अब गर्भवती को असुरक्षित प्रसव से नहीं गुजरना पड़ता

Swati ShuklaSwati Shukla   10 Feb 2017 11:42 AM GMT

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अब गर्भवती को असुरक्षित प्रसव से नहीं गुजरना पड़ताप्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अन्तर्गत प्रदेश के सभी जिलों में गर्भवती महिलाओं के लिए लगाया गया शिविर।

लखनऊ। स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में अब किसी भी गर्भवती को असुरक्षित प्रसव से नहीं गुजरना पड़ता। स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए बीते नवंबर माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर की निजी महिला चिकित्सकों से माह में एक दिन जनहित में नि:शुल्क चिकित्सीय परामर्श देने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की शुरुआत की थी। इसके अन्तर्गत गुरुवार को प्रदेश के सभी जिलों में गर्भवती महिलाओं की जांच की गई।

मुफ्त चिकित्सीय परामर्श और सुरक्षित प्रसव के लिए जिले की निजी महिला चिकित्सक आगे आईं हैं। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर माह की नौ तारीख को जिला महिला चिकित्सालय सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए विशेष क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है।

हर माह की नौ तारीख को जिला महिला चिकित्सालय में संचालित होने वाली विशेष क्लीनिक में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की 21 सदस्यीय टीम गर्भवती महिलाओं के उपचार के लिए तैयार रहती है। सभी सामुदायिक केन्द्रों पर यह अभियान चलाया जा रहा है।
जीएस बाजपेई, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्वास्थ्य सामुदायिक केन्द्र चिनहट में इस अभियान के तहत 80 गर्भवती महिलाओं की जांच की गई, जिसके अर्न्तगत 12 महिलाओं में हाईरिस्क प्रेग्नेंसी पायी गई। 15 गर्भवती महिलाओं में खून की कमी पायी गई। बहुत सी महिलाओं में आयरन की कमी पायी गई। कुछ महिलाओं की एचआईवी की जांच भी की गई। जो महिला ज्यादा गंभीर हैं उन्हें बड़े अस्पताल भेज दिया जाता है। इससे बहुत हद तक प्रसव के दौरान होने वाली गर्भवती महिलाओं की मौत को रोका जा सकता है।

स्वास्थ्य समुदायिक केन्द्र चिनहट ब्लॉक की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आर्पिता श्रीवास्तव बताती हैं, “विभाग में विशेष रूप से ग्रामीण अंचलों में महिला चिकित्सकों की कमी है। अगर आशाबहू थोड़ा प्रयास करें तो हर गर्भवती महिला का इलाज समय पर हो सकेगा। क्योंकि इस अभियान के तहत ज्यादातर महिलाएं अपने आप आई हैं। बस आशाबहू प्रसव के समय साथ आती हैं। इस नई व्यवस्था के बाद विशेष रूप से ग्रामीण अंचलों की गर्भवती महिलाओं को स्वयं के और अपने गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए भटकना नहीं पड़ता।”

लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना तंत्र की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2015-16 में भारत में गर्भवती महिलाओं की अनुमानित संख्या 2.96 करोड़ थी। वर्ष 2015-16 में घर में होने वाले प्रसव की संख्या 23.56 लाख रही। एनआरएचएम की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में गर्भवती महिलाओं की सालाना औसतन संख्या 50-55 लाख है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 में 55,000 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत हो गई।

गर्भावस्था के दौरान घेर लेती हैं बीमारियां

इस योजना के अन्तर्गत हर माह की नौ तारीख को गर्भवती महिलाओं की जांच होती है। यह कार्यक्रम उन सभी गर्भवती महिलाओं को लक्षित करता है जो गर्भावस्था के 2 और 3 ट्राइमेस्टर में हैं। आमतौर पर जब एक महिला गर्भवती होती है तो वह विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे रक्तचाप, शुगर और हार्मोनल रोगों से ग्रस्त हो जाती है। इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छे स्वास्थ्य और स्वतंत्र जांच प्रदान करने के साथ स्वस्थ बच्चे को जन्म देने का प्रयास है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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