आलम यही रहा तो “ बुंदेलखंड बनने में पूर्वांचल को देरी नहीं होगी” 

Jitendra TiwariJitendra Tiwari   16 Jun 2017 11:20 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
आलम यही रहा तो “ बुंदेलखंड बनने में पूर्वांचल को देरी नहीं होगी” फ़ोटो साभार - इंटरनेट 

जितेंद्र तिवारी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गोरखपुर। गोरखपुर मंडल के चारों जिलों की मिट्टी कमजोर हो चुकी है। किसान भाई जागरुकता के अभाव में खेतों में अंधाधुंध रासायनिक खादों का प्रयोग कर रहे हैं। स्थिति यहां तक जा पहुंची है कि महज 25 फीसदी ही आर्गेनिक पदार्थ मिट्टी में बचा हुआ है, जो आने वाले दिनों के लिए किसानों को संकट में डाल सकता है। आलम यही रहा तो बुंदेलखंड बनने में पूर्वांचल को देरी नहीं होगी।

जबकि कृषि विभाग लगातार जैविक व वर्मी खाद पर आधारित कृषि तकनीक को अपनाने पर जो दे रहा है। हरी खाद का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यहां तक कि मिट्टी की ताकत व उसकी गुणवत्ता की जांच के लिए नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। बावजूद इसके किसान रूचि नहीं दिखा पा रहे हैं। पूर्वांचल के गोरखपुर के अलावा कुशीनगर, देवरिया और महराजगंज में यह स्थिति अंतिम पायदान पर पहुंच चुकी है।

ये भी पढ़ें- औरैया में अवैध खनन पर अधिकारियों ने बंद की अपनी सरकारी आँखें

दरअसल मिट्टी की जांच के लिए प्रत्येक तहसील में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित किया गया है, इसके अलावा जिले में जनपद स्तरीय परीक्षण केंद्र के अलावा मंडल पर कूड़ाघाट स्थित क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला में मिट्टी परीक्षण की व्यवस्था की गई है। जहां से किसान भइयों को अपनी मिट्टी पहचानों और उपज बढ़ाओ के उद्देश्य से मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है।

किसानों को बेहतर पैदावार के साथ-साथ मिट्टी को और ताकतवर बनाने के लिए सभी प्रकार के सलाह दिए जाते हैं। बावजूद इसके किसान भाई मृदा परीक्षण में रूचि नहीं ले रहे हैं। जबकि विभागीय अफसर किसानों को जागरूक करने के लिए हरसंभव मदद व सलाह देने को तैयार है। यहां तक कि प्रत्येक ब्लॉक में किसान गोष्ठी व मेला आयोजन हो रहा है। जहां पर किसानों को सभी समस्याओं से अवगत कराया जा रहा है।

बुंदेलखंड की ओर बढ़ रहा पूर्वांचल

अगर समय रहते पूर्वांचल के किसान नहीं चेते तो बुंदेलखंड की स्थिति यहां भी बन सकती है, जैसे बुंदेलखंड में जमीन पथरीली हो गई है, ठीक वैसे ही यहां की भी स्थिति हो जाएगी। कृषि वैज्ञानिक यहां के मिट्टी की हकीकत को जानकर काफी चिंतित हैं। शायद इसी पूर्वानुमान को भांपते हुए यहां के किसानों से लगातार संवाद कर रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि अगर किसान नहीं जागरूक होंगे तो अकेले कृषि विभाग व इससे जुड़े अधिकारी क्या कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें- गाँव व गरीब तक करें सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार : डॉ. नीलकंठ

खेतों में जला देते हैं गेहूं का डंठल

शासन-प्रशासन की सख्ती व जागरूकता के बावजूद भी यहां के किसान खेतों में गेहूं का डंठल जला देते हैं। जबकि शासन-प्रशासन की मंशा किसानों के हित में है, बावजूद इसके किसान इस बात को नहीं समझ रहे हैं कि उनके खेत की मिट्टी कमजोर होती रही है।

खेती में लागत बढ़ा पर उपज लगातार घट रहा

मिट्टी की कमजोरी के चलते ही किसानों को खेती में अधिक लगात लगानी पड़ रही है, जबकि उपज लगातार घटता जा रहा है। किसान कर्जदार होता जा रहा है। क्योंकि उन्हें लगात भी नहीं आ रही है।

ये भी पढ़ें- ग्रामीण महिलाओं तक नहीं पहुंच रहीं योजनाएं

इस समस्या पर हमनें बात की मृत्युंजय सिंह, सहायक निदेशक मृदा परीक्षण, क्षेत्रीय मृदा परीक्षण केंद्र, गोरखपुर से , उनका कहना था कि किसानों को मिट्टी की जांच के लिए नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाया जा रहा है। क्षेत्रीय प्रयोगशाला के अलावा जिला व तहसील स्तर पर इसकी व्यवस्था है। स्थिति यह हो चुकी है कि खेतों में आर्गेनिक पदार्थ की मात्रा काफी कम हो चुकी है। फिलहाल मिट्टी में आर्गेनिक की मात्रा महज 25 फीसदी बचा है, जो निकट भविष्य में किसानों को संकट में डाल सकता है। इसके लिए किसानों को जागरूक होना पड़ेगा। गोष्ठियों के माध्यम से किसानों को लगातार जागरूक किया जा है। विभिन्न माध्यमों से प्रचार-प्रचार किया जा रहा है। ताकि अधिक से अधिक किसान मृदा परीक्षण का लाभ ले सकें।

अरविंद्र्र कुमार चौधरी, जिला कृषि अधिकारी, गोरखपुर ने भी कहा कि, किसानों को हरी खाद के अलावा जैविक वर्मी खाद का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। मिट्टी में आर्गेनिक पदार्थ की मात्रा का कम होना चिंता का विषय है। इसके लिए किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह माननी होगी।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिएयहांक्लिक करें।

        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.