इस गाँव से सीखें लोग, तब स्वच्छ बनेगा भारत

Kushal MishraKushal Mishra   31 Jan 2019 6:00 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
इस गाँव से सीखें लोग, तब स्वच्छ बनेगा भारतvillage in meghalaya

लखनऊ। भारत का यह एकमात्र गाँव है, जो सबसे साफ-सुथरा गाँव है। इससे पहले यह गाँव एशिया में सबसे साफ गाँव में गिना जाता रहा है। इस गाँव की सुंदरता और साफ-सफाई के लिए इसे 'भगवान का अपना बगीचा' भी कहा जाता है। जानते हैं यह गाँव कहां है? यह गाँव है मेघालय में और इस गाँव का नाम है मावल्यान्नाँग। आईये आपको इस गाँव की कई रोचक बताते हैं और यह भी बताते हैं कि अगर भारतीय इस गाँव के लोगों से सीखें तो 'स्वच्छ भारत अभियान' जल्द ही साकार हो सकता है।

गाँव के लोग खुद करते हैं सफाई

village in meghalaya

साफ-सफाई और स्वच्छता के लिए मावल्यान्नाँग गाँव वर्ष 2003 में एशिया का सबसे साफ गाँव बना। इसके बाद 2005 में यह गाँव भारत का सबसे साफ गाँव बना। इस गाँव के लोगों की सबसे खास बात यह है कि वे साफ-सफाई के लिए प्रशासन पर आश्रित नहीं रहते, बल्कि स्वयं ही सफाई का बीड़ा उठाते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इस गाँव के लोगों को कहीं भी गंदगी नजर आती है तो वह खुद साफ-सफाई में लग जाते हैं। चाहे वह स्त्री हो, पुरुष हो, बच्चे हो या बुजुर्ग, स्वयं सफाई करने लगते हैं।

सफाई के प्रति जागरूक हैं लोग

village in meghalaya

इस गाँव में सफाई के प्रति जागरूकता का आकलन इसी आधार पर किया जा सकता है कि इस गाँव में लोगों ने ही जगह-जगह कूड़ादान बनाया है और कूड़ादान बांस का बनाया गया है। सड़क पर चलते हुए यदि गाँव वालों को कचरा दिखता है तो गाँव वाले सबसे पहले कूड़ा उठाकर इन कूड़ादानों में डाल देते हैं। इसके बाद ही वे आगे बढ़ते हैं।

अन्य गाँवों के लिए प्रेरणास्त्रोत

village in meghalaya

भारत के अधिकत्तर गाँवों में जहां कूड़ा, कचरा और गंदगी नजर आती है, वहीं मावल्यान्नाँग गाँव में साफ-सफाई और शुद्ध जलवायु मिलता है। हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस गाँव का दौरा किया था और यहां स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े लोगों को भी सम्मानित किया था।

यह गाँव शिक्षा में भी अव्वल

मावल्यान्नाँग गाँव सिर्फ सफाई में ही नहीं, बल्कि शिक्षा में भी भारत के अन्य गाँवों से कहीं आगे है। इस गाँव की साक्षरता दर 100 प्रतिशत है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गाँव के ज्यादातर लोग सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही बात करते हैं।

पेड़ों की जड़ों से बने हैं प्राकृतिक पुल


village in meghalaya

मावल्यान्नाँग गाँव की एक विशेषता यह भी है कि इस गाँव में पेड़ों की जड़ों से प्राकृतिक पुल बने हैं। यह पुल समय-समय के साथ और भी मजबूत होते चले जाते हैं। बड़ी बात यह है कि इस तरह के पुल पूरे विश्व में और कहीं नहीं है और सिर्फ मेघालय में ही मिलते हैं।

पर्यटकों के लिए सबसे अच्छा गाँव


village in meghalaya

इस गाँव में पर्यटकों के लिए मन मोह लेने वाली कई खूबसूरत जगह भी हैं। गाँव में 80 फीट ऊंची मचान पर बैठकर शिलांग की प्राकृतिक खूबसूरती को निहारना यहां पर्यटकों का मन मोह लेता है। इतना ही नहीं, मॉवल्यान्नाँग गाँव में वॉटर फाल और बेलेंसिंग रॉक्स के साथ पेड़ों की जड़ों से बने कई प्राकृतिक पुल भी हैं। साथ ही पर्यटकों के लिए टी स्टॉल के साथ रेस्टोरेंट भी है।

ऐसे पहुंचे मावल्यान्नाँग गाँव

मावल्यान्नाँग गाँव मेघालय के शिलांग और भारत-बांग्लादेश सीमा से 90 किलोमीटर दूर है। यह चेरापूंजी से 92 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोनों ही स्थानों से आप सड़क द्वारा बड़ी आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। वहीं पर्यटक शिलांग तक देश के किसी भी हिस्से से हवाईजहाज से भी पहुंच सकते हैं।

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.