उड़द की बुवाई के लिए मौसम अनुकूल, इसी महीने कर सकते हैं बुवाई
Divendra Singh 6 March 2018 11:11 AM GMT
जायद में बोई जाने वाली उड़द की खेती की बुवाई किसानों को अब शुरू कर देनी चाहिए। इसकी बुवाई जायद और खरीफ दोनों मौसम में फरवरी से लेकर अगस्त के तक की जा सकती है।
ये भी पढ़ें- अब 55 दिन में तैयार होगी मूंग की ये नई किस्म
भारतीय दलहन अनुसंधान, कानपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. पुरुषोत्तम कहते हैं, “जायद में बोई जाने वाली दलहन की प्रमुख फसलों में मूंग और उड़द मुख्य फसलें होती हैं। फरवरी से उड़द की बुवाई शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि इस समय वातारण में अनुकूल नमी रहती है, नहीं तो तापमान बढ़ने के बाद बुवाई करने में सिंचाई की जरूरत पड़ती है।”
उड़द की उन्नत किस्में
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के अनुसार, उड़द की पूरे उत्तर प्रदेश के लिए जारी पीला चित्रवर्ण अवरोधी (मोजैक) प्रजातियों में माश-479, आजाद उड़द-2, शेखर-2, आईपीयू 2-43, सुजाता, नरेन्द्र उड़द-1, आजाद उड़द-1, उत्तरा, प्रमुख किस्मों की बुवाई करें।
ये भी पढ़ें- सहजन की खेती से 10 महीने में कमायें एक लाख
खेत का चयन और तैयारी
सही जल निकास वाली बालुई दोमट मिट्टी इस के लिए सब से सही होती है। खेत की तैयारी के लिए सब से पहले जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से कर के दो-तीन जुताई देशी हल या हैरो से करें और उस के बाद ठीक से पाटा लगा दें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी रहना बहुत जरूरी है।
बीजोपचार
उड़द के बीजों का उपचार किए बिना बुवाई करने पर कई तरह की बीमारियां लग जाती हैं। रोग से बचाव हेतु बीजोपचार के लिए बीजों को इमिडाक्लोप्रिड या एसिटामिप्रिड घोल में डुबोकर बुवाई करनी चाहिए। कवक जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए बीजों का कवकनाशी से शोधन करना जरूरी है। बीजशोधन के लिए 2.5 ग्राम कार्बंडाजिम या 2.5 ग्राम थीरम का प्रति किलोग्राम की दर से इस्तेमाल करना चाहिए। यह ध्यान रखें कि दवा बीज में सही तरह से चिपक जाए।
ये भी पढ़ें- उत्तराखंड के इस ब्लॉक के किसान करते हैं जैविक खेती, कभी भी नहीं इस्तेमाल किया रसायनिक उर्वरक
बुवाई का तरीका
पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बुवाई के बाद तीसरे हफ्ते में पास-पास लगे पौधों को निकाल कर सही दूरी बना लें।
सिंचाई
उड़द की फसल में सिंचाई की जरूरत नहीं रहती है, लेकिन फिर भी यदि सितंबर महीने के बाद बारिश न हुई हो तो फलियां बनते समय एक बार हलकी सिंचाई जरूर करें। अधिक बारिश व जल भराव की स्थिति में पानी के निकलने की व्यवस्था करें, वरना फसल को नुकसान हो सकता है।
निराई
गुड़ाई उड़द की अच्छी पैदावार के लिए दो बार गुड़ाई करनी चाहिए। पहली बुवाई के 20-22 दिनों बाद और दूसरी बुवाई के 40-45 दिनों बाद। ऐसा करने से खरपतवार खत्म हो जाते हैं, जोकि अच्छी फसल व अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है।
More Stories