निर्माण श्रमिकों के बच्चों को भी मिल रही बेहतर शिक्षा 

Neetu SinghNeetu Singh   24 March 2017 8:06 PM GMT

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निर्माण श्रमिकों के बच्चों को भी मिल रही बेहतर शिक्षा विहान आवासीय विद्यालय में लड़कियों को मिल रही है बेहतर शिक्षा।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

कानपुर। कुछ साल पहले जहां निर्माण श्रमिकों के बच्चे कहीं पढ़ने नहीं जा पाते थे, लेकिन आज वही बच्चे विहान आवासीय विद्यालय में बेहतर शिक्षा पा रहे हैं।

कानपुर के नौबस्ता हंसपुरम में अगस्त 2015 में विहान बालिका आवासीय विद्यालय की शुरुआत की गयी, जिसमें कानपुर देहात और नगर मिलाकर 100 छात्राएं पढ़ती हैं। ये स्कूल कक्षा छठी से आठवीं तक है। श्रम विभाग ने इन स्कूलों के संचालन की जिम्मेदारी महिला सामाख्या को सौंप दिया है। महिला सामाख्या द्वारा इन स्कूलों को काफी अच्छे तरीके से संचालन किया जा रहा है।

श्रम विभाग में रजिस्टर्ड श्रमिकों के बच्चों के लिए आवासीय मुफ्त शिक्षा देने के लिए श्रम विभाग द्वारा 'विहान आवासीय विद्यायल' नाम के स्कूल खोले गए, जिसमें श्रमिको के बच्चे पढ़ रहे हैं।

पढ़ायी के साथ ही दिया जाता है व्यवहारिक ज्ञान

कानपुर देहात जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर सिहौला बुजुर्ग में रहने वाले रामशरण कुमार (55 वर्ष) का कहना है, "हम पढ़ नहीं पाए, हमारे माँ-बाप मजदूरी करते थे। बचपन से हम भी मजदूरी करने लगे। यदि हमने पढ़ाई की होती तो रोज मजदूरी की तलाश में भटकना न पड़ता।" वो आगे बताते हैं, "जब हमें विहान स्कूल के बारे में पता चला तो हमने अपनी बेटी का दाखिला यहां करा दिया।"

"इन स्कूल में बच्चों को व्यहारिक ज्ञान पर ज्यादा जोर दिया जाता है। जेण्डर पर भी विशेष रूप से चर्चा की जाती है।"

रेवा चौबे, स्टेट कोऑर्डिनेटर, विहान विद्यालय

सिखाया जाता है व्यवहारिक ज्ञान

श्रमिक विभाग में रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके इस दिशा में विहान आवासीय विद्यालय की नींव रखी गयी। निर्माण श्रमिकों की संख्या लाखों में है। इस तुलना में इन स्कूलों की संख्या बहुत कम है। वर्तमान में 12 जिलों में 12 बालिका और 12 बालक विहान आवासीय विद्यालय चलाये जा रहे हैं।

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पूरे प्रदेश में हैं 24 आवासीय विहान स्कूल

उत्तर प्रदेश में 1800 ईंट-भट्ठे हैं, जहां 80 लाख मजदूर काम करते हैं। कानपुर में ही 280 ईंट-भट्ठे संचालित हैं। विद्यालय की अधीक्षिका जया किनारिया बताती हैं,"इस स्कूल में जो भी छात्राएं आती हैं, ज्यादातर की पढ़ाई छूट चुकी होती है। उनके लिए ब्रिज कोर्स चलाये जाते हैं। जिसमें उन्हें लिखना-पढ़ना और व्यवहारिक ज्ञान सिखाया जाता है।" जब ये बच्चे लिखना पढ़ना सीख जाते हैं तब इन्हें छठीं कक्षा में दाखिला कराया जाता हैं। वो आगे बताती हैं , "इन बच्चों को क्राफ्ट, संगीत, कम्प्यूटर, पेंटिंग, आत्म सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, म्यूजिकल आदि का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।"

स्कूल में पढ़ रही रोहिणी गौतम (13 वर्ष) खुश होकर बताती है, "हमने कभी सोचा नहीं था हमें इतने अच्छे स्कूल में पढ़ने का मौका मिलेगा ,यहाँ डांस और योगा भी सीखने को मिलता है,हम अंग्रेजी में वेलकम सांग गा लेते हैं ।

    

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