वो नज़्म जिसने इंटरनेट पर ‘मुसलमानों के प्रति नज़रिया’ बदल दिया
Jamshed Qamar 19 Feb 2017 3:32 PM GMT

भारतीय कानून की प्रस्तावना में देश को ‘सेक्यूलर’ देश कहा गया है। सेक्यूलर यानि धर्मनिरपेक्ष होने के मायने ये हैं कि धर्म और जाति के आधार पर समाज का विभाजन नहीं होगा। लेकिन हकीकत ये है माइनॉरिटी होने के नाते मुसलमान को हमेशा एक अलग नज़र से देखा जाता है। लोकसभा चुनाव 2014 से पहले माहौल के ध्रुविकरण के लिए मुसलमानों को पाक्सितान भेज देने के जुमले आम रहे। यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में भी मुस्लिमानों के वोट को चुनाव जीतने का एक बड़ा फैक्टर माना जा रहा है। सवाल ये है कि मुसलमानों को हमेशा अलग करके क्यों देखा जाता है, क्या उसके मज़हब से अलग उसकी कोई पहचान नहीं है?
मुसलमानों के प्रति देश के नज़रियो को बेहतर किया है हाल ही में इंटरनेट पर वायरल हो रही एक नज़्म ने, इस नज़्म को लिखा है हुसैन हैदरी नाम के एक युवा शायर ने। हैदरी की नज़्म ‘मैं हिंदुस्तानी मुसलमां हूं’ को अबतक लाखों लोग इंटरनेट पर देख चुके हैं। हर तरफ नज़्म की तारीफ हो रही है। ये नज़्म बताती है कि हिंदुस्तानी मुसलमां होने के मायने क्या हैं, हिंदुस्तानी मुसलमां कौन है। आप भी देखिए
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