डायबिटीज से परेशान हैं तो करें इन योगासनों का अभ्यास

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 42 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं

Ashwani Kumar DwivediAshwani Kumar Dwivedi   27 April 2020 7:44 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
डायबिटीज से परेशान हैं तो करें इन योगासनों का अभ्यास

"आम तौर पर हम शरीर को स्वस्थ रखने के बारे में तब सोचते हैं, जब हम बीमार हो जाते हैं। अगर किशोरावस्था से शरीर का ख्याल रखा जाए और शरीर को स्वस्थ रखने के सूत्रों का पालन किया जाए तो बीमार होने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है। फिर भी जब जागो तब सवेरा की सूक्ति को मानते हुए कभी भी योगाभ्यास शुरू किया जा सकता है," ये कहना है प्रो. उमेश शुक्ला का जो लखनऊ विश्वविद्यालय के योग विभाग के विभागाध्यक्ष हैं।

पूरी दुनिया में डायबिटीज के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। युवा, प्रौढ़ और बुजुर्गों के साथ-साथ कम उम्र के किशोर भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। नियमित योगाभ्यास से मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है।

योग विज्ञान में सर्वागासन, शीर्षासन, पश्चिमोत्तान आसन, शलभासन, धनुरासन, शवासन, मयूरासन, भुजंगासन और नाड़ी शोधन प्राणायाम बिना कुम्भक के (श्वास को अंदर नही रोकना है) करने की सलाह दी जाती है। इनके अभ्यास से मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है और जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें मधुमेह होने की संभावना न के बराबर होती है।

शीर्षासन, सर्वांगासन और नाड़ी शोधन प्राणायाम के बारे में पूर्व के लेख में बताया जा चुका है। अन्य आसनों के बारे में हम इस लेख में आपको जानकारी दे रहे हैं।

शलभासन

शलभासन

इस आसन में पेट में बल लेटकर, हाथ बगल से खुले हुए कमर की तरफ रखें तथा कंधे और हथेलियों का हिस्सा जमीन को छूता रहता है। ठुड्डी जमीन को छूती रहती है। इसके बाद श्वास भरकर शरीर को कड़ा करते हुए सीने और कन्धों पर भार डालते हुए पैरों को 30 डिग्री कोण तक ऊपर की तरफ उठाते हैं।

इस स्थिति में पैरों के साथ-साथ कमर का भी कुछ हिस्सा ऊपर उठता है। आसन की स्थिति में यथाशक्ति रुकने का अभ्यास करें और फिर श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे पैरों को नीचे जमीन पर लाए। इसके अभ्यास से पेट की मांसपेशिया, अग्नाशय और गुर्दे क्रियाशील होते हैं।


पश्चिमोत्तान

आसन को करने के लिए जमीन पर चटाई या दरी बिछाकर दण्डासन (दोनों पैर सीधे करके कमर से 90 डिग्री के कोण की स्थिति में बैठे और दोनों पैरों को आपस में जोड़ लेंI) की स्थिति में बैठें।

पश्चिमोत्तान

अब श्वास भरते हुए दोनों हाथों को सामने की तरफ उठाएं और ऊपरी बाहु को कान से लगाते हुए सीधा करते हैं। फिर श्वास निकालते हुए दोनों हाथों को सीधा रखते हुए मस्तक को दोनों घुटनों पर स्पर्श कराते हैं और कुहनियों को जमीन पर लगाते हैं। सामान्य श्वास-प्रश्वास करें। कुछ देर इसी स्थिति में रहें। आसन से बाहर आने के लिए पहले सिर व कुहनी को उठाते हैं।

पैरों के अंगूठे को छोड़कर हाथ धीरे-धीरे वापस लाते हैं और फिर से दण्डासन की स्थिति में आ जाते हैं। फिर दण्डासन की स्थिति में दोनों हाथ पीछे जमीन पर रखकर गर्दन को पीछे की तरफ लटकाकर पूरे शरीर को ढीला छोड़ देते हैं।


भुजंगासन

ये आसन सर्प आकृति का होता है और शलभासन का आसन होता है। इस आसन में पेट के बल लेटकर दोनों पैरों के बीच थोडा अंतर करते हैं और पंजों की ऊँगलियों को जोड़ते हुए हाथों को आगे रखते हैं। दोनों हाथों की ऊँगलियों को आपस में मिलाते हुए मस्तक को हाथों पर रखते हैं। इस स्थिति को मकरासन कहा जाता है।

भुजंगासन

मन को शांत रखते हुए दोनों हाथों को बगल से लगाते हुए दोनों पैरों को जोड़ते हैं। इसके बाद श्वास भरते हुए फन फैलाये सर्प की मुद्रा में आते हुए शरीर के अगले हिस्से को उठाते हैं और दृष्टि आसमान की तरफ रखते हैं। जितनी देर संभव हो इस आसन में रुके और फिर श्वास छोड़ते हुए मकरासन में आयें। इस आसन को सिर्फ एक ही बार किया जाता है।

धनुरासन

इस आसन में शरीर की आकृति धनुष की तरह होती है। अभ्यास के लिए जमीन पर पेट के बल लेट जाये, श्वास व मन की गति को नियंत्रित करें। दोनों पैरों को आपस में मिलाएं और पैरों के तलवे आसमान की तरफ रहें। हाथ बगल से लगे रहें, हथेलिया ऊपर की तरफ रहें एवं ठुड्डी जमीन पर स्थिर रहे। अब दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ें और दोनों हाथ के पंजों को घुटनों से मोड़ते हुए दोनों हाथों के पैरों के पंजों के पास के टखनो को पकड़ते हैं और घुटनों में थोड़ा अंतर कर लेते हैं।

श्वास भरते हुए शरीर के आगे और पीछे दोनों हिस्सों को उठाते हैं और शरीर को धनुष का आकार देते हैं। इस स्थिति में अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार शरीर को स्थिर (HOLD) करें। फिर शरीर के दोनों हिस्सों को धीरे-धीरे नीचे लायें, ठुड्डी और जांघों को जमीन पर लगाएं और हाथों को खोल लेI पैरों को सीधा करके शरीर को ढीला छोड़ते हुए हाथों पर मस्तक रखकर विश्राम करें। इस आसन का अभ्यास सिर्फ एक ही बार करें।

मयूरासन

ये आसन मयूर की आकृति का होता है। इस आसन को करने के लिए पहले जमीन पर घुटनों के बल बैठें और हथेलियों को कुछ आगे झुकाकर जमीन पर टिका देते हैं। कुहनिया नाभि के नीचे के भाग पर टीकाएँ और हाथ की उँगलियों को पैरों की दिशा मे रखें। हाथों को इस तरह रखते हैं कि आसन की स्थिति में शरीर लेटी हुई स्थिति में हाथों पर टंगा रहे। इस मयूरासन आसन में सारा शरीर जमीन के समान्तर रहता है।

मयूरासन

शवासन

इस आसन को योगाभ्यास के दौरान सबसे आखिरी में करें। इसे करने के लिए जमीन पर चटाई या दरी बिछाकर लेट जाये पैरों के बीच में एक से डेढ़ फीट का अंतर रखें और पूरे शरीर को इस दौरान शांत रखे। अब धीरे-धीरे पहले पैरों के अंगूठे को शिथिल करें। एड़ी की संधियों को, काफम्सिल्स को शिथिल करें।

फिर घुटनों को शिथिल और शांत करें। फिर क्रमश जंघाओं की नसों, शरीर की नाड़ियों व पेशियों को शिथिल करें। फिर जननांगों को शिथिल करें, अब अपना ध्यान नाभिचक्र पर केन्द्रित करके इसकी नाड़ियों को शिथिल करते हैं। इसके बाद पेट के आंतरिक अंगों को शिथिल करने का भाव करते हैं। वक्षस्थल और इसके अंगों, फेफड़ों, ह्रदय, यकृत आदि को शिथिल करते हुए कन्धों और कुहनियों को शिथिल और शांत करते हैं।

इसके बाद हाथ, हथेलियों और हाथ के पंजों को शिथिल करते हुए गर्दन पर ध्यान केन्द्रित करते हैं। गर्दन की सभी नसों, नाड़ियों, ग्रास नाल, श्वास नाल इत्यादि को शिथिल करके अपना ध्यान चेहरे पर केन्द्रित करते हैं। चेहरे के सभी अंगों आँखें, होठ, नासिका, कान, पलके आदि शिथिल करते हैं।

शवासन

अब श्वास को सामान्य करते हुए मस्तिष्क से सारे विचारों को निकालें और सारा ध्यान श्वास पर केन्द्रित करते हुए शरीर की आवाज को महसूस करें। भाव का शरीर पर गहरा असर होता है, भाव से जन्मी निराशा और बीमारियों का उपचार भाव से ही संभव है। अब भाव करें कि नीले आकाश से एक अद्भुत, दिव्य प्रकाश आपके नजदीक आ रहा है। प्रकाश के प्रभाव से शरीर के सभी अंग सक्रीय और प्रकाशित हो रहे हैं और प्रकाश श्वास के साथ शरीर के अंदर प्रवेश कर रहा है। भावना करें कि शरीर अति सूक्ष्म और हल्का होता जा रहा है शरीर में व्याप्त नकारात्मक उर्जा शरीर से बाहर निकल रही है। इसी दिव्य भावना के साथ एकाग्र होकर शवासन में लेटे रहे, ध्यान रखें कि सोना नहीं है।

शवासन से बाहर आने के लिए पहले पूरे शरीर को धीरे-धीरे हिलाएं और बिना आँखे खोले हाथों की हथेलियों को आपस में रगड़कर गर्म करें और उससे चेहरे की मालिश करें और आँखों पर रखे फिर धीरे-धीरे आँखे खोलें। इसके बाद बायीं तरफ करवट लेते हुए दोनों हाथों का सहारा लेते हुए उठे।

योगासन करने से पहले योग की सूक्ष्म और यौगिक क्रियाये जरूर करें। किसी भी आसन को बल पूर्वक न करें। जितना आसानी से हो पाए सिर्फ उतना ही करें, संभव हो तो आसनों का अभ्यास किसी योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में करें।

यह भी पढ़ें :

हर दिन इन दो योगासन का करेंगे अभ्यास तो बने रहेंगे सेहतमंद

पेट की चर्बी घटाता है उत्तानपाद आसन



    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.