मौसम की मार से घटी गेहूं की उपज

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मौसम की मार से घटी गेहूं की उपजgaonconnection

लखनऊ। गेहूं की कटाई जारी है, किसानों का कहना है कि उन्हें इस बार सामान्य से कम उपज मिल रही है। इसका कारण बताते हुए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विभाग के कृषि वैज्ञानिक डॉ रमेश कुमार सिंह गेहूं के कम उत्पादन के बारे में बताते हैं, ''इस बार मार्च महीने में दो-तीन दिन में तापमान ज्यादा बढ़ गया था, तब गेहूं में दाने बन रहे होते हैं। दाने बनने के दौरान अगर दो तीन दिनों के लिए भी तापमान बढ़ जाता है तो ऐसे में दाने की वृद्धि रुक जाती है, वो छोटे होकर पतले हो जाते हैं।''

उनके अनुसार गेहूं के दाने बनते समय किसी भी तरह से तापमान 30 डिग्री से ज्यादा न हो, 24 से 27 के बीच में तापमान होता है वो गेहूं के लिए सही होता है। वो आगे कहते हैं, ''15 से 20 मार्च के समय में दाने की वृद्धि होती है। और साथ ही ये जो बीच-बीच में थोड़ा बहुत बारिश हुई है, उसकी वजह से भी कहीं-कहीं पर दाने काले हो गए हैं, उसमें फफूंदी लग गई है। जिससे गेहूं की बाली ही काली पड़ गयी है।''

अनाज उत्पादन पर काम करने वाली संस्था इंटरनेशनल ग्रेन काउंसिल (आईसीजी) ने वर्ष 2016-17 में दुनिया में गेहूं का उत्पादन घटने का अनुमान लगाया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 22 जनवरी तक देशभर में 291.97 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी। लखनऊ जिले के साथ ही प्रदेश के ज्यादातर जिलों में तापमान का असा गेहूं में दिखा है। इलाहाबाद जिले के सोरावं ब्लाक के दहियावां गाँव के किसान विजय सिंह ने 30 बीघा में गेहूं बोया है। आधी फसल कट कर उसकी मड़ायी हो गयी है और अभी और खेत में ही है। विजय सिंह (45 वर्ष) बताते हैं, ''इस बार गेहूं के दाने बहुत ज्यादा हल्के हैं, दानों में छिलका ही छिलका है। पिछली बार भी गेहूं ओले से खराब हो गया था और इस बार ज्यादा गर्मी से। पूर्वांचल में गेहूं की अच्छी रिकवरी होती आई है। लेकिन इस बार वहां भी गर्मी का असर दिख रहा है।''

सिद्ध्थनगर जिले में सोहरतगढ़ ब्ल़क में परसिया गांव के शत्रुघन प्रसाद (61 वर्ष) बताते हैं, ''पिछले साल तक एक बीघे में 5 कुंटल गेहूं पैदा हुआ था उसी खेत में इस बार सिर्फ तीन कुंटल गेहूं हुआ है।” शत्रुघन प्रसाद के गांव परसिया समेत पूरा इलाके में कमोबेश यही हाल हैं। यहां भी पौधे की ठीक से वृ्द्धि न होने से भूसा भी कम निकल रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार कम से कम हमें दस प्रतिशत का नुकसान हो जाएगा, जबकि अभी कृषि विभाग के आंकड़ों में साफ हो जाएगा की कितना नुकसान होगा। वैसे तो एक बीघा में से पांच से छह कुंतल गेहूं का उत्पादन होता है, लेकिन इस बार उत्पादन घटकर से तीन-चार कुंतल के बीच ही रह गया है।

रिपोर्टर - अरविंद शुक्ल/दिवेंद्र सिंह

 

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