‘दिन की सौ रुपए मजदूरी वो भी समय से नहीं’

Neetu SinghNeetu Singh   20 Feb 2017 9:52 PM GMT

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‘दिन की सौ रुपए मजदूरी वो भी समय से नहीं’ऑनलाइन भुगतान की सुविधा की गयी थी पर जबसे यह व्यवस्था की गई तबसे आगंनबाड़ी कार्यकत्रियों का पैसा उनके खाते में नहीं पहुंचा है।

नीतू सिंह, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। “पूरे दिन की मजदूरी 100 रुपए ही मिलती है वो भी समय से नहीं मिलती, बच्चों की समय से फीस न जमा करने से उन्हें स्कूल से भगा दिया जाता है, अगर पैसा नहीं आया तो होली का त्यौहार कैसे मनायेंगे?” ये कहना है आंगनबाड़ी कार्यकत्री कृष्णा कनौजिया (37 वर्ष) का।

ये परेशानी सिर्फ कृष्णा कनौजिया की ही नहीं है बल्कि प्रदेश की हजारों आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की है, जिन्हें अक्टूबर 2016 से मानदेय नहीं मिला है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को पहले तीन हजार रुपए मानदेय मिलता था, अक्टूबर महीने से 800 रुपए बढ़ाया गया था। तब से सीधे निदेशालय से ऑनलाइन भुगतान की सुविधा की गयी थी पर जबसे यह व्यवस्था की गई तबसे आगंनबाड़ी कार्यकत्रियों का पैसा उनके खाते में नहीं पहुंचा है।

लखनऊ जिले के बख्शी का तालाब ब्लॉक की बाल विकास अधिकारी तारा यादव बताती हैं, “अक्टूबर 2016 से हमारे ब्लॉक में 280 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मानदेय नहीं मिला है, लखनऊ के आठों ब्लॉक के बाल विकास अधिकारियों से बात होती रहती है। किसी भी ब्लॉक में अक्टूबर से आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को अभी तक पैसा नहीं मिला है।”

ऐसा नहीं है कि मानदेय नहीं जा रहा है अगर ऐसा है तो जल्द ही उनका पैसा उनके खाते में पहुंचाया जायेगा।
आनंद कुमार सिंह, निदेशक, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय के निदेशक आनंद कुमार सिंह बताते हैं, “ऐसा नहीं है कि मानदेय नहीं जा रहा है अगर ऐसा है तो जल्द ही उनका पैसा उनके खाते में पहुंचाया जायेगा।”

अपर निदेशक (वित्त) विश्वजीत कुमार दास का कहना है, “आगंनबाड़ी कार्यकत्रियों का मानदेय जा रहा है, 75 फीसदी तक चला गया है, 23 फरवरी को फाइनल रिपोर्ट मिल जायेगी।”

क्या खिला दें बच्चों को, फीस कैसे जमा करें, सर्दियों में सुबह 10 से दो बजे तक केंद्र पर रहते हैं, दो बजे से चार बजे तक फील्ड में जाते हैं, दिन के 100 रुपए मिलते हैं वो भी समय से न मिलें तो बहुत दिक्कत हो जाती है।
कृष्णा कनौजिया, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, बख्शी का तालाब ब्लॉक

गाँव कनेक्शन संवाददाता ने आगंनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय न मिलने को लेकर प्रदेश के लखनऊ, सोनभद्र, औरैया, बाराबंकी समेत कई जिलों में बात की तो कहीं चार महीने से पैसा नहीं पहुंचा, कहीं दो महीने से। ज्यादातर जिलों में अक्टूबर महीने से पैसा नहीं मिला है।

हमारी रोजी-रोटी इन्हीं पैसों से चलती है, कई बार बैंक जाकर चेक कर आएं हैं अभी तक पैसा नहीं आया है।
पूनम देवी, आंगनबाड़ी कार्यकत्री,सोनभद्र

“जबसे ऑनलाइन मानदेय की प्रक्रिया शुरू हुई है। तबसे अगर कोई गलती हो जाती है तो बहुत समय उसे ठीक कराने में लग जाता है, अक्टूबर से पैसा न मिलने से आंगनबाड़ी कार्यकत्री कई बार आकर कह चुकी हैं कि पैसा न मिलने से उनके घर के खर्चे चलाने में बहुत मुश्किलें आ रही है।” ये कहना चिनहट ब्लॉक की बाल विकास अधिकारी चन्द्रावती यादव का।

"This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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