खेल जगत में राजनीतिक और सामाजिक दबाव की कहानी है ‘ मुक्काबाज़ ’
गाँव कनेक्शन 13 Jan 2018 10:55 AM GMT

फिल्म : मुक्काबाज़
स्टार कास्ट : विनीत कुमार सिंह, ज़ोया हुसैन, जिमी शेरगिल, रवि किशन
डायरेक्टर : अनुराग कश्यप
फिल्म समीक्षक : शबनम गुप्ता
अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी 'मुक्काबाज' दमदार फिल्म है। स्पोर्ट्स की दुनिया में राजनीतिक और सामाजिक प्रेशर किस कदर हावी है ये इस फिल्म में दर्शाया गया है। ये फिल्म हमें एक बार फिर सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे खिलाड़ियों को , प्रतिभा होने के बावजूद, किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अनुराग कश्यप ने ये भी दिखाया है कि गुंडागर्दी और जातिवाद अब भारत माँ की जय के नारों की आड़ में खूब फल फूल रहा है।
ये भी पढ़ें- अनुष्का की फिल्म परी होली पर होगी रिलीज
फिल्म के अभिनेता, विनीत कुमार सिंह ने इस फिल्म की कहानी खुद लिखी है और इस किरदार को निभाने के लिए प्रोफेशनल मुक्केबाजों के साथ रिंग में उतरकर मुक्केबाजी भी सीखी है, उनकी मेहनत दिखती है। फिल्म के क्लाइमैक्स में उन्होंने भारत के पूर्व बॉक्सिंग चैंपियन दीपक राजपूत से बॉक्सिंग की है। बॉक्सिंग के सीन हो या डायलॉग डिलीवरी हो, विनीत ने अपना किरदार हर सीन में बखूबी निभाया है।
कहानी -
बरेली में रहने वाले श्रवण सिंह (विनीतकुमार सिंह) को मुक्केबाजी का जूनून है। वो ट्रेनिंग लेने के लिए भगवानदास मिश्रा (जिम्मी शेरगिल) के यहां जाता है, जो बॉक्सिंग सिखाने की जगह उससे घर के कामकाज कराने लगता हैं, पर श्रवण को ये मंजूर नहीं है। दोनों में मुठभेड़ होती है, और उसके बाद भगवान दास उसके रास्ते में हर रुकावट पैदा करने पर उतारू हो जाता है। गुंडा होने के साथ, भगवान दास में अपने उच्च कुल का गुरुर भी कूट कूट कर भरा हुआ है। श्रवण के कोच के किरदार में रवि किशन की भूमिका भी बढ़िया है। कहानी में बहुत खूबसूरती से ये बात आई है कि कुल उच्च हो या न हो, कर्म उच्च होना चाहिए।
अभिनेत्री जोया हुसैन (सुनैना) की ये पहली फिल्म है, पर उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है। उनका किरदार ऐसी लड़की का है जो सुन तो सकती है, लेकिन बोल नहीं सकती। पर वो अपने आप को कहीं भी छोटा या अपाहिज नहीं मानती। अपनी हर बात को इशारों में समझाने वाली सुनैना के रोल में जोया हुसैन बहुत जंची हैं , उनकी एक्टिंग बहुत सधी हुई है।
सबसे बढ़िया एक्टिंग जिम्मी शेरगिल ने की है... उन्होंने भगवानदास मिश्रा को इतने घिनौने ढंग से पेश किया है कि उनसे नफरत हो जाती है। फिल्म का असली हीरो स्क्रिप्ट, संवाद और गाने हैं। पूरी फिल्म में उत्तर प्रदेश की महक बनी रहती है।
Film Review खेल भारतीय सिनेमा हिंदी सिनेमा सिनेमा जगत हिंदी फिल्म इंडस्ट्री भारतीय खिलाड़ी U.P. Sports Department Sports Ministry of India खेल मंत्रालय Sports Authority of India फिल्म समीक्षा मुक्काबाज़
Next Story
More Stories