पहुंचाई है। मगर पुआल भी किसानों के लिए बहुत काम का है। इसे किसान जलाने की बजाए यदि अपने काम लाएं तो किसान को फायदा पहुंच सकता है। यह कहना है कि भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में अपनी पहचान बना चुके कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का। एमएस स्वामीनाथन का कहना है कि अगर किसान पुआल को जलाने की बजाय यदि उसका व्यवसाय के रूप में उपयोग करें तो उनको अच्छा फायदा मिलेगा। ऐसे में किसानों को लाभ तो होगा ही, साथ ही वे पर्यावरण को बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।

जानवरों के चारे के लिए उपयोगी

कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन बताते हैं कि धान की पुआल का उपयोग जानवरों के चारे के रूप में भी किया जा सकता है। इतना ही नहीं, गत्ता (Cardboard), कागज समेत कई सामग्रियां बनाने के लिए भी धान के पुआल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस संबंध में स्वामीनाथन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जल्द ही पुआल से लाभ के फायदों का विवरण भजेंगे।

मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया है कि हम धान के पुआल को बजाए जलाने के, कैसे उसका सदुपयोग कर सकते हैं। हम किसी किसान को पुआल जलाने से नहीं रोक सकते हैं क्योंकि किसान को अपनी अगली फसल के लिए जमीन तैयार करनी होती है। ऐसे में इसका व्यवसायीकरण करने के लिए एक तंत्र की आवश्यकता होगी। इस विषय में प्रधानमंत्री ने रुचि भी ली है और जल्द ही मैं उनको इसका पूरा विवरण दूंगा।
एमएस स्वामीनाथन, कृषि वैज्ञानिक

महाराष्ट्र के किसान करते हैं धान के पुआल का सही उपयोग

स्वामीनाथन बताते हैं कि महाराष्ट्र के किसान धान के पुआल का सही उपयोग करना सीख चुके हैं। वहां एक टेक्नोलॉजी विकसित की गई है, जिससे वहां के किसान धान के पुआल का उपयोग पशु चारे के रूप में करते हैं। वह बताते हैं कि यदि आप धान के पुआल में यूरिया और गुड़ जोड़ते हैं तो आप इसे पशु चारे के रूप में उपयोग कर सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि ऐसे कई तरीके हैं, जिससे किसान धान के पुआल का सही उपयोग कर सकते हैं।

भारत में हर साल 280 लाख टन चावल का भूसा

कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन बताते हैं कि भारत में हर साल धान 140 लाख टन उत्पादन होता है, जबकि लगभग 280 टन चावल के भूसे का उत्पादित होता है। इससे पहले एमएस स्वामीनाथन ने कृषि जैव विविधता पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया था। इस अवसर पर एमएस स्वामीनाथन ने संबोधित करते हुए कहा कि जब हम कृषि जैव विविधता के बारे में बात करते हैं तो यह सिर्फ अनाज के बारे में नहीं, बल्कि पूरे पौधे के बारे में करते हैं। उन्होंने म्यांमार में एक शोध का उदाहरण देते हुए बताया कि धान के पुआल यूरिया और गुड़ के साथ समृद्ध एक बेहतर पशु चारा है।

तब तुरंत बुलाई गई थी इमरजेंसी मीटिंग

किसानों द्वारा पुआल जलाने की वजह से दिल्ली में बढ़ी धुंध के बाद जो स्थिति पैदा हुई, उसके बाद केंद्र सरकार ने सभी पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के साथ आपातकालीन बैठक बुलाई। उस दौरान केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे ने कहा था कि दिल्ली में आपात स्थिति है। धुंध की वजह से खासकर बच्चे, मरीजों और बुजुर्ग लोगों के लिए सही स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा था कि इस संकट से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

    

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