खेती के साथ प्रकृति का ख्याल

Neetu SinghNeetu Singh   4 Aug 2016 5:30 AM GMT

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लखनऊ | संतोष कुमार सिंह (43वर्ष) के लिए लगातार कम हो रहे पेड़ चिंता का विषय बना हुआ था और आगे चलकर ये बड़ी समस्या न बन जाए इसलिए उन्होंने वर्ष 2006 से अपने गाँव में पौधेरोपण की शुरूआत की। अभी तक दो लाख पौधे लगा चुके हैं |

अम्बेडकर नगर जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर पूरब दिशा में तरेम गाँव है । इस गाँव में रहने वाले संतोष कुमार सिंह वर्ष 1993 में बीएससी एग्रीकल्चर से किया । संतोष बताते हैं कि '' मिट्टी की जांच की समझ बहुत अच्छी थी, जिस प्रकार की मिट्टी रहती, उसी प्रकार का पौधा लगा देते हैं। शुरुआत में लोगों ने बहुत मजाक बनाया, मैं खुश हूं ,10 साल बाद आज मेरे लगाए दो लाख पौधे तैयार हो गए हैं |''

संतोष कुमार सिंह (43 वर्ष) को स्कूल के समय से ही पेड़ों की छांव में रहना, उनकी टहनियों में लटककर खेलना बहुत अच्छा लगता था । पौधरोपण पर उनकी समझ बढ़ने के साथ उन्हें ये अहसास भी हुआ कि हमारे आस-पास लगातार पेड़ बहुत कम हो रहे हैं । अपनी समझ को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने एग्रीकल्चर से बीएससी करने के बाद बनारस से “एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस”कोर्स किया।

यूकेलिप्टस,सागौन,कटहल,अमरुद,पीपल,गूलर,बरगद,आंवला जैसे तमाम पौधे लगाने की शुरुआत संतोष कुमार सिंह ने अपने गाँव से की। संतोष सिंह बताते हैं, “सड़क के किनारे पीपल,गूलर,बरगद,नीम के वृक्ष लगाए जिससे राहगीरों को इसकी छांव मिल सके। अपने 11 बीघे खेत में इस समय 15 हजार यूकेलिप्टस, 4200 सागौन,250 बेल,300 करौंदा,50 आम,20 नींबू,8 कटहल और दो आंवला के पेड़ हैं।” वो आगे बताते हैं कि फल देने वाले सभी पौधों से फल निकलने लगे हैं। इन फलों को बेचने के साथ ही गाँव वाले, रिश्तेदार सब खूब खाते हैं । 

संतोष कुमार आगे बताते हैं कि मेरी पत्नी सुमन सिंह हमारे इस काम में बहुत मदद करती हैं। वृक्षारोपण करने के साथ-साथ खेती भी करते हैं। पौधे लगाने के साथ ही अब हम ठेके की खेती कई जिलों में लेते हैं। एक साल का रेंट एक बीघा का छह हजार रुपए पड़ता है।

अम्बेडकरनगर,प्रतापगढ़,आजमगढ़,देवरिया जनपदों में अब तक 184 बीघा खेती में दो लाख से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं । संतोष सिंह बताते हैं कि एक बीघा में कोई भी पेड़ लगाने पर छह साल में तीन लाख लागत आ जाती है और मुनाफा भी आसानी से तीन लाख का होता है | वो आगे कहते हैं कि जो लोग पहले मेरा मजाक बनाते थे अब वही लोग कहते हैं कि देखो समाज में नाम भी कमा रहा है और घर बैठे करोड़पति भी बन गया है। जितने भी लोग मुझे मिलते हैं मै सभी से यही कहता हूं कि ज्यादा नहीं तो कम से दो पौधा जरुर लगाओ । अगर बड़े पौधे नहीं तो तुलसी और गेंदा का पौधा तो कोई भी लगा सकता है।

कृषि विभाग के सहयोग से मल्टीस्टोरेज क्रापिंग व फार्मिंग सिस्टम एप्रोच को अपनाते हुए धान उत्पादन में संतोष सिंह को पिछली वर्ष तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। प्रदेश सरकार और कृषि विभाग अम्बेडकरनगर ने कई बार पुरुस्कारों से नवाजा गया है । संतोष सिंह बताते हैं कि मै जब तक रहूंगा तब तक लगातार पौधेरोपण करता रहूंगा । इस शौक को कभी खत्म नहीं होने दूंगा।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क  

 

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