यहाँ की 30 हज़ार से ज़्यादा लड़कियों को अब नहीं लगता है डर

लड़कियों को जीवन के किसी भी मोड़ पर डर का सामना न करना पड़े, इसके लिए राजस्थान की आशा सुमन ने उन्हें आत्मरक्षा सिखाने की जिम्मेदारी उठा ली। आशा सुमन अलवर के सरकारी स्कूल में टीचर हैं और अब तक 30,000 से ज्यादा युवा लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा चुकी हैं। इसमें से कुछ महिला कांस्टेबल, 300 नेत्रहीन और मूक-बधिर छात्राएँ शामिल हैं।

Rajesh KhandelwalRajesh Khandelwal   20 May 2023 5:30 AM GMT

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यहाँ की 30 हज़ार से ज़्यादा लड़कियों को अब नहीं लगता है डर

साल 2015 में सुमन ने जयपुर में पुलिस अकादमी में चलाए जा रहे सेल्फ डिफेंस के एक कोर्स में भाग लिया। और फिर इस तरह से गाँव की लड़कियों को आत्मरक्षा में प्रशिक्षित करने के लिए उनकी एक चुनौतीपूर्ण यात्रा शुरू हो गई।

अलवर (राजस्थान)। 2015 में अलवर जिले के किशनगढ़ बास में कुछ ऐसा हुआ, जिसने एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका आशा सुमन को अंदर तक हिला कर रख दिया।

सुमन ने बताया, “पास के गाँव में एक लड़की के साथ बलात्कार हुआ और इसके बाद माता-पिता ने अपनी बेटियों को स्कूल भेजना ही बंद कर दिया।” यहाँ कुछ ही लड़कियाँ सरकार स्कूल में पढ़ती थीं। दिल्ली वाले राजपूतों की ढाणी, खानपुर मेवान, प्राथमिक विद्यालय की छात्राओं के अलावा, हर दिन पाँच किलोमीटर की दूरी तय करके स्कूल तक आने वाली लगभग सभी लड़कियों ने स्कूल आना बंद कर दिया था।

सुमन ने याद करते हुए कहा, “शायद इन परिस्थितियों ने ही मुझे लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए कुछ करने की राह दिखाई। मैं ऐसा कुछ करना चाहती थी कि वे संकट के समय में अपनी रक्षा खुद कर सकें।”

इनोवेटिव टीचर आशा ने पहली से पाँचवीं कक्षा के बच्चों के लिए एनिमेटेड एजुकेशनल वीडियो भी बनाए हैं।

उसी साल 2015 में, सुमन ने जयपुर में पुलिस अकादमी में चलाए जा रहे सेल्फ डिफेंस के एक कोर्स में भाग लिया। और फिर इस तरह से गाँव की लड़कियों को आत्मरक्षा में प्रशिक्षित करने के लिए उनकी एक चुनौतीपूर्ण यात्रा शुरू हो गई।

वह किशनगढ़ बास क्षेत्र के स्कूलों में जाकर लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग देने लगीं। उन्होंने कई शिविर भी आयोजित किए। गर्मियों के समय में उन्होंने राज्य के 12 जिलों का दौरा किया और लड़कियों के लिए फ्री सेल्फ डिफेंस कैंप लगाए। वह ऑनलाइन ट्रेनिंग भी देती रही हैं। देश के 24 राज्यों के लगभग 8,000 शिक्षकों ने उनसे वर्चुअली सीखा है।

सुमन ने गाँव कनेक्शन को बताया, “इन सालों में मैंने लगभग 30,000 लड़कियों को प्रशिक्षित किया होगा। मैं मुंबई भी गई। वहाँ मैंने नेत्रहीन और मूक-बधिर लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाए। मैंने ऐसी लगभग 300 लड़कियों को ट्रेनिंग दी है।"

‘बेटी को अब अकेले भेजने में डर नहीं लगता’

राजगढ़ के खरखेड़ा में बीएड की इंटर्नशिप कर रही मोनिका बैरवा ने बताया कि उन्होंने सुमन से सेल्फ डिफेंस के गुर सीखे है। 24 साल की मोनिका ने गाँव कनेक्शन से कहा, "उसके बाद से मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया है।" उसकी मां कलावती भी खुश है। वह मुस्कुराते हुए बताती हैं, "पहले मुझे अपनी बेटी को अकेले भेजने में डर लगता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।"

अलवर के तत्कालीन एडिशनल एसपी (रूरल) श्रीमन मीणा (आरपीएस) ने गाँव कनेक्शन को बताया, “आशा सुमन ने 2020-21 में अलवर की महिला कांस्टेबलों को भी सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी थी। वह जो कर रही है वह निश्चित रूप से लड़कियों के बीच आत्मविश्वास बढ़ा रहा है। उम्मीद है कि इससे छेड़छाड़ और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अन्य अपराध खत्म हो जाएंगे।"

महिला सशक्तिकरण में उनकी जबरदस्त भूमिका के चलते आशा सुमन को इस साल ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ मुहिम के लिए अलवर ज़िले के ब्रांड एंबेसडर के रूप में चुना गया है।

आशा सुमन ने आत्मरक्षा पर दो किताबें भी लिखी हैं। पहली किताब 2020 में प्रकाशित हुई थी। इसमें बड़े ही विस्तार से लड़कियों को आत्मरक्षा सीखने की तकनीक के बारे में बताया गया है। इसके बाद, साल 2023 में आत्मरक्षा की किताब का दूसरा संस्करण लेकर आई, जिसमें तस्वीरों के ज़रिए सिखाने की कोशिश की गई थी। यह किताब पहली क्लास से लेकर आठवीं तक के बच्चों के लिए काफी प्रेरक रही है।

आशा सुमन ने गाँव कनेक्शन को बताया, "मेरे लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, छात्र और उनकी सुरक्षा ही सब कुछ है।" वह बच्चों को हिंदी, राजनीति विज्ञान और भूगोल पढ़ाती हैं। उन्होंने बी.एड. के अलावा प्रत्येक विषय में मास्टर डिग्री भी हासिल की हुई है। 44 साल की आशा पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातक भी है।

बच्चों के लिए एनिमेटेड कंटेंट तैयार करना

इनोवेटिव टीचर आशा ने पहली से पाँचवीं कक्षा के बच्चों के लिए एनिमेटेड एजुकेशनल वीडियो भी बनाए हैं। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि इन वीडियो से बच्चों को पाठ को तेजी से समझने में मदद मिली है।"

उनके द्वारा बनाए गए लगभग 100 वीडियो दूरदर्शन के कार्यक्रम शिक्षा दर्शन में भी प्रसारित किए गए हैं। उनका ‘आशा की पाठशाला’ नाम से एक यूट्यूब चैनल भी था। बाद में उन्होंने इसे शिक्षा विभाग राजस्थान को दे दिया। अब वही इस पर शिक्षा से जुड़ी वीडियो अपलोड करता है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने उन्हें 2023 में अम्बेडकर महिला पुरस्कार से सम्मानित किया है।

मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक) नेकी राम ने गाँव कनेक्शन को बताया, “आशा सुमन युवा लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाने का एक बेहतरीन काम कर रही हैं। वह अब मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षण दे रही हैं," उन्होंने कहा कि नेत्रहीन और मूक बधिर लड़कियों के साथ उनका काम सराहनीय था।

नेकी राम कहते हैं, "वह उदयपुर में राजस्थान स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के लिए भी सामग्री तैयार कर रही हैं। उन्हें उनके काम के लिए सम्मानित भी किया गया है।"

आशा सुमन स्कूल से निकल बाहर की दुनिया में भी काफी काम करती रही हैं। उन्होंने बताया, "स्कूल के बाद मैं ग्रामीण इलाकों में महिलाओं से मिलने जाती हूँ। उनसे उनकी सेहत और उनके अधिकारों के बारे में बात करती हूँ ," महामारी के दौरान उन्होंने अपने पैसे से 8,000 महिलाओं को सैनिटरी पैड बाँटे थे।

2005 में, सुमन ने अलवर ज़िले के किशनगढ़ बास में दिल्ली वाले राजपूतों की ढाणी, खानपुर मेवान गाँव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाना शुरू किया था। सुमन ने याद करते हुए बताया, “तब कोई स्कूल में किसी तरह की कोई इमारत या कमरे नहीं बने थे। लगभग 20 बच्चे पढ़ने के लिए आते थे और एक पेड़ के नीचे बैठकर उन्हें पढ़ाया जाता था।” वह इस स्कूल में 2018 तक पढ़ाती रही थीं।


उन्होंने कहा कि स्कूल में उन्होंने 13 साल बिताए और इन सालों में छात्रों का दाखिला 120 तक बढ़ गया और बच्चों को पढ़ाने के लिए क्लास रूम भी बन गए थे।

बाद में उन्हें किशनगढ़ बास से खरखेड़ा गाँव (राजगढ़ ब्लॉक), अलवर ज़िले के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में भेज दिया गया था। वह अभी तक इसी स्कूल में पढ़ा रही हैं।

महिला सशक्तिकरण में उनकी जबरदस्त भूमिका के चलते आशा सुमन को इस साल ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ मुहिम के लिए अलवर ज़िले के ब्रांड एंबेसडर के रूप में चुना गया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने उन्हें 2023 में अम्बेडकर महिला पुरस्कार से सम्मानित किया है।

2021 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें जयपुर में राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार समारोह में भी सम्मानित किया था।

वह कहती हैं, "मैं इन सभी पुरस्कारों के लिए आभारी हूँ। लेकिन मेरे लिए सबसे अच्छा इनाम वह है जब हर बच्चा अपना ख्याल रखने में सक्षम हो और उसकी आँखों में आत्मविश्वास की चमक हो और उसकी आवाज में एक मजबूती हो।”

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