टीचर्स डायरी: "जब बीमार पिता की मदद के लिए दुकान पर बैठी बच्ची ने पास की परीक्षा"

प्रीति सक्सेना, रायबरेली के पहरेमऊ में उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका हैं। इस साल उनके स्कूल के आठ बच्चों का चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हुआ। टीचर्स डायरी में प्रीति बता रही हैं गाँव के बच्चों के लिए ये कैसे संभव हो पाया?

Priti SaxenaPriti Saxena   6 May 2023 10:08 AM GMT

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टीचर्स डायरी: जब बीमार पिता की मदद के लिए दुकान पर बैठी बच्ची ने पास की परीक्षा

शिक्षिका के रूप में मेरी पहली नियुक्ति अमेठी जिले के ब्रह्मनी प्राथमिक विद्यालय में हुई। दो साल बाद वहां पढ़ाने के बाद सितंबर 2015 में रायबरेली के उच्च प्राथमिक विद्यालय, पहरेमऊ में आ गई। क्योंकि इस स्कूल में पहले कोई महिला टीचर नहीं थीं। ऐसे में गाँव का कोई भी अभिभावक अपनी बच्चियों को स्कूल नहीं भेजना चाहता था।

जब मैंने ज्वाइन किया तो गाँव में जाकर लोगों को समझाया कि लड़कियों के लिए पढ़ना कितना ज़रूरी है, तभी आज हमारे यहां लड़कों से ज़्यादा लड़कियों की सँख्या है।

इस बार हमने स्कूल के बच्चों को राष्ट्रीय आविष्कार अभियान और राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा का फार्म भराया। फार्म तो भर गया, अब सवाल ये था कि कैसे उनकी तैयारी कराई जाए। क्योंकि बच्चों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि बच्चों के लिए अलग से किताबें खरीद पाएं, या फिर उनकी तैयारी करा पाएं।


बच्चों की परीक्षा की तैयारी के लिए मैंने उनके लिए अपने पास से किताबों का इंतज़ाम किया और उन बच्चों के लिए अलग से टीम बनाकर ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाएं शुरू की। बच्चों के फार्म भरने से लेकर परीक्षा के दिन उन्हें परीक्षा केंद्र पर पहुंचाने की जिम्मेदारी भी मैंने खुद उठाई।

जब रिजल्ट आया तब लगा कि हमारी मेहनत सफल हुई। हमारे यहां के बच्चे , आशीष कुमार, अजीत कुमार, आदित्य कुमार, सिद्धार्थ निर्मल और एक बच्ची दीपांजलि गुप्ता का चयन राष्ट्रीय आविष्कार अभियान में हो गया। दीपांजलि गुप्ता, अजीत कुमार और आशीष कुमार का चयन राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना में हुआ।

इन बच्चों में दीपांजलि गुप्ता की कहानी थोड़ी अलग है। उसके पिता एक छोटी सी दुकान चलाते हैं, लेकिन उन्हें कैंसर हो गया तो दुकान की जिम्मेदारी दीपांजलि पर आ गई। स्कूल से आने के बाद वो दुकान पर बैठकर मेरे द्वारा दिए गए नोट्स से परीक्षा की तैयारी करती थी।


राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना में बच्चों को 9वीं से 12वीं तक हर महीने हजार रुपए मिलते हैं। बच्चों का एडमिशन भी हमने राजकीय इंटर कॉलेज और राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में करा दिया है।

इसके साथ ही मैं बच्चों के साथ ही विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों के साथ मिलकर सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा, लैंगिक समानता, नशा मुक्ति अभियान आदि को संचालित करके पूरी ग्राम सभा को जागरूक करने का काम कर रही हूँ।

मेरी तरफ से नियमित अभिभावकों से संपर्क रखने से स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों में अब वृद्धि हो रही है। विज्ञान विषय को आकर्षक और रोचक गतिविधियों से पढ़ाने के लिए मैंने एक विज्ञान क्लब का गठन किया है। मैंने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किशोरी क्लब का गठन किया है, जिसके जरिए मैं ग्राम सभा की महिलाओं को जागरूक करने का काम करती हूँ । मैंने राज्यस्तरीय स्वरचित कविता लेखन, आदर्श पाठ योजना निर्माण और वीडियो निर्माण प्रतियोगिता में सफलता पाई है।

आप भी टीचर हैं और अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं, हमें [email protected] पर भेजिए

साथ ही वीडियो और ऑडियो मैसेज व्हाट्सएप नंबर +919565611118 पर भेज सकते हैं।

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