बेल की बागवानी से भी होता है अच्छा मुनाफा जानिए इसकी नई विकसित किस्मों के बारे में

अपने औषधीय गुणों के चलते बेल की माँग हमेशा बनी रहती है, लेकिन आस पास उत्पादन न होने के कारण कई बार इसे बाहर से भी मंगाना पड़ जाता है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिक यहाँ बेल की प्रमुख किस्मों की जानकारी दे रहे हैं, जिनकी खेती करके किसान अच्छा उत्पादन पा सकते हैं।

Dr SK SinghDr SK Singh   27 Sep 2023 9:35 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बेल की बागवानी से भी होता है अच्छा मुनाफा जानिए इसकी नई विकसित किस्मों के बारे में

अब दूसरे फलों की तरह बेल का भी अच्छा उत्पादन कर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

आचार्य नरेंद्र देव यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऐग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश ने बेल की कुछ अच्छी प्रजातियाँ विकसित की हैं जो बड़े काम की हैं।

इनमें - नरेंद्र बेल (NB)-5: इसका फल औसत वजन 1 किलो होता है। यह गोल मुलायम, कम गोंद और बहुत ही स्वादिष्ट नर्म गुद्दे वाला होता है।

नरेंद्र बेल (NB)-6: इसके फल का औसत वजन 600 ग्राम होता है। यह गोल मुलायम, कम गोंद और नर्म गुद्दे वाला होता है। ये हल्का खट्टा और स्वाद में बढ़िया होता है।

नरेंद्र बेल (NB)-7: इन फलों का आकर बड़ा, समतल गोल और रंग हरा-सफेद होता है।


नरेंद्र बेल (NB)-9: इनके फलों का आकर बड़ा , लम्बाकार होता है और इनमे रेशे और बीजों की मात्रा बहुत कम होती है।

नरेंद्र बेल (NB)-16: यह एक बेहतरीन पैदावार वाली किस्म है, जिसके फलों का आकर अंडाकार, गुद्दा पीले रंग का होता है और रेशे की मात्रा कम होती है।

नरेंद्र बेल (NB)-17: यह एक बेहतरीन पैदावार वाली किस्म है , जिसके फल औसत आकार के होते हैं और रेशे की मात्रा कम होती है।

इसके अलावा सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ सब-ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (सीआईएसएच), लखनऊ, उत्तर प्रदेश ने भी बेल की बहुत अच्छी प्रजातियों को विकसित किया है, जैसे -

सीआईएसएच बी-1: यह मध्य- ऋतु की किस्म है , जो अप्रैल-मई में पकती है | इसके फल लम्बाकार-अंडाकार होते हैं । इनका भार औसतन 1 किलो होता है और इसका गुद्दा स्वादिष्ट और गहरे पीले रंग का होता है। वृक्ष पकने पर इसका भार 50 से 80 किलो होता है।


सीआईएसएच बी-2: यह छोटे कद वाली किस्म है, इसके फल लम्बाकार-अंडाकार होते हैं। इसका भार औसत 1.5 से 2.5 किलो होता है और इसका गुद्दा स्वादिष्ट और संतरी-पीले रंग का होता है। इसमें रेशे और बीज की मात्रा कम होती है । वृक्ष पकने के समय इसका भार 60 से 90 किलो होता है।

जी.बी. पंत यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऐग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर, उत्तराखंड ने भी बेल की कुछ अच्छी प्रजातियों को विकसित किया है, जैसे-

पंत अपर्णा: इसके वृक्ष छोटे कद के, लटकते हुए फूलों वाले, काटों रहित, जल्दी और भारी पैदावार वाले होते हैं। इसके पत्ते बड़े गहरे हरे होते हैं। इसके फल आकार में गोल होते हैं, जिनका औसत भार 1 किलो होता है।

पंत शिवानी: यह किस्म अगेती मध्य-ऋतु में पायी जाती है। इसके पेड़ लम्बे, मज़बूत, घने, सीधे ऊपर की ओर बढ़ने वाले, जल्दी और भारी पैदावार वाले होते हैं । इसके फलों का भार 2 से 2.5 किलो होता है।


पंत सुजाता: इसके वृक्ष फैले हुए पत्तों वाले, घने, जल्दी और भारी पैदावार वाले होते हैं । इसके फलों का आकार 1 से 1.5 किलो होता है।

बेल पोषक तत्वों से भरपूर एक महत्वपूर्ण औषधीय फल है। हमारे देश में बेल धार्मिक रूप में भी बहुत महत्वपूर्ण है। बेल से तैयार दवाएं दस्त, पेट दर्द, मरोड़ जैसी बीमारी में इस्तेमाल की जाती है।

यह एक कांटे वाला पेड़ है, जिसकी ऊंचाई 6-10 मीटर होती है और इसके फूल हरे लम्बाकार होते हैं, जो ऊपर से पतले और नीचे से मोटे होते हैं। इसका प्रयोग शुगर के इलाज, सूक्ष्म-जीवों से बचाने, त्वचा सड़ने के इलाज, दर्द कम करने के लिए, मांसपेशियों के दर्द, पाचन क्रिया में किए जाने के कारण इसको औषधीय पौधे के रूप में जाना जाता है।

इसकी खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल, झारखंण्ड और मध्य प्रदेश में ज़्यादा होती है।

#bael fruit KisaanConnection 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.