हरियाणा और दिल्ली के लिए कृषि सलाह: अपने क्षेत्र के लिए विकसित उन्नतों किस्मों की करेंगे बुवाई, तभी मिलेगा बढ़िया उत्पादन

मानसून आने के साथ ही किसान खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारी कर देते हैं, ऐसे में किसानों के लिए सबसे पहले जानना जरूरी होता है कि कौन सी फसल की बुवाई कब और कैसे करें।

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हरियाणा और दिल्ली के लिए कृषि सलाह: अपने क्षेत्र के लिए विकसित उन्नतों किस्मों की करेंगे बुवाई, तभी मिलेगा बढ़िया उत्पादन

हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में खरीफ मौसम में किसान धान, मूंग, अरहर, ज्वार जैसी फसलों की खेती करते हैं। ऐसे में किसानों के सबसे जरूरी जानना होता है कब और किस तरह से फसलों की बुवाई करें, जिससे लागत भी कम लगानी पड़े और बढ़िया उत्पादन मिल जाए।

अलग-अलग राज्यों में सभी फसलों की बुवाई का अलग समय होता है और राज्यों के हिसाब से किस्में भी विकसित की जाती हैं, इसलिए किसानों के लिए जानना जरूरी हो जाता है कि किस विधि से फसलों की बुवाई करें।

धान की खेती

धान की खेती के लिए सबसे जरूरी होता है, आप कौन सी किस्म लगा रहे हैं। मध्यम अवधि की किस्में जैसे एचकेआर-127, एचकेआर-126, एचआरके-120, एचएसडी-1, जया, पी आसर-106, मध्य से जल्दी पकने वाली किस्में जैसे एचकेआर-47, आईआर-64, पूसा-1509, पूसा-1121 और जल्दी पकने वाली किस्में जैसे एचआरके-48 या फिर गोविंद लगा सकते हैं।

नर्सरी तैयार करने का समय जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए 15 मई से 31 जून तक नर्सरी लगा देनी चाहिए। अच्छे उत्पादन के लिए बड़े और रोगमुक्त बीच का चयन करें।


धान लगाने की कई सारी विधियां हैं, हाथ से धान रोपाई करने के लिए, रोपाई हमेशा एक लाइन में करें, प्रति पौध से पौध की दूरी 15 सेमी रखनी चाहिए। रोपाई की गहराई 2 से 3 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए।

धान की मध्यम और जल्दी पकने वाली किस्मों में 150 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 60 किलो पौटेशियम और 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।

जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए 120 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फास्फोरस और 60 किलो पौटेशियम और 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। रोपाई के समय फॉस्फोरस, पौटेशियम, जिंक और नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा का प्रयोग करें।

रोपाई के 3 और 4 सप्ताह के बाद बाकी बचे नाइट्रोजन दो बार में समान मात्रा में देना चाहिए।

कपास की खेती

देश के उत्तरी क्षेत्रों में हरियाणा जैसे राज्यों में खरीफ के मौसम में कपास की खेती की जाती है। कपास की बुवाई अप्रैल से जून महीने तक कर लेनी चाहिए, जितनी देरी से बुवाई करेंगे, उत्पादन कम हो जाएगा।

उत्तरी राज्यों के लिए कई किस्में विकसित की गईं हैं, इनमें अमेरिकन कपास की संकर किस्में जैसे, एचएस-6, एच-1117, एच-1098, कपास की संकर किस्में जैसे, एचएचएच-223, एचएचएच-287, देसी कपास की किस्में जैसे, एचडी-107, एचडी-123, एचडी-324, एचडीर-432 की बुवाई कर सकते हैं।

बेहतर अंकुरण के लिए बीज की बुवाई से 5 घंटे पहले पानी में डुबोकर रखना चाहिए। 10 लीटर पानी में 5 ग्राम एमिसान, 1 ग्राम स्ट्रेपोसाइक्लिन और 1 ग्राम सक्सेनिक एसिड से बीज उपचार करना चाहिए। दीमक प्रभावित क्षेत्रों में उपयुक्त रसायनों के साथ ही 10 मिली क्लोरीफायरोफास से बीज उपचार करें।


बुवाई के लिए अमेरिकी कपास की किस्मों की प्रति हेक्टेयर 15 से 20 किलो बीज की बुवाई करनी चाहिए। देसी किस्मों की 12 किलो बीज प्रति हेक्टेयर, अमेरिकी संकर कपास और देसी संकर कपास की 3 से 3.75 किलो बीज की मात्रा हेक्टेयर बोनी चाहिए।

बुवाई के लिए लाइन से लाइन 67.5 सेमी की दूरी पर ड्रिल या कपास बोने की मशीन से की जानी चाहिए और पौधों से पौधौं की दूरी 60 सेमी या लाइन से लाइन की दूरी 100 सेमी और पौधे से 45 सेमी दूरी पर बुवाई करनी चाहिए। बुवाई हमेशा 4 से 5 सेमी गहराई में की जानी चाहिए।

मूंगफली की खेती

मूंगफली की खेती के लिए उन्नत किस्मों जैसे एमएच-4, एचएनजी-69, जीजेजी-19 जैसी का ही चुनाव करें। मूंगफली की बुवाई के लिए जून का पूरा महीना सही होता है। सिंचित क्षेत्रों में जून के दूसरे पखवाड़े तक बुवाई कर लेनी चाहिए, जबकि वर्षा आधरित क्षेत्रों में बुवाई मानसून की शुरूआत में करना चाहिए। 15 जूलाई के बाद फसल की बुवाई से बचना चाहिए।

बुवाई के लिए बीज की मात्रा किस्मों के बीज के आकार पर निर्भर करती है, मध्य आकार की गुठली की की किस्मों के लिए 80 किलो प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा लगती है।


बुवाई हमेशा लाइन से लाइन की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी रखते हुए करनी चाहिए। बीज और मिट्टी जनित रोगों से फसल बचाने के लिए थीरम या कैप्टान 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचार करना चाहिए।

अरहर की खेती

अरहर की बुवाई के लिए उन्नत किस्मों जैसे मानक (एच-216), पारस (एच-82 ए) का चुनाव करें। बुवाई मानसून की बारिश के साथ ही शुरू कर देनी चाहिए।

एक हेक्टेयर के लिए अरहर बुवाई में 12.50 से 15 किलो बीज की जरूरत पड़ती है। बुवाई हमेशा लाइन से लाइन की दूरी 80 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी पर करनी चाहिए। राइजोबियम और पीएसबी जैव उर्वरक से अरहर का बीजोपचार करना चाहिए।

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