उत्तराखंड के इस ब्लॉक के किसान करते हैं जैविक खेती, कभी भी नहीं इस्तेमाल किया रसायनिक उर्वरक
नेपाल और तिब्बत सीमा से लगे मुनिस्यारी ब्लॉक के गाँवों में किसान पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं, वो किसी तरह के भी रसायनिक उर्वरक, कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करते हैं।
Divendra Singh 9 Nov 2018 5:33 AM GMT

मुनस्यारी(पिथौरागढ़)। पिछले कुछ वर्षों में पहाड़ों पर किसानों के पलायन के कारण बर्बादी के कागार खेती पहुंच रही है, लेकिन उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले के मुनस्यारी ब्लॉक के किसानों ने जैविक खेती में अलग पहचान बना ली है।
पिथौरागढ़ ज़िला मुख्यालय से लगभग 127 किमी. दूर नेपाल और तिब्बत सीमा से लगे मुनिस्यारी ब्लॉक के गाँवों में किसान पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं, वो किसी तरह के भी रसायनिक उर्वरक, कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करते हैं।
मुनस्यारी ब्लॉक के दरांती गाँव के ग्राम प्रधान भगत सिंह बिष्ट (65 वर्ष) कहते हैं, "हम पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं, खाद बनाने के लिए घास और गोबर की खाद का प्रयोग करते हैं। रसायनिक खाद कोई भी किसान अपने खेत में नहीं डालता है।"
मुनस्यारी ब्लॉक में किसान राजमा की खेती करते हैं। आलू के बाद राजमा ही इस क्षेत्र की एक ऐसी फसल है जो यहां के किसानों के आय का प्रमुख जरिया है। क्षेत्र के करीब दो हजार परिवार इन दोनों फसलों पर ही निर्भर हैं। विकास खंड में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी समय-समय पर गाँव में जाकर किसानों को जानकारी भी देते रहते हैं।
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उत्तराखंड राज्य में जैविक खेती को संवारने के लिए केन्द्र ने 1500 करोड़ की योजना को मंजूरी दे दी है और इस योजना पर काम करने के साथ ही उत्तराखंड को देश के दूसरे जैविक राज्य की पहचान दिलाने की कोशिश की जाएगी।
अभी तक सिक्किम देश का पहला राज्य है जिसे 2016 में गंगटोक में आयोजित कृषि सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जैविक राज्य घोषित किया था और इसके साथ ही उत्तर पूर्व के अन्य हिमालयी राज्यों में जैविक कृषि को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
गोलफा गाँव के ग्राम प्रधान राजेन्द्र सिंह कहते हैं, "हमारी ग्राम पंचायत में 124 किसान हैं, इनमें से शायद ही कोई किसान रसायनिक खाद का इस्तेमाल करता हो। एक तो हमारे गाँव इतने दूर हैं, जिससे यहां तक रसायनिक खाद का आना मुश्किल ही होता है, अंजाने में ही किसान इससे अभी तक बचा हुआ है।"
गोलफा, तुमीक, बोना, घुईपातू, घइला, राप्ती, हरकोट चौना, जोसा, गांधी नगर, पापरी जैसे गाँवों में किसान बड़ी मात्रा में राजमा, गहद, आलू की खेती करते हैं। मुनस्यारी ब्लॉक कई ऐसे गाँव हैं जहां तक सड़क नहीं पहुंची है, पैदल रास्तों तक उन गाँवों में पहुंचा जा सकता है
मुनस्यारी को 2016 में जैविक विकास खंड बनाया गया। इसके साथ ही जिले के अन्य सभी विकास खंडों में भी जैविक कृषि को बढ़ावा देने के कार्य किये जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक जिले में कुल 32 जैविक कृषि कलस्टर बनाए गए हैं। एक कलस्टर 20 हेक्टेयर भू-भाग में चिन्हित किया गया है, और प्रत्येक कलस्टर में 50 किसानों के माध्यम से जैविक खेती की जा रही है।
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पिथौरागढ़ के ज़िला कृषि अधिकारी अमरेन्द्र चौधरी मुनिस्यारी ब्लॉक में जैविक खेती के बारे में बताते हैं, "पहाड़ों पर अभी भी किसान जैविक खेती ही करता है, लेकिन मुनिस्यारी ब्लॉक में किसान पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं, यहां पर आलू और राजमा की मुख्य रूप से खेती करते हैं। दूसरे राज्यों में जब आलू खेतों से खुद चुका होता है, यहां पर आलू तब लगना शुरू होता है, इसलिए ये आलू बीज के लिए दूसरे राज्यों तक जाता है।"
वो आगे बताते हैं, "एसएचजी के माध्यम से जिला प्रशासन किसानों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा दे रहा है, इससे किसानों को सही बाजार भी मिल रहा है।"
कृषि विभाग ने जैविक कृषि का जो आंकड़ा पेश किया है उसके मुताबिक राज्य में वर्तमान में 585 कलस्टरों में जैविक कृषि की जा रही है और 80 हजार किसान जैविक कृषि से जुड़े हैं। राज्य में 1 लाख 76 हजार कुंतल से अधिक जैविक उपज ली जा रही है। जैविक कृषि के तहत 15 फसलों को चिन्हित किया गया है।
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