एक साल बीतने के बावजूद नहीं बना सके ग्राम पंचायत विकास योजना

Neetu SinghNeetu Singh   11 March 2017 1:57 PM GMT

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एक साल बीतने के बावजूद नहीं बना सके ग्राम पंचायत विकास योजनाग्राम प्रधानों को ग्राम पंचायत विकास योजना बनाने में एक साल से अधिक समय बीत गया है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। ग्राम पंचायतों में नए ग्राम प्रधानों को बने 14 महीने हो रहे हैं, लेकिन विकास के नाम पर ग्राम प्रधानों को ग्राम पंचायत विकास योजना बनाने में एक साल से अधिक समय बीत गया है। बता दें उत्तर प्रदेश शासन की ओर से मुख्य सचिव ने 29 सितम्बर 2015 को समस्त जिला अधिकारी और जिला पंचायत राज अधिकारी को यह निर्देशित किया था कि समस्त ग्राम पंचायतों को समग्र विकास के लिए ‘ग्राम पंचायत विकास योजना’तैयार करनी होगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह था कि गाँव को अपने बारे में सोचने, निर्णय लेने, कार्य करने की आजादी और अधिकार मिल सके।

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इस बारे में औरैया जिले के सहार ब्लॉक के ढिकियापुर ग्राम प्रधान रविन्द्र कुमार (35 वर्ष) बताते हैं, “जब से कार्य योजना बनाने की नयी व्यवस्था लागू हुई है, इसको समझने में ही एक साल लग गए। इसकी वजह से पूरे साल जो काम होना चाहिए था, वो सिर्फ 50 प्रतिशत ही हो पाया है।” 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत उत्तर प्रदेश की 59,162 ग्राम पंचायतों को वर्ष 2015-16 में 3862.60 करोड़ रुपये की धनराशि विकास कार्यों के सम्पादन के लिए उपलब्ध कराई गयी। अगले पांच वर्ष के लिए प्रति ग्राम पंचायत को कम से कम लगभग 50 लाख रुपये इस योजना के तहत दिए जाने का प्रावधान है। वहीं, रायबरेली जिले के प्यारेपुर के ग्राम प्रधान अशोक गुप्ता का कहना है, “एक हजार रुपए का भी अगर काम है तो उसका स्टीमेट बनाकर देना है, जो देना थोड़ा मुश्किल है, कालोनी, शौंचालय और पेंशन उन लोगों को मिल रही है जिनका लिस्ट में पहले से नाम था जिसमे से कई लोग आपात्र है, पंचायत स्तर पर जो खुली बैठक हो उसमे जो पात्र हैं उनको ये सुविधाएं मिले इस पर विचार करने की जरूरत है।”

इस बारे में कानपुर देहात जिले के पंचायत राज अधिकारी अजय श्रीवास्तव कहते हैं“ग्राम प्रधान चुनाव के तीन चार महीने बाद प्रधानों को ट्रेनिंग दी गयी। प्रधानों को पहली बार कार्य योजना बनानी पड़ी इसलिए उन्हें असुविधा हुई। इन्टरनेट समस्या भी इस कार्ययोजना को अपलोड करने में मुख्य वजह रही। जो योजनाएं समय से बन गईं उसका बजट आ गया था और काम भी चलता रहा, अभी तक कार्य प्रक्रिया धीमी रही आने वाले वर्षों में कार्य अपनी रफ़्तार से होगा।“

ट्रेनिंग के बावजूद प्रधानों को पहली बार कार्य योजना बनानी पड़ी इसलिए उन्हें असुविधा हुई। इंटरनेट समस्या भी इस कार्ययोजना को अपलोड करने में मुख्य वजह रही। जो योजनाएं समय से बन गईं उसका बजट आ गया था और काम भी चलता रहा, अभी तक कार्य प्रक्रिया धीमी रही आने वाले वर्षों में कार्य अपनी रफ्तार से होगा।
अजय श्रीवास्तव, पंचायत राज अधिकारी, कानपुर देहात।

प्राथमिकता पर तय होता काम

ग्राम पंचायतों के अधिकारों के लिए देश भर में तीसरी सरकार कार्यक्रम चला रहे हैं चंद्र शेखर प्राण बताते हैं, “ग्राम पंचायत विकास योजना का उद्देश्य था कि पंचायत स्तर पर इस योजना का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया जाए। पंचायत स्तर पर हर वार्ड के मतदाता बैठकर पंचायत की जरूरतों के हिसाब से क्या कार्य करना है, ये प्राथमिकता के अनुसार तय करते हैं।” वहीं, ग्राम पंचायत विकास योजना बनाने की ये प्रक्रिया जमीनी स्तर पर कोसों दूर है। यही वजह से कि ग्राम प्रधानों के खाते में कहीं पैसा नहीं आया तो कहीं एक साल बीतने के बाद भी काम नहीं शुरू हुआ।

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