टोपी-टोपी के खेल में बच्चों ने सीखी सफाई

प्राथमिक विद्यालय रतसिया के प्रधानाध्यापक ने साफ-सफाई के लिए निकाली नायाब तरकीब

Jigyasa MishraJigyasa Mishra   21 July 2018 1:15 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
टोपी-टोपी के खेल में बच्चों ने सीखी सफाई

लखीमपुर। स्कूल में प्रमोद आज पंद्रह मिनट पहले ही अपनी कक्षा पहुंच गए। हाथों में कई सारी टोपियां थीं और ये टोपियां आज बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाली थीं।

प्रमोद ब्लैक-बोर्ड के ऊपरी, दाएं कोने में कुछ लिखने लग जाते हैं। अब तक 7:30 बज चुके हैं और बच्चे भी क्लास में आने शुरू हो गए हैं। इतनी देर में प्रमोद ने ब्लैकबोर्ड में दो लाइन खींच कर उनमे साफ़ और गंदा बड़े-बड़े अक्षरों में लिख दिया और उनके नीचे 1 से लेकर 5 तक की संख्या भी डाल दी।

प्रमोद वर्मा प्राथमिक विद्यालय रतसिया के बेहजन ब्लॉक के प्रधानाध्यापक हैं। बेहजन, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 150 किलोमीटर दूर, लखीमपुरखीरी जिले में स्थित है। स्कूल में लगातार मैले कपड़ों में बच्चों को आता देख उनको कई बार सफाई से आने की हिदायत दी गई, लेकिन फिर भी बिगड़े बाल और गंदे, लम्बे नाखूनों के साथ आते हुए बच्चों को देख कर प्रमोद ने एक दिलचस्प तरकीब निकाली।

क्लास में सभी बच्चों के यूनिफॉर्म और नाखून चेक किये गए और जो बच्चा सबसे मैले और फटे कपड़ों में मिला, उसको पीली टोपी पहना दी गई, जबकि सबसे स्वच्छ कपड़ों, बाल और नाखून के साथ आए हुए बच्चे को हरी टोपी पहनाई गई।

प्रमोद हर दिन बोर्ड पर 'साफ़' और 'गंदे' का सेक्शन बना कर उनमें पांच-पांच बच्चों के नाम भी लिखा करते हैं। स्कूल में आए सभी बच्चों में जो पांच सबसे ज़्यादा साफ़-सुथरे ड्रेस पहन कर आते हैं और जिनके नाखून भी कटे होते हैं, उनका नाम 'साफ़' कॉलम में लिखा जाता है और जो पांच किन्ही भी कारणों से फटी या गन्दी ड्रेस पहन कर बिना नहाये स्कूल आते हैं, उनका नाम 'गंदे' सेक्शन में। यही वजह है कि अब प्राथमिक विद्यालय रतसिया का हर बच्चा साफ़-सुथरा होकर ही स्कूल जाना चाहता है।

ये भी पढ़ें : स्कूल में योग से शुरू होती है बच्चों की सुबह

प्रमोद बताते हैं, "इस टोपी वाली तरकीब को आजमाने से बच्चों में काफ़ी बदलाव आया है। अब हर बच्चा हरी टोपी पहनना चाहता है और पीली टोपी पहनने से डरता है और इसलिए ज़्यादातर बच्चे नहा-धोकर, सफ़ाई से ही स्कूल आते हैं।"

प्रमोद वर्मा आगे बताते हैं, "नामांकित 150 बच्चों में से अब पांच उन बच्चों का नाम छांटना भी मुश्किल होता है जो मैले कपड़ो में, बिना सफ़ाई आएं। अब दोस्तों के बीच पीली टोपी पहन कर मज़ाक बनने के डर से सब अपनी सफ़ाई का ध्यान रख रहे हैं तो यह टोपी-टोपी का खेल उनके लिए फायदेमंद है।"

हरी और पीली टोपी के इस खेल की वजह से रतसिया के प्राथमिक विद्यालय में विद्यार्थी सफाई में यह छोटे बच्चे बदलाव का भरसक प्रयास करते दिख रहे हैं। "मेरी अम्मा स्कूल-ड्रेस नहीं धोती थी तो मुझको पीली टोपी पहना दी जाती थी। पर अब मैंने उनको बोल दिया है कि मैं घर पर स्कूल-ड्रेस नहीं पहनूंगी और जब भी मेरे कपड़े साफ़ नहीं होंगे मै स्कूल नहीं जाऊंगी," सोना (13 वर्ष) बताती हैं।

        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.