गाँवों के विकास में लापरवाही का रोड़ा

Neetu SinghNeetu Singh   24 Jan 2017 9:53 AM GMT

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गाँवों के विकास में लापरवाही का रोड़ाग्राम प्रधानों को पता ही नहीं कैसे बनाएं कार्ययोजना, प्रशिक्षण के अनुरूप काम करने की आजादी नहीं

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश की हजारों ग्राम पंचायतों में प्रधानी चुनाव के बाद विकास कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं। प्रधान जो कार्ययोजना बनाकर भेज रहे हैं उसे अधूरी बताकर विभाग पास नहीं कर रहे जबकि प्रधानों का कहना है कि सही कार्ययोजना कैसे बने, इसकी हमें जानकारी ही नहीं दी गई।

यूपी की 59,162 ग्राम पंचायतों में हजारों प्रधान 14वें वित्त की पहली किस्त का एक भी रुपया खर्च नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें कार्य योजना बनाने की जानकारी नहीं है। गाँव कनेक्शन ने कई जिलों के ग्राम प्रधानों से बात की तो ग्राम प्रधानों ने बताया कि चुनाव जीतने के कई महीनों बाद पंचायतीराज विभाग की तरफ से सिर्फ एक बार ही प्रशिक्षण दिया गया है।

ग्राम प्रधानों के अनुसार, प्रशिक्षण में जो बातें बतायी जाती हैं वो सही तरह से पंचायत स्तर पर लागू होने में मुश्किलें आती हैं। लखनऊ विकास भवन से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में बख्शी का तालाब ब्लॉक के जमखनवां गाँव के ग्राम प्रधान सौरभ गुप्ता बताते हैं, “ग्राम प्रधानी का चुनाव जीतने के बाद पूरे जिले के आठ ब्लॉक के ग्राम प्रधानों को चार दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जो बातें प्रशिक्षण में बतायी गईं उसके हिसाब से हमें काम करने की आजादी नहीं है।”

सौरभ गुप्ता की तरह प्रदेश के हजारों ग्राम प्रधानों की ये परेशानी है कि वो अपनी ग्राम पंचायत का विकास अपनी मर्जी से नहीं कर सकते हैं। कानपुर देहात जिले के राजपुर ब्लॉक के डाढापुर गाँव के ग्राम प्रधान शिवकुमार कटियार का कहना है, “अगर हमें ब्लॉक स्तर पर नियमित तौर प्रशिक्षण दिया जाए तो हम अपनी ग्रामसभा का अच्छे से विकास कर सकते हैं, अभी हमें पूरी तरह से जानकारी ही नहीं है कि एक ग्राम प्रधान होने के नाते हमारी क्या-क्या जिम्मेदारियां हैं।

देश के कई प्रदेशों में ग्राम प्रधानों को प्रशिक्षण देने वाले प्रतापगढ़ के डॉ. चंद्रशेखर प्राण बताते हैं, “प्रशिक्षण की सामग्री और प्रशिक्षक बेहतर नहीं हैं। इससे सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।”वो आगे बताते हैं कि ये कार्यशालाएं जिन उद्देश्यों के साथ की जाती हैं जब ग्राम प्रधान गाँव जाते हैं तो परिस्थिति बिल्कुल अलग होती है, सिर्फ प्रधानों को ही ट्रेनिग दी जाती है, पंचायत के सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता है जिससे उन्हें जानकारी ही नहीं मिल पाती हैं।”

प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 21 किमी. दक्षिण दिशा में शिवगढ़ ब्लॉक के भिखनापुर गाँव की रामकुमार विश्वकर्मा (40 वर्ष) को ये नहीं पता कि ग्राम स्वच्छता समिति भी कोई चीज होती है। रामकुमार विश्वकर्मा बताते हैं, “अभी हमारे यहां तो कभी भी सफाई नहीं होती, सफाई वाला भी कभी नहीं आता है। न ही हमारे गाँव में कभी फिनायल या कोई पाउडर नहीं छिड़का जाता है।” वहीं ग्राम प्रधान प्रेम कुमार (35 वर्ष) इस बारे में कहते हैं, “अभी मुझे प्रधान बने ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। मैं एनएनएम से बात करता हूं।”

सोनभद्र जिले के प्रधानों को प्रशिक्षित करने वाले अभय सिंह बताते हैं, “ग्राम प्रधानों को ब्लॉक स्तर पर कई बार प्रशिक्षण होना चाहिए, इनका निरंतर फ़ॉलोअप बहुत जरूरी है।” वो आगे बताते हैं, “ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायत भवन ही नहीं हैं जहां ग्राम प्रधान बैठक कर सकें और पंचायत स्तर पर उन्हें प्रशिक्षित किया जा सके, पूरे प्रदेश में 18 हजार पंचायतों के पास भवन ही नहीं है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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