कॉलेज पास न होने से लड़कियों को छोड़नी पड़ती है पढ़ाई

Swati ShuklaSwati Shukla   25 July 2016 5:30 AM GMT

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फतेहपुर (बाराबंकी)। जहां एक और सरकार लड़कियों को पढ़ाने के लिए योजनाएं चला रही है, वहीं पर दूसरी ओर अभी भी गाँवों में उच्च शिक्षा की कोई सुविधा नहीं है। इस वजह से लड़कियों को पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।

बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी. दूर फतेहपुर ब्लॉक के खैरा गाँव की सरस्वती गर्ल्स इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली अनामिका (18 वर्ष) को हर दिन अपने घर से दस किमी. दूर साइकिल से जाना पड़ता है। अनामिका बताती हैं, “हमारे गाँव में आने-जाने का कोई साधन नहीं है। घर वाले स्कूल जाने से मना करते हैं रोज घर वालों से लड़ाई करके स्कूल आते हैं। न वहां टेम्पो आती है और न ही बस चलती है।”

गाँव कनेक्शन के स्वयं प्रोजेक्ट के दौरान दर्जनों लड़कियों ने अपनी समस्या रखी, कि कैसे नजदीक विद्यालय न होने के कारण उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।

अनामिका की तरह ही दसवीं में पढ़ने वाली अनामिका वर्मा को भी स्कूल जाने में परेशानी हो रही है। उन्हें डर है कि उनकी बहन की तरह ही उनको भी पढ़ाई छोड़नी न पड़ जाए। खैरा गाँव की रहने वाली अनामिका वर्मा (15 वर्ष) भी सरस्वती गर्ल्स इंटर कॉलेज के कक्षा दस में पढ़ती हैं। अनामिका वर्मा बताती हैं, “यहां इण्टर की पढ़ाई के बाद की शिक्षा की कोई खास व्यवस्था नहीं है। उच्च शिक्षा के लिए हमें 30 किलोमीटर की दूर जाना पड़ेगा। मेरी बहन ने इण्टर पास कर लिया था, वो पढ़ाई में गाँव में सबसे अच्छी हैं, लेकिन घर से कॉलेज बहुत दूर पर था, कॉलेज दूर होने की वजह से पापा राजी नहीं थे कि वह इतनी दूर पढ़ने जाए।” 

वो आगे बताती हैं, “फतेहपुर में एक डिग्री कॉलेज है, जिसमें सीटें बहुत कम हैं, उसमें फीस भी बहुत ज्यादा लगती है। इससे हर कोई उसमें एडमिशन भी नहीं करा सकता है। यहां पास में न तो कोई दूसरा डिग्री कॉलेज है और न ही कोई साधन। हमारे गाँवों में ऐसी बहुत सी लड़कियां हैं, जो इण्टर पास करने के बाद घर में बैठ जाती हैं।”

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

 

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