क्यों देश के खेतों से गायब हो रहा पान ?

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   26 Jan 2017 1:51 PM GMT

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क्यों देश के खेतों से गायब हो रहा पान ?साल 2000 में भारत में पान का कारोबार करीब 800 करोड़ का था। पिछले दशकों में 50 फीसदी गिरावट दर्ज हुई।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

वाराणसी। जिले के सुहागपुर गाँव में पान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहां रहने वाले 30 से ज्यादा परिवार पान की खेती करते हैं पर इस खेती के लिए कोई भी सरकारी योजना न होने के कारण अब यहां रहने वाले लोग पान की खेती छोड़कर मजदूरी कर रहे हैं।

सुहागपुर गाँव के किसान रामसेवक गुप्ता (48 वर्ष) पिछले नौ वर्षों से पान की खेती कर रहे हैं। रामसेवक बताते हैं, ‘सरकारी मंडी में पान नहीं बिकता है, इसलिए पान की फसल या तो फुटकर दुकानदारों को बेचते हैं या पान के व्यापारियों को कम दाम पर देते हैं।’

भारतीय आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, ‘2000 में भारत में पान का कारोबार करीब 800 करोड़ का था। पिछले दशकों में इस कारोबार में 50 फीसदी से भी ज़्यादा की गिरावट आई है। सुहागपुर के पास ही आशापुर गाँव के किसान दीनबंधु मौर्य (53 वर्ष) ने अब पान की खेती छोड़ दी है। वो बताते हैं कि तीन वर्ष पहले हम आधे एकड़ जमीन पर बरेजा बनाकर पान की खेती करते थे। हमारा गाँव गंगा से 12 किमी दूर है इसलिए सिंचाई करने में दिक्कत होती थी और लागत भी ज़्यादा आती थी, इसलिए अब हम दुकान पर बैठते हैं।’

पान की खेती में सिंचाई की बहुत ज़रूरत पड़ती है। बरेजा (लकड़ी का ढांचा) में होने वाली पान की फसल में एक दिन में तीन से चार बार सिंचाई करनी पड़ती है। हालांकि इस बार अच्छी वर्षा होने के बावजूद भी बनारस में पान का रकबा घट गया है। इसके अलावा पान की खेती करने ले अभी तक सरकार द्वारा कोई भी बीमा योजना नहीं चलाई गई है, जिसकी मदद से किसान लोन लेकर पान की खेती भी नहीं कर सकते हैं।

हम जल्द ही पान की खेती कर रहे किसानों की मदद के लिए एक योजना लाने वाले हैं, जिसमें किसानों को उद्यान विभाग की मदद से बरजे निर्माण के लिए आर्थिक मदद, सिंचाई के लिए प्लास्टिक पाइप और तार मुहैया कराएंगे।
डॉ. संजय सिंह, जिला कृषि अधिकारी

पहली वजह: भारत की अनियमित जलवायु

पान एक ऊष्णकटिबंधीय पौधा है। चूंकि भारत की जलवायु ज्यादा गर्म नहीं है इसलिए इसकी खेती के लिए किसानों को अतिरिक्त ध्यान देना जरूरी होता है। इस वजह से ही किसान इसे ग्रीनहाउस में उगाते हैं जहां नमी को 40-80 फीसदी तक रखते हैं और तापमान 15 से 40 डिग्री सेल्सियस रखते हैं।

दूसरी वजह: सिंचाई में लागत अधिक

इसी के साथ पान की खेती के लिए पानी की भी अधिक जरूरत होती है। इस लिहाज से सिंचाई के लिए व्यय होने वाली पानी में अधिक खर्चा आता है। यह भी पान की खेती में कमी आने का मुख्य कारण है। भारत में अनियमित बारिश की वजह से तालाबों में कभी पर्याप्त पानी नहीं रहता। इस वजह से किसानों को बोरवेल व अन्य सिंचाई साधन से पानी लेने के लिए पानी के साथ उसके ईंधन का भी खर्चा खुद करना होता है। मौसम के लिहाज से पान एक अतिसंवेदनशील पौधा है। यानी 40 डिग्री सेंटीग्रेट से ज्यादा तापमान में पान को नहीं उगाया जा सकता। इससे पत्तियां पीली पड़ जाती है और पौधा मुरझा जाता है।

तीसरी वजह: मजदूर व खेती की लागत ज्यादा

मजदूर और खेती के साधन की ज्यादा लागत भी किसानों को खेती से दूर कर रही है। उदाहरण के लिए, पान के लिए ग्रीनहाउस बनाने में किसान को बांस की लकड़ी का ढेर चाहिए होता है। शुरुआत में राज्य सरकारों ने बांस की बल्लियों के लिए सब्सिडी की सुविधा दे रखी थी लेकिन अब यह राहत ज्यादातर राज्यों से खत्म कर दी गई है। किसानों के अनुसार, बाजार से बांस खरीदना सब्सिडी वाले दामों से तीन से चार गुना महंगा होता है। इसके अतिरिक्त बांस बाज़ारों में मिलते भी नहीं है। दूसरे कच्चे माल जैसे गन्ना और जूट की लकड़ी भी महंगी हैं।

चौथी वजह: रासायनिक उर्वरक के भरोसे किसान

पान की खेती के लिए निरंतर सिंचाई, पत्तियां तोड़ना, खाद-उर्वरक का छिड़काव करने के लिए मजदूर लागत भी देनी पड़ती है। कम मांग और ज्यादा लागत होने के कारण किसान भी पान की जैविक खेती से रासायनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। ताकि फसल जल्दी तैयार हो सके। आमतौर पर गाय के गोबर से बनी खाद, कंपोस्ट खाद, नीम की बीच और अन्य वगैरह की कीमत एक एकड़ के हिसाब से 36,000 रुपए है जबकि रासायनिक उर्वरक इनकी आधी रकम से भी कम में मिल जाती हैं।

पांचवीं वजह: व्यापार में लगातार गिरावट

लखनऊ के व्यापारी संगठन के अनुसार पान के व्यापार में करीब 35 फीसदी गिरावट दर्ज हुई है। लखनऊ में, बनारस के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा पान बाज़ार है। इस समय किसान उन्हीं फसलों को बो रहे हैं जिसके बदले उन्हें अच्छा मुनाफा मिले। कम से कम 200 किसानों ने, जो पान बेचने लखनऊ की मंडी में जाते थे, पिछले कुछ वर्षों में दूसरी नकदी फसलों का रुख कर लिया है।

छठी वजह: तंबाकू ने घटाया पान का रकबा

इसके अलावा पिछले कुछ दशकों से भारत में तंबाकू सेवन तेजी से बढ़ा है खासकर गुटखा के रूप में। लंदन बेस्ड एक मार्केट रिसर्च फर्म के अनुसार, 484,000 टन खाने वाला तंबाकू 2004 में बिका था। यह बिक्री 2009 तक 639,000 टन हो गई। इस तरह यह भी माना गया कि एक समय पान के शौकीन लोग भी तंबाकू सेवन में गुटखा, सिगरेट का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे। इस वजह से भी पान की खेती पर असर पड़ा।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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