उचित जल प्रबंधन से खेती की लागत कम करें

Devanshu Mani Tiwari | Jun 24, 2017, 09:36 IST
Swayam Project
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। मानसून के शुरूआती दिनों में सिंचाई के लिए पानी की ज़्यादा अवश्यकता नहीं होती है, लेकिन बारिश के दौरान किसान जल प्रबंधन तकनीक अपनाकर खेती की लागत कम कर सकते हैं।

बारिश के दिनों में खेतों में जल प्रबंधन तकनीक अपनाकर आधुनिक कृषि के लाभ पाने की बात कहते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हसन मुर्तज़ा बताते हैं,“जल प्रबंधन के लिए किसान मुख्यरूप से तीन तकनीक अपना सकते हैं।

इसमें वर्षा जल संचयन, ड्रिप व स्प्रिंक्लर और वाटरशेड मैनेजमेंट तकनीक शामिल हैं। केंद्र सरकार भी जल प्रबंधन के लिए अपनी महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत जल प्रबंधन के लिए तालाब निर्माण पर सब्सिडी दे रही है।’’

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के मुताबिक देश में कुल 14.2 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से 65 फीसदी क्षेत्र में सिंचाई के लिए सुविधा नहीं है। ऐसे में वर्षा जल संचयन और सिंचाई में निजी तालाब निर्माण के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए इस योजना के अंतर्गत पांच सालों (2015-16 से 2019-20) तक 50 हजार करोड़ रुपए की धनराशि का प्रावधान किया गया है, जिसमें मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 5300 करोड़ का आवंटित किए गए हैं।

छोटे किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत लाभ उठाने पर डॉ. हसन मुर्तज़ा आगे बताते हैं,’’ योजना में मैदानी इलाकों में तालाब निर्माण के लिए केंद्र सरकार 2.8 लाख रुपए की सब्सिडी देती है, वहीं पहाड़ी इलाकों में तालाब निर्माण पर 1.8 लाख रुपए की सब्सिडी का प्रावधान है।

योजना का लाभ लेने के लिए किसान जिला कृषि विभाग व स्थानीय केवीके से संपर्क कर सकते हैं।’’ खेती के लिए जल प्रबंधन के लिए 20 बाई 20 मीटर लंबाई- चौड़ाई और तीन मीटर गहराई का तालाब खुदवाना सबसे कारगर होता है। इस माप के तालाब में 12 लाख लीटर पानी आसानी से संचयन किया जा सकता है। यह संचयित जल दो हेक्टेयर खेत की सिंचाई के लिए पर्याप्त होता है।

क्या है प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य है सिंचाई में निवेश में एकरूपता लाना है। इसकी योजना मदद से कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करने के लिए खेतों में ही जल को इस्तेमाल करने की दक्षता को बढ़ाया जाता है ताकि पानी के खर्च को कम किया जा सके। इस योजना में केंद्र 75 प्रतिशत अनुदान केंद्र की मदद से देय होता है और 25 प्रतिशत खर्च राज्यों के ज़िम्मे होता है।

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