इस सरकारी स्कूल के बच्चे नहीं मारते रट्टा, प्रैक्टिकल व कम्प्यूटर के माध्यम से सीखते हैं विज्ञान व दूसरे विषय

ये पूर्व माध्यमिक विद्यालय देखने में तो दूसरे सरकारी विद्यालयों की तरह ही है, लेकिन पढ़ाई के मामले में सबसे अलग है। इन सबका श्रेय जाता है, यहां के प्रधानाध्यापक आशुतोष आनंद अवस्थी को। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय आईसीटी अवार्ड 2015 से राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया गया है।

Divendra SinghDivendra Singh   5 July 2018 9:18 AM GMT

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दरियागंज (बाराबंकी)। ज्यादातर स्कूलों में अध्यापक बच्चों को विज्ञान, सामान्य ज्ञान जैसे विषयों के बारे में किताबों से ही पढ़ाते हैं, लेकिन इस पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को विषयों की जानकारी प्रैक्टिकल व कम्प्यूटर के माध्यम के माध्यम से दी जाती है।

बाराबंकी जिले के दरियागंज ब्लॉक के मियागंज का ये पूर्व माध्यमिक विद्यालय देखने में तो दूसरे सरकारी विद्यालयों की तरह ही है, लेकिन पढ़ाई के मामले में सबसे अलग है। इन सबका श्रेय जाता है, यहां के प्रधानाध्यापक आशुतोष आनंद अवस्थी को। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय आईसीटी अवार्ड 2015 से राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया गया है।

आशुतोष आनंद अवस्थी बताते हैं, "बच्चों को किताबें कितनी भी रटा दी जाएं लेकिन एक दिन वो सब भूल जाते हैं, लेकिन प्रैक्टिकल करके पढ़ाने पर बच्चे उसे कभी नहीं भूलते हैं।"


कम्यूटर शिक्षा की शुरूआत के बारे में वो कहते हैं, "शुरू में जब हमारे स्कूल में कम्प्यूटर मिला तो मुझे चलाना तक नहीं आता था, किसी तरह से बच्चों के साथ ही कम्प्युटर चलाना सीखा, मुझे लगा कि जो इंटरनेट के नुकसान हैं तो फायदें भी हैं, मैं इंटरनेट से सीखता और वही बच्चों को सिखाता।" आशुतोष ने यहां पर अध्यापक के पद से शुरूआत की, कई जगह पर ट्रांसफर भी हुए लेकिन, यहां के लोगों ने जो अपनापन दिया वो कहीं और नहीं मिला।

करीब सात साल पहले जब आशुतोष यहां शिक्षक के रूप में तैनात हुए तो इस विद्यालय की हालत काफी जर्जर थी। आशुतोष ने आते ही यहां शिक्षा की अलख जगाने की ठान ली और इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत शुरू कर दी। आज उनकी मेहनत के दम पर ही यहां के विद्यार्थी निजी स्कूलों में महंगी पढ़ाई कर रहे बच्चों को भी पीछे छोड़ने का हुनर रखते हैं।

सातवीं में पढ़ने वाले पंकज कुमार स्कूल के माहौल से काफी खुश रहते हैं, वो सभी महाद्वीपों व देशों का नाम तुरंत बता देते हैं, लेकिन ये सब उन्होंने रटकर नहीं याद किया है, उनके स्कूल में दीवारों पर पूरी दुनिया का नक्शा पेंट है जिससे उन जैसे बच्चों को सब याद हो गया है।

साफ-सफाई का रखते हैं विशेष ध्यान

आशुतोष विद्यालय परिसर व बच्चों की साफ-सफाई का खास ध्यान रखते हैं। कई बार तो वो खुद से शौचालय की सफाई करते हैं और विद्यालय में झाड़ू लगाकर सफाई करते हैं। आशुतोष बताते हैं, "आए दिन अखबारों में छपता है कि किसी स्कूल के अध्यापक ने बच्चों ने स्कूल की सफाई करवायी, अब बच्चे जैसे अपने घर की सफाई करते हैं, उसी तरह विद्यालय भी तो उन्हीं का है, तो बच्चों के साथ अध्यापकों का ये फर्ज बनता है कि स्कूल परिसर को साफ-सुथरा रखें।"


विज्ञान के नए प्रयोगों से पढ़ाते हैं बच्चों को

विद्यालय में बच्चों को सही तरीके से और सही ज्ञान देने के लिए प्रयोगशाला भी बनायी गई है, स्कूल के दीवारों में देश-दुनिया का नक्शे पेंट कराए हैं जिससे बच्चे अच्छी तरह से सीख पाए।

वो बताते हैं, "मैं बच्चों से कभी नहीं कहता कि वो रटकर आए, इसलिए स्कूल का ऐसा माहौल बनाया गया है, जिससे बच्चे चलते-फिरते, आते-जाते ज्यादा अच्छे से सीखते हैं।"


राष्ट्रपति ने भी किया है सम्मानित


आशुतोष आनंद अवस्थी की लगन ने उन्हें दिल्ली तक पहुंचा दिया, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में बेहतर काम लिए साल 2015 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सम्मानित किया है। अाशुतोष जिले के प्रदेश के पहले ऐसे अध्यापक हैं जिन्हें आईसीटी अवार्ड से सम्मानित किया, देश के ११ अन्य शिक्षकों के साथ ही उन्हें भी इस अवार्ड से सम्मानित किया गया। स्कूलों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आई.सी.टी)" एक केन्द्र प्रायोजित योजना है जो माध्यमिक विद्यालय के छात्रों को सूचना व संचार प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षण सुविधा उपलब्ध कराने, उनमें उचित आईसीटी कौशल विकसित करने और अन्य संबंधित अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दिसंबर 2004 में शुरू की गई थी। ये सम्मान ऐसे अध्यापकों को दिया जाता है, जिन्होंने सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से स्कूलों में पढ़ाई का माहौल बनाया है।

करते हैं लोगों को जागरूक


समय-समय पर बच्चे और अध्यापक मिलकर ग्रामीणों को जागरूक भी करते हैं, स्कूल ने जगह पर यातायात के नियमों की होर्डिंग लगायी है, जिससे लोग जागरूक भी हो रहे हैं।




       

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