महिला प्रधानों ने बखूबी संभाली बागडोर

Neetu SinghNeetu Singh   8 March 2017 3:37 PM GMT

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महिला प्रधानों ने बखूबी संभाली बागडोरअब महिला ग्राम प्रधान भी उभर कर सामने आ रही हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। एक तरफ जहां ये कहा जाता है कि महिलाएं सिर्फ नाम की ग्राम प्रधान होती हैं पूरा कार्यभार उनके पति या पिता संभालते हैं वहां इस मिथक को दूर करने के लिए कुछ युवा महिला ग्राम प्रधान उभरकर सामने आई हैं जो न सिर्फ पंचायत की जिम्मेदारी भली-भांति संभालती हैं बल्कि खुली बैठकों से लेकर घरेलू मसलों को भी सुलझाने का कार्य कर रही हैं।

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ग्राम प्रधान की जिम्मेदारी बखूबी संभालने वाली चाहे वो हरदोई जिले की पूनम सिंह (23 वर्ष) हों या फिर बलिया जिले की स्मृति सिंह (25 वर्ष) हों या फिर फैजाबाद जिले की नीलम वर्मा हों इन तीनों ग्राम प्रधानों ने कम उम्र में प्रधानी के पद को बड़ी ही जिम्मेदारी से संभाला है और एक सशक्त महिला प्रधान के रूप में उभरकर सामने आईं हैं।

हरदोई जिले के बावन ब्लॉक के तत्योरा गाँव की पूनम सिंह ने स्नातक की पढ़ाई लखनऊ से पूरी की इनकी राजनैतिक पृष्ठभूमि नहीं थी इनके पिता एक सरकारी कर्मचारी और मां एक गृहणी हैं। पूनम हरदोई जिले की सबसे कम उम्र की एकल महिला प्रधानों में से एक हैं। पूनम सिंह बताती हैं, “स्नातक करने के दौरान काॅलेज कम जाती थी और उस वक्त मैं गाँव की समस्याओं को हल करने में ग्रामीणों की मदद कर देती थी।” वह आगे बताती हैं “प्रधानी के चुनाव में 19 लोग खड़े थे लोगों ने मुझे भी खड़ा कर दिया, उम्मीद नहीं थी कि मैं जीत पाऊंगी पर 150 वोटों से जीती और जिले की सबसे कम उम्र की एकल महिला प्रधान बन गई।” पूनम के लिए विकास कार्य का मतलब ये नहीं कि वो नाली, सड़क बनवा देना ही नहीं बल्कि महिलाओं को शिक्षा, पेंशन, गैस चूल्हा, महिलाओं के साथ बैंक तक उनके खाते खुलवाना, दवाई दिलवाने जाना भी अपनी जिम्मेदारी समझती हैं इसलिए आज 11 गाँव की जिम्मेदारी संभाल रही पूनम से हर कोई खुश है।

प्रधान स्मृति सिंह खुली बैठकों में सुनतीं हैं महिलाओं की समस्याएं

बलिया जिले से 27 किलोमीटर दूर गढ़वाल ब्लॉक से पश्चिम दिशा में रतसर गाँव की रहने वाली स्मृति सिंह रानी लक्ष्मीबाई अवाॅर्ड और सबसे पढ़ी महिला प्रधान का पुरस्कार जीतने के साथ कई और पुरस्कार भी जीत चुकी हैं। वो बताती हैं, “बलिया एक पुरुष बाहुल्य क्षेत्र है। यहां शुरू से ही पुरुषों का राज रहा है। मेरे पहले भी दो महिलाएं ग्राम प्रधान रही हैं। लेकिन उनके आड़ में उनके पतियों ने काम किया है, आज मै खुश हूं कि पंचायत से जुड़े हर निर्णय मैं खुद लेती हूं, जब खुली बैठकें करती हूं, महिलाएं घरेलू हिंसा से लेकर आपसी विवाद भी सुलझाने के लिए मेरे पास आती हैं।”

प्रधान नीलम वर्मा गाँव में बेटी होने पर जमा करती हैं एक हजार रुपए

फैजाबाद जिले के मसौधा विकासखण्ड के टोनियॉ बिहारी गाँव की प्रधान नीलम वर्मा नए साल से ग्राम पंचायत में जन्मी हर नवजात बेटी के नाम एक हज़ार रुपए जमा कर रही हैं। प्रधान प्रतिनिधि कृष्ण देव वर्मा बताते हैं, “भ्रूण हत्या रोकने के लिए प्रधान नीलम वर्मा ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। वर्ष 2016 से जिनके घर में बेटी पैदा हुई। हमारी तरफ से उस घर की बेटी के नाम एक हज़ार रुपए बैंक में फिक्स्ड किए जा रहे हैं, जो उसके 20 साल पूरे होने पर ही बैंक से निकालें जा सकते हैं। ग्राम सभा को हाईटेक और स्मार्ट बनाना सपना है, उसको पूरा करने के लिए अधिकारियों सहित समाज में लोगों का सकरात्मक सहयोग मांगा है।”

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