टीचर्स डायरी: "अब बाल विवाह नहीं, स्कूल आने लगी हैं बेटियां"

विनीत श्रीवास्तव, रायबरेली जिले के उच्च प्राथमिक विद्यालय खैरहना में सहायक अध्यापक हैं। इनके गाँव में पहले लड़कियों का बाल विवाह कर दिया जाता था, लेकिन अब लड़कियाँ पढ़ाई कर रहीं हैं। ऐसा कैसा संभव हो पाया, टीचर्स डायरी में साझा कर रहे हैं विनीत।

Vineet SrivastavaVineet Srivastava   8 May 2023 12:18 PM GMT

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टीचर्स डायरी: अब बाल विवाह नहीं, स्कूल आने लगी हैं बेटियां

उच्च प्राथमिक विद्यालय खैरहना में मेरी नियुक्ति 2008 में सहायक अध्यापक पर हुई। इस ग्राम पंचायत में ज्यादातर लोग बंजारा समुदाय से हैं और अधिकतर बाहर घूमते रहते हैं। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ता है, यहां अपनी लड़कियों को वे स्कूल नहीं भेजते थे और उनका बाल विवाह कर देते थे।

जब मैं स्कूल में पहुंचा तो बालिकाओं का नामांकन न के बराबर था, मुश्किल से 15 बच्चे स्कूल आते थे। विद्यालय प्रबंधन समिति की मदद से उन्हें समझाने का फैसला किया, लेकिन वो समझना ही नहीं चाहते थे ।उनकी अपनी अलग परेशानियां थीं।

एक बार ऐसे ही एक बच्ची का बाल विवाह किया जा रहा था तो हमें पता चला तो हम उसके घर पहुंचे।पहले तो घर वाले बात करने को तैयार नहीं थे, लेकिन जब किसी तरह बातचीत आगे बढ़ी तो लड़की के पिता ने कहा कि उसने लड़के वालों से 10 हजार रुपए ले लिए हैं।अब वो कैसे शादी से मना करें। तब हम शिक्षकों ने मिलकर दस हजार रुपए इकट्ठा किए और लड़की के पिता को दिए, तब जाकर शादी रुक पायी।


लेकिन तब भी बहुत से लोग मानने को तैयार नहीं थे। फिर समाज कल्याण विभाग में जाकर एप्लीकेशन दिया, तब जाकर इस गाँव में बाल विवाह रुका।

अब गाँव की हर बच्ची आठवीं तक पढ़ती है। कई लड़कियां तो आगे भी पढ़ रहीं हैं। मेरे प्रयासों के परिणाम स्वरूप आज विद्यालय में बालक के साथ-साथ बालिकाओं का नामांकन भी हो रहा है।

यही नहीं हमने विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों के साथ मिलकर बालिका शिक्षा, नशा मुक्ति अभियान, रक्तदान जैसे अभियानों को चलाकर उन्हें जागरूक करने का प्रयास किया।

बच्चों का ड्रॉपआउट रोकने के लिए उनके अभिभावकों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया। विज्ञान जैसे विषयों को रोचक गतिविधियों और टीएलएम के माध्यम से पढ़ाया।

बालिकाओं को सिलाई कढ़ाई का प्रायोगिक ज्ञान देने के लिए विद्यालय की पूर्व छात्राओं से सामंजस्य बनाकर सफलता पाई। सूखे कचरे से खाद बनाने की विधि बच्चों के साथ साथ ग्रामीणों को भी दी, इससे वे विद्यालय में और अपने घर में भी इसे इस्तेमाल में ला रहे हैं।

मेरे विद्यालय के एक छात्र का चयन राष्ट्रीय आविष्कार अभियान में हुआ है। विद्यालय में कंप्यूटर लैब की स्थापना की। राज्य स्तरीय आईसीटी प्रतियोगिता तथा कहानी सुनाओ प्रतियोगिता में मेरा चयन हुआ है। विद्यालय में किए जा रहे नवाचारों के लिए मुझे माननीय मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, महानिदेशक समग्र शिक्षा, जिलाधिकारी रायबरेली, प्राचार्य डायट और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से मुझे सम्मानित किया जा चुका है।

आप भी टीचर हैं और अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं, हमें [email protected] पर भेजिए

साथ ही वीडियो और ऑडियो मैसेज व्हाट्सएप नंबर +919565611118 पर भेज सकते हैं।

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