किसान आंदोलन - पंजाब में किसानों की समस्या का हल क्या है ?

पंजाब के किसान राज्य सरकार के जरिए काफी समय से केंद्र सरकार पर दबाव बनाते रहे हैं कि उन्हें उनकी फसल का सही दाम मिले और स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू की जाएँ।

Arvind Kumar SinghArvind Kumar Singh   12 March 2024 10:15 AM GMT

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किसान आंदोलन - पंजाब में किसानों की समस्या का हल क्या है ?

पंजाब के किसान आज चुनौतियों के चक्रव्यूह में उलझे हुए हैं। किसान और खेतिहर मज़दूर आत्महत्या कर रहे हैं। पंजाब में किसान कर्ज से दबे हैं। इनके कुल कर्जों में करीब आधा तो साहूकारों से लिया गया है। मशीनीकरण और फसल विविधीकरण मद में भी कुछ योजना चली पर किसानों के चेहरों पर चमक नहीं आई ।

हरित क्रांति से आई खुशहाली का अध्याय पंजाब के किसानों के लिए अब अतीत की बातें हैं। पंजाब का कृषि क्षेत्र अभी भी देश के लिए भले गेहूँ और धान के कारखाने जैसा दिखता हो, पर यह यहाँ के किसानों पर भारी पड़ रहा है।

प्रमुख समस्या क्या है?

उत्पादन बढ़ाने के लिए जो साधन अपनाए गए उसके घातक प्रभाव स्पष्ट हैं। पंजाब में पानी का स्तर बेहद नीचे गिरने से तमाम समस्याएँ खड़ी हो रही हैं। हरित क्रांति के बाद देश में एक नए किस्म का असंतुलन खड़ा हुआ है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में देश का करीब 70 फीसदी गेहूँ पैदा होता है।

पंजाब के किसान राज्य सरकार के माध्यम से बीते काफी समय से केंद्र सरकार पर दबाव बनाते रहे हैं कि दामों को मूल्य सूचकांकों से जोड़ने के साथ स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें सही भाव से लागू की जाएँ।

बीते कई सालों से पंजाब में साल दर साल किसानों के आंदोलन चलते रहे हैं। सरकार कांग्रेस की रही हो, आम आदमी पार्टी की रही हो या फिर अतीत में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा की।


भारत के इतिहास में 2020-21 ऐसा साल माना जा सकता है; जिसमें गेहूँ खरीद में पहली बार पंजाब का वर्चस्व मध्य प्रदेश ने तोड़ा और 1.28 करोड़ टन गेहूँ खरीद लिया। यह देश में एमएसपी की कुल खरीदी का 33 प्रतिशत था। हालाँकि पंजाब फिर नंबर एक पर आ गया।

पंजाब की कृषि वृद्धि दर 1980 के दशक में 4.6 प्रतिशत थी पर बाद में लगातार घटती रही। पंजाब की धान और गेहूँ की खेती का सीधा संबंध एमएसपी और मंडियों से जुड़ा है। पंजाब में 65 प्रतिशत कृषि जोतें गेहूँ और धान की प्रणाली के नाते बहुत फायदेमंद नहीं है। कीटनाशकों और रासायनिक खादों ने मिट्टी ही नहीं, भूजल को भी प्रदूषित किया है। पंजाब में कैंसर का एक प्रमुख कारण भूजल प्रदूषित होना भी है। हरित क्रांति के दुष्प्रभावों काफी बुरा असर मालवा इलाके पर पड़ा है।

बासमती की खेती ने पकड़ा जोर

पंजाब में प्रति 10 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र पर एक ट्रैक्टर हैं। राज्य का आधारभूत ढांचा काफी मज़बूत है। दस लाख से अधिक ट्यूबवेल है। राज्य में विविधीकरण का प्रयास विफल रहा। हाल के सालों में पंजाब में बासमती की खेती ने जोर पकड़ा है और इसका रकबा 4.94 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 5,96 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है।

पंजाब से हर साल 24 लाख टन बासमती निर्यात हो रहा है। लगातार गिरते भूजल को देखते हुए पंजाब सरकार ने धान के पूसा 44 प्रजाति की बुआई पर रोक लगाई है। पंजाब में पराली करीब 20 मिलियन टन होती है जिसमें से बासमती की 3.3 टन होती है, बाकी अन्य प्रजातियों में बेहद लोकप्रिय पूसा 44 धान 152 दिन मे पैदा होता है और इसमें 20 प्रतिशत अधिक पराली होती है।

पंजाब में अकाली दल भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री पर यह दबाव बनाया था कि फसलों की लागत का नए सिरे से मूल्यांकन हो; क्योंकि इसके बिना फसलों का सही मूल्य नहीं मिल पाता। हमें समझना होगा कि किसानों का पूरा परिवार रात दिन खेती का काम करता है। उसके श्रम का भी कुछ मूल्य है और मनुष्य होने के नाते उसकी भी जरूरतें हैं।

हाल के सालो में एमएसपी को लेकर सरकारी पक्ष ने काफी बातें कही हैं। पंजाब के किसान दामों को मूल्य सूचकांकों से जोड़ने और स्वामीनाथ कमेटी की सिफारिशें सही भाव के साथ लागू करने की माँग लम्बे समय से करते रहे हैं।

मंडी को बेहतर बनाने की ज़रूरत

हाल के सालो में जिन प्रांतों में फसलों का खरीद तंत्र बेहतर हुआ है उसमें राज्य सरकार ने मंडी तंत्र पर अच्छा निवेश किया है। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बेहतर काम हुआ है।

कृषि लागत और मूल्य आयोग की 2024-25 की रबी फसलों की रिपोर्ट बताती है कि पंजाब में कुल गेहूँ उत्पादन का 72 से 77 फीसदी तक गेहूँ खरीद हो जा रही है। देश में यह सर्वाधिक है। वहीं हरियाणा में यह आंकड़ा 40 से 80 प्रतिशत के बीच है। पंजाब की मंडियों में सबसे अधिक मंडी और ग्रामीण विकास कर है जो कुल 6 प्रतिशत तक है। हरियाणा में यह 4 फीसदी है। लेकिन दलहन या तिलहन फसलों की खरीद नगण्य है।

सबसे संपन्न पंजाब के खेतों में आखिर आंदोलन की जो फसलें उग रही है, उसका समाधान कब होगा यह बड़ा सवाल है, जिसे जनता जानना चाहती है ; क्योंकि पंजाब डगमगाया तो देश के सामने खाद्य सुरक्षा को लेकर एक नया संकट खड़ा हो सकता है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं )

#punjab #farmer Farmers Protest 2024 

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