असहमति तो ठीक है, लेकिन कानून व्यवस्था कायम रखना चाहिए- शबाना आजमी
Basant Kumar 8 April 2017 7:47 PM GMT

कोलकाता (भाषा)। लोकतंत्र में असहमति होना तो ठीक है, लेकिन लोगों को हिंसक नहीं होना चाहिये और स्थिति को अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए। यह बातें फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी कोलकता में एक कार्यक्रम में बोली।
शबाना आजमी मशहूर निर्माता-निर्देशक अर्पणा सेन के साथ कोलकता में एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है तो राज्य सरकारों को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाना चाहिए।
आजमी ने कहा, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से लोकतंत्र में स्वाभाविक तौर पर असहमति होगी। कला के क्षेत्र में असहमति होना मौलिक अधिकार है, लेकिन अगर एक किताब, कला को लेकर असहमति है और अगर आप इसे पसंद नहीं करते तो आपके पास थिएटर के बाहर अपने विचार रखने का अधिकार है, लेकिन आप कानून व्यवस्था के लिए संकट पैदा नहीं कर सकते।''
फिल्म ‘‘पद्मावती'' के सेट पर निर्देशक संजय लीला भंसाली पर हमले की ओर इशारा करते हुए अदाकारा ने कहा कि ऐसे विरोध प्रदर्शन कई बार क्षणिक प्रसिद्धि पाने के लिए किए जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कितनी फ़िल्में सच में लोगों को आहत करती है?'' क्योंकि दस लोग खडे हो जाते हैं और कहते है कि यह फिल्म उन्हें आहत करती है और वे टीवी पर आ जाते हैं। उन्हें क्षणिक प्रसिद्धि मिल जाती है।
आजमी ने कहा कि अगर राज्य सरकार में इच्छाशक्ति हो तो वह किसी फिल्म की रिलीज के बाद होने वाले किसी भी हिंसक प्रदर्शन को नियंत्रित कर सकती है।
अभिनेत्री ने कहा, ‘‘अगर सेंसर बोर्ड से पास होने के बाद किसी फिल्म को संवैधानिक संस्थाओं से इतर विरोध का सामना करता पडता है और अगर राज्य सरकार इस पर नियंत्रण करना चाहती है तो वह कर सकती है। याद करिये कि बाबरी मस्जिद विध्वंस और दंगों के बाद मुंबई विस्फोट की घटना हुई लेकिन उन विस्फोटों के बाद कोई घटना नहीं हुई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ने निर्णय लिया कि किसी भी हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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