पीठ दर्द से छुटकारा दिलाएंगे ये योगासन

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पीठ दर्द से छुटकारा दिलाएंगे ये योगासन

आप शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आपको अपने दैनिक जीवन के क्रियाकलापों में संतुलन बनाए रखना होगा। नित्य समय पर सोकर उठना, संतुलित आहार लेना और शारीरिक चपलता बनाए रखने के लिए खुद को सक्रिय रखना और सही समय पर सो जाना आदि बेहद जरूरी है। दैनिक क्रियाकलापों की तरह व्यायाम, योग आदि को भी अपनाना जरूरी है। लेकिन हमेशा किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ही योगाभ्यास करें ताकि हम इन्हें सही तरीके से कर सकें और पूरा लाभ उठा पाएं। योगानंता, स्टूडियो ऑफ योगा की संस्थापक और योग विशेषज्ञ रेखा चर्चा कर रही हैं कुछ ऐसे योगासनों की जिनसे पीठ मज़बूत बनती है और पीठ दर्द से छुटकारा मिलता है।

आजकल आॅफिसों में हमारा अधिकांश समय बैठे हुए ही बीतता है। लंबे समय तक बैठे रहने और कंप्यूटर पर काम करने की वजह से अक्सर हमें पीठ दर्द की शिकायत हो जाती है। आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह नियमित रूप से कुछ योगासन करने से न केवल आपकी पीठ का दर्द खत्म हो जाएगा बल्कि पीठ की मांसपेशियां भी मजबूत हो जाएंगी ताकि भविष्य में भी आपको पीठ दर्द की दिक्कत न हो।


भुजंगासन: यह आसन देखने में फन उठाए हुए सांप की तरह लगता है, इसलिए इसे अंग्रेजी में कोबरा पोज़ कहते हैं।

सबसे पहले आसन पर पेट के बल लेट जाएं, दोनों पैरों को आसन के चौड़ाई के अंतर के जितना खोल लें।

दोनों हाथ, दोनों कन्धों के बराबर ठीक नीचे छाती के पास रखें, कोहनियां छत की तरफ एवं, ठुड्डी आसन से लगी होनी चाहिए।

श्वास भरते हुए सबसे पहले ठुड्डी उसके बाद छाती और आखिर में पेट और नाभि तक उठने का प्रयास करें, दृष्टि छत की तरफ रखें या अपनी आंखें कोमलता से बंद कर लें। इसी अवस्था में 30 से 40 सेकंड तक बने रह सकते हैं। वापिस जाने के लिए सर्वप्रथम नाभि, पेट फिर छाती और आखिर में अपनी ठुड्डी आसन पर लगाएं। 1-2 सामान्य श्वास लें, यह प्रक्रिया आप 3 से 4 बार दोहरा सकते हैं।

भुजंगासन ना केवल आपके पीठ के दर्द अपितु कमर के दर्द एवं गर्दन के दर्द से भी आपको आराम दिलाता है। मेरुदंड को लचीला बनता है तथा थकान से भी मुक्ति दिलाता है।


त्रिकोणासन: अपने दोनों पैरों को 2 से 3 फीट तक खोल के एकदम सीधे खड़े हो जाएं। अपनी दोनों भुजाओं को कन्धों के समानंतर खोल लें, अब धीरे—धीरे अपनी कमर से, अपने दाहिने और झुकना शुरू करें, और आखिर में अपने दाहिने हाथ से अपने दाहिने पैर को छूने का प्रयास करें दूसरा हाथ आसमान की तरफ सीधा होगा, अब अपने सिर को घुमाते हुए बाएं हाथ के अंगूठे को देखें। गहरी सांस लेते हुए हाथों को बिल्कुल सीधे करते हुए एकदम सीधे पहले की तरह खड़े हो जाएं। एक-दो बार लम्बी गहरी स्वास लें।

इसी तरह ये प्रक्रिया दूसरे हाथ से भी करें, दोनों तरफ से जब क्रिया हो जाए तभी यह एक चक्र पूरा होता है, इस तरह आप ये आसन 5 से 7 चक्र कर सकते हैं। त्रिकोणासन करने से पैरों एवं घुटनों के अलावा कूल्हों एवं गर्दन, रीढ़ और टखनों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसके अलावा यह आसन कंधों और सीने को चौड़ा बनाने में मदद करता है।



बालासन: सबसे पहले अपनी एड़ियों पर बैठ जाएं, अपने कूल्हों को एड़ी के ऊपर रखें, आगे की ओर झुकें और हाथों को शरीर के दोनों ओर से आगे की ओर बढ़ाते हुए जमीन पर रखें, अपने माथे को आसन से लगाएं और धीरे से छाती से जांघों पर दबाव दें। इसी आसन में आप 1 मिनट तक बने रह सकते हैं। यह आसन आप 3 से 4 बार कर सकते हैं। धीरे-धीरे उठकर एड़ी पर बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी को धीरे—धीरे सीधा करें। यह आसन पीठ के दर्द से आराम दिलाता है, तंत्रिका तंत्र को शांत करता है एवं कब्ज से राहत दिलाता है।

सावधानी :- गर्भवती महिलायें इस आसन का अभ्यास न करें एवं जिनका घुटनों का ऑपरेशन हुआ हो वे इस आसन का अभ्यास न करें।


मार्जरीआसन-बिटिलासन: सबसे पहले आप अपने घुटनों एवं हाथों के बल आएं और अपने शरीर को मेज़ की आकार देने का प्रयास करें, जिसमे पीठ को मेज़ का ऊपरी हिस्सा बनायें और दो हाथ और दो पैरों को मेज़ के चार पैर बनायें।

अपने हाथ एकदम सीधी , ठीक कन्धों के नीचे रखें , अपने दोनों हथेलियों को आसन से लगा कर रखें और घुटनों में कूल्हों जितना अंतर रखें , गर्दन सीधी और नज़र सामने रखें।

श्वास भरते हुए ठोड़ी को ऊपर की ओर तथा सर को पीछे की ओर लेके जाएँ , नाभि को ज़मीन की तरफ दबाएं और कमर के नीचे के हिस्से को छत की तरफ ले जाएँ।

इसी स्थिति में कुछ क्षण रहे, लम्बी गहरी साँसें लेते एवं छोड़ते रहें।

अब इसके ठीक विपरीत स्थिति करेंगे, स्वास छोड़ते हुए ठोड़ी को छाती से लगाने का प्रयास करें, एवं पीठ को धनुष आकार में जितना हो सकेगा उठाएंगे, इसी अवस्था में कुछ क्षण रहें एवं पुनः पहले वाली मेज़नुमा स्थिति में आ जाएं। दोनों आसनों को 6-7 बार दोहराएं तथा विश्राम करें। इस आसन के करने से पीठ के दर्द से मुक्ति मिलती है, मेरुदंड लचीला होता है। पेट सुडौल बनता है, रक्त संचार अच्छे से होता है, कमर दर्द में बेहद लाभदायक होता है।

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(रेखा योगानंता-स्टूडियो ऑफ योगा की संस्थापक हैं और योग विशेषज्ञ हैं।)


       

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