कम पानी में बेहतर उपज के लिए करें धान की सीधी बुवाई

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
कम पानी में बेहतर उपज के लिए करें धान की सीधी बुवाईgaonconnection

लखनऊ। धान की रोपाई करने में समय भी भी ज़्यादा लगता है और ख़र्च भी। ऐसे में किसानों के बीच जीरो टिलेज मशीन से बुवाई काफी प्रचलित हो रही है। इस तकनीक से रोपाई और लेव की जुताई की लागत में बचत होती है और फसल भी समय से तैयार हो जाती है, जिससे अगली फसल की बुवाई सही समय से हो जाती है। 

इलाहाबाद जिले के होलागढ़ ब्लॉक के दहियावां के किसान विजय सिंह (45 वर्ष) ने पिछली बार जीरो टिलेज से सीधी बुवाई की थी और इस बार भी तैयारी कर रहे हैं। वो बताते हैं, “पिछली बार बारिश कम हुई थी, इसलिए धान की सीधी बुवाई की थी, अच्छी पैदावार हुई थी और रोपाई का खर्च भी बच गया था। इस बार भी सीधी बुवाई करने वाला हूं।”

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के डॉ. विनोद कुमार श्रीवास्तव जीरो टिलेज से सीधी बुवाई के बारे में बताते हैं, “सीधी बुवाई मानसून आने से पहले कर लेनी चाहिए ताकि बाद में अधिक नमी या जल भराव से पौधे प्रभावित नहीं होते हैं।

 इस तकनीक से रोपाई और सिंचाई की लागत की बचत हो जाती है और फसल भी समय से तैयार हो जाती है।” धान की सीधी बुवाई उचित नमी और खेत की कम जुताई करके या फिर खेत की जुताई किए बिना ही आवश्यतानुसार खरपतवारनाशी का प्रयोग कर जीरो टिलेज मशीन से की जाती है।  

खेत की तैयारी

बुवाई से पहले धान के खेत को समतल कर लेना चाहिए। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी उपलब्ध होनी चाहिए। जुताई हल्की और डिस्क हैरो से करनी चाहिए। सामान्यतः सीधी बुवाई वाली धान में प्रति हेक्टेयर 80-100 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटाश की जरूरत होती है। नाइट्रोजन की एक तिहाई और फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय प्रयोग करना चाहिए। 

बीज की मात्रा औऱ बीजोपचार

सीधी बुवाई विधि में जीरो टिलेज मशीन के द्वारा मोटे आकार के दानो वाले धान की किस्मों के लिए बीज की मात्रा 30-35 किलोग्राम, मध्यम धान की 25 से 30 किलोग्राम और छोटे महीन दाने वाले धान की 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है। बुवाई से पूर्व धान के बीजों का उपचार अति आवश्यक है। सबसे पहले बीज को 8-10 घंटे पानी में भीगोकर उसमें से खराब बीज को निकाल देते हैं। इसके बाद एक किलोग्राम बीज की मात्रा के लिए 0.2 ग्राम सटेप्टोसाईकलीन के साथ दो ग्राम कार्बेंडाजिम मिलाकर बीज को दो घंटे छाया में सुखाकर मशीन के द्वारा सीधी बुवाई करनी चाहिए।

बुवाई करते समय ध्यान रखें ये बाते

धान की बुवाई करने से पहले जीरो टिल मशीन का संशोधन कर लेना चाहिए, जिससे बीज और उर्वरक निर्धारित मात्रा और गहराई में पड़े। ज्यादा गहराई होने पर अंकुरण और कल्लों की संख्या कम होगी, जिससे धान की पैदावार पर प्रभाव पड़ेगा। बुवाई के समय, ड्रिल की नली पर विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इससे रुकने पर बुवाई ठीक प्रकार नहीं हो पाती है, जिससे कम पोधे उगेंगे और उपज कम हो जाएगी। यूरिया और म्यूरेट आफ पोटाश उर्वरकों का प्रयोग मशीन के खाद बक्से में नहीं रखना चाहिए। इन उर्वरकों का प्रयोग टाप ड्रेसिंग के रूप में धान पोधों के स्थापित होने के बाद सिंचाई के बाद करना चाहिए। बुवाई करते समय पाटा लगाने की जरूरत नहीं होती, इसलिए मशीन के पीछे पाटा नहीं बांधना चाहिए।

खरपतवार हटाने के लिए करें ये उपाय

सीधी बुवाई जीरो टिलेज धान की खरपतवार की समस्या के रूप में आते हैं, क्योंकि लेव न होने से इनका अंकुरण सामान्य की आपेक्षा ज्यादा होता है। बुवाई के बाद लगभग 48 घंटे के अंदर पेन्डीमीथिलिन की एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 800 लीटर पानी में छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव करते समय मिट्टी में पर्याप्त नमीं होनी चाहिए और समान्य रूप से सारे खेत में छिड़काव करना चाहिए। ये दवाएं खरपतवार के जमने से पहले ही उन्हें मार देती हैं। बाद में चोड़ी पत्ती की घास आए तो उन्हें, 2, 4-डी 80 प्रतिशत सोडियम साल्ट 625 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए। 

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.