महिलाओं को बना रहे हुनरमंद
Neetu Singh 29 Jan 2017 1:28 PM GMT

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
भाग्यनगर (औरैया)। जिले की जलवायु आंवला उत्पादन के लिए बहुत अच्छी है, मगर जानकारी के अभाव में यहाँ के ग्रामीण इस आंवले का सही से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इस दिशा में कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया, जिससे वो आंवला से रोजगार कर सकें।
औरैया जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर उत्तर-दक्षिण में भाग्यनगर ब्लॉक में माखनपुर गाँव हैं। इस गाँव की 30 महिलाओं और किशोरियों को 'आंवला का मूल्यसंवर्धन' विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण डॉ. फूलकुमारी ने दिया।
इस गाँव की मीना देवी (33 वर्ष) ने डॉ. फूलकुमारी से कहा, “अभी तक हम आंवला को सिर्फ एक खट्टा फल समझते थे, लेकिन अब इसके पूरे फायदा पता चले हैं। 10-15 रुपए किलो बिकने वाले आंवले से अब हम कई चीजें बनाकर इसे मुनाफा कमा सकते हैं।”
वहीं, इस गाँव में रहने वाली गीता देवी (38 वर्ष) बताती हैं, "हमारे गाँव में आंवला का एक बगीचा है, जिसमे खूब आंवला लगे हैं। हमें नहीं पता था कि इसका कितने ढंग से इस्तेमाल कर सकते हैं मगर जबसे मैडम ने ट्रेनिंग दी है, तबसे हम आंवला से कई चीजें बनाने के साथ कुटीर उद्योग शुरू करने की योजना बना रहे हैं।”
वो आगे बताती हैं, "अगर हम घर में आंवला का मुरब्बा, जूस, चूरन, लड्डू कुछ भी बनाते हैं तो इसमे लागत बहुत ज्यादा नहीं आयेगी लेकिन मुनाफा अच्छा मिल जायेगा।”
कृषि विज्ञान केंद्र परवाहा औरैया की गृह वैज्ञानिक डॉ. फूलकुमारी बताती हैं, "आंवला के उत्पादन के लिए यहाँ की जलवायु अच्छी होने के बावजूद लोग इसका सही से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं, इस प्रशिक्षण के यहाँ की महिलाओं को सभी चीजें बनाकर सिखाईं गयी हैं जिससे उन्हें बाद में बनाने में कोई असुविधा न हो।" वो आगे बताती हैं, "इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण में महिलाओं को आंवला मुरब्बा, लड्डू, बर्फी, कैंडी, अचार, चटनी, च्यवनप्राश, त्रिफला, जूस आदि बनाने की विधि बतायी गयी हैं।”
This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).
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