अब तरबूज के लिए गर्मियों के सीजन का नहीं करना पड़ेगा इंतजार

Divendra Singh | May 23, 2017, 18:01 IST
agriculture
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। अगर इस बार ठेले या सड़क के किनारे आलिया मिल जाए तो हैरान वाली बात नहीं, क्योंकि इस बार आलिया, युवराज, मधुबाला जैसी तरबूज की कई किस्में बाजार में आईं हैं जो किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहीं हैं।

इस बार बाजार में आलिया, युवराज, सुपरबेबी, मधुबाला जैसी कई किस्में बाजार में आयी हैं। लखनऊ में गोमतीनगर के होसड़िया में गोंडा के रमेश वर्मा कई साल से फलों की दुकान लगाते हैं, रमेश बताते हैं, “हर बार गर्मी में नए-नए तरह के तरबूज आते हैं, हम लोग नाम बताकर ही इसे बेचते हैं, लोग हमसे इसकी खासियत पूछते हैं और इसे ले जाते हैं।’’

इस समय फुटकर में तरबूज 30 से 40 रुपए किलो में बिक रहा है। बरेली के कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक के फार्म पर ऐसे कई तरह के तरबूज लगाए गए हैं। विभिन्न प्रजातियों के तरबूज रोग प्रतिरोधी होने के साथ ही अच्छा उत्पादन भी देते हैं।

कृषि विज्ञान केन्द्र बरेली के वैज्ञानिक डॉ. रंजीत सिंह कहते हैं, “तरबूज को केवल गर्मियों की फसल माना जाता था लेकिन अब नई किस्मों से तरबूज की फसल पूरे साल उगाई जा सकती है। किसानों को अभी तरबूज की नई किस्मों के बारे में कम जानकारी है, ऐसे में उनको केवीके प्रदर्शन फार्म पर बुलाकर जानकारी दी जा रही है। किसानों को ज्यादा उत्पादन देने वाली तरबूज की इन प्रजातियों के बारे में बता रहे हैं ताकि किसानों की आमदनी बढ़े।”

वो आगे बताते हैं, “तरबूज केवल नदियों के किनारे हो सकता है, यह पुरानी बात है। तरबूज को तालाबों के किनारे भी उगाया जा सकता है। इसके लिए केवीके में हंटर नाम की प्रजाति को तालाब की मेड़ पर प्रयोग के तौर पर उगाकर देखा गया। फसल अच्छी हुई है तो हम लोग किसानों को इन नई किस्मों के बारे में बता रहे हैं।”“किसानों को अभी तरबूज की इन नई किस्म के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, ऐसे में प्रसार शिक्षा के जरिए किसानों के बीच जाकर उनको बताया जा रहा है।” उन्होंने आगे बताया।

इलाहाबाद में करीब 100 एकड़ भूमि पर तरबूज़ की खेती

फाफामऊ क्षेत्र में गंगा के तटीय हिस्से में बसे किसानों के लिए यह मुख्य फसल माना जाता है। फाफामऊ के पड़ियन महादेव निवासी किसान विनोद सोनकर(41 वर्ष) का कहना है,“इस हिस्से में रेत पर उगाया जाने वाला तरबूज़ किसानों के आय का मुख्य स्रोत माना जाता है। यहां से प्रतिदिन दो से तीन ट्रक मॉल मंडी में भेजा जाता है।” वहीं 40 नम्बर गुमटी निवासी संजय पासी (38 वर्ष)का कहना है,“ यहां 100 एकड़ से अधिक भूमि पर तरबूज़ की खेती की जाती है। इसमें मझले स्तर के भी किसान सक्रिय है।”

इत्र नगरी के तरबूज की मांग अन्य जिलों में भी

इत्रनगरी के नाम से मशहूर कन्नौज जिले में तरबूज की भी खूब पैदावार होती है। इसकी मिठास सूबे के कई जनपदों में फैल रही है। हर रोज सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्राली भरकर तरबूज बाहर जाता है। कन्नौज जिले के कटरी और गंगा नदी क्षेत्र में तरबूज की पैदावार हर साल होती है। जिला मुख्यालय से करीब आठ किमी दूर बसे मेहंदीघाट निवासी (38 वर्ष) रामचंद्र बताते हैं, “बहराइच, गोरखपुर, झांसी, ललितपुर, नानपारा और गोंडा आदि क्षेत्रों से तरबूज खरीदने के लिए लोग आते हैं। कार्तिक में बुवाई होती है और चैत्र में फल तैयार हो जाता है।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Tags:
  • agriculture
  • lucknow
  • Farming
  • Watermelon
  • Samachar

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.