महिलाओं की मदद के लिए आगे आई महिला समाख्या

Neetu SinghNeetu Singh   1 April 2017 2:52 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
महिलाओं की मदद के लिए आगे आई महिला समाख्याकोमल की तरह ऐसी कई महिलाएं हैं जिनके पति दो से तीन शादियां करते हैं।

नीतू सिंह ,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

बहराइच। “जब शादी होकर ससुराल आये तब पता चला मैं अपने पति की दूसरी बीबी हूं। 11 साल की उम्र में मेरे माँ बाप ने बिना छानबीन किये दोगुनी उम्र के लड़के से मेरी शादी कर दी।” ये कहना है शिवपुर गाँव की कोमल सोनी (35 वर्ष) का।

महिलाओं से संबन्धित सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

कोमल बहराइच जिले की पहली महिला नहीं है जो अपने पति की दूसरी बीबी हो कोमल की तरह ऐसी कई महिलाएं हैं जिनके पति दो से तीन शादियां करते हैं। कोमल अपने बीते दिनों को याद करते हुए बताती है, “हमारे माँ-बाप गरीब हैं और पढ़े लिखे नहीं हैं। हम तीन बहनें और दो भाई हैं। सबसे बड़े होने की वजह से मेरी शादी जल्दी कर दी गई।

शादी के दो चार महीने तो पति ने ठीक से रखा इसके बाद ऐसा कोई दिन न जाता जिस दिन वो हमें न मारें।” मारने की वजह पूंछने पर कोमल बताती है, “मेरी सौतन और मेरे बीच बात-बात पर कहा सुनी हो जाती, वो मुझे पसंद नहीं करती थी, उसके कहने पर मेरे पति और वो खुद बहुत मारते थे।” उसने कहा, “जब अपने माँ बाप को अपनी सौतन और पति की करतूतें बताती तो वो लोग कहते उसी घर में तुम्हारी गुजर बसर होनी है ये सब तो सहना ही पड़ेगा।”

बहराइच जिला मुख्यालय से 44 किलोमीटर शिवपुर गाँव में पुलिस चौकी के ठीक सामने टीन के नीचे चबूतरे में गाँव की महिलाएं एक साथ बैठकर अपनी दुःख तकलीफें बांटतीं हैं। ये सभी महिलाएं महिला समाख्या से जुड़ी हुई हैं और इसी चबूतरे पर महिला मुद्दा बैठक भी करती हैं जिसमें आस-पास की समस्याएं सुलझाई जाती हैं।

कोमल सैनी ने बताया, “जो दुःख मैंने झेले हैं किसी और लड़की को कभी न झेलने को मिले। महिला समाख्या की कविता दीदी ने हमें बहुत मुश्किल से हमारे पति से बचाया। चार साल से मीटिंग में आ रहे हैं, बहुत चीजें जानने लगे हैं।” तमाम दुःख सहन करने वाली कोमल महिला समाख्या से जुड़ने के बाद खुश होते हुए बताती है, “अगर हमारी किसी ने तकलीफें बांटी हैं तो वो सिर्फ महिला समाख्या है, मै खुद अब बाल-विवाह रोकती हूँ, कोई महिला पीटी जाती है तो उसे जाकर बचाती हूँ।” कोमल कभी अपनी जिन्दगी से परेशान थी लेकिन आज वो खुद लोगों को समूह में जागरूक करने का काम कर रही है।

कोला गाँव से आयी शान्ती देवी (55 वर्ष) का कहना है, “कम उम्र में शादी होने की वजह से बच्चे जन्म के बाद मर जाते हैं या फिर गर्भ में ही खराब हो जाते हैं। बच्चे न होने का बहाना बनाकर यहां के पुरुष दूसरी शादी कर लेते हैं।” अपने गाँव में रामचंद्र का जिक्र करते हुए बताती हैं, “तीन शादियां की हैं उसने, एक के बच्चे नहीं हुए तो उसे घर से भगा दिया। यहां गरीबी और अशिक्षा बहुत है, इस वजह से इस तरह के मामलों में रोक नही लग पा रही है।

शिवपुर ब्लॉक के 25 गाँव में क्लस्टर रिसोर्स पर्सन के पद पर काम करने वाली कविता शुक्ला (27 वर्ष) बताती हैं, “हिंसा और बाल विवाह से पीड़ित महिलाओं की मदद बैठक में आने वाली महिलाएं खुद करती हैं, क्योंकि उन्होंने इस दुःख को झेला है इसलिए दूसरों की तकलीफें समझती हैं, कोमल अब बैठक कर बाल विवाह, दूसरी शादी पर चर्चा करके दूसरों को जागरूक करती हैं।”

दो शादियों को माना जाता सामान्य

इस बैठक में 11 गाँव की महिलाएं महीने में दो तीन दिन जरूर बैठती हैं। बैठक में सिद्धनपुरवा गाँव से आई मीरा विश्वकर्मा बताती हैं, “हमारे गाँव के मुन्नीलाल ने भी दो शादियां सिर्फ इस वजह से की थी क्योंकि उनकी पहली पत्नी के बच्चे नहीं हो रहे थे, दूसरी शादी के बाद भी जब बच्चे नहीं हुए तो फिर तीसरी शादी कर ली।” मीरा का कहना है, “यहां दो तीन शादियों का चलन सा हो गया है। पढ़े लिखे न होने की वजह से किसी को ये अपराध नहीं लगता और इसे सामान्य माना जाता है।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.